संपादक, भड़ास4मीडिया, महोदय, UNI की दुर्दशा से आप भली भांति वाकिफ होंगे. इस मीडिया संस्थान में कार्यरत पत्रकार और गैर-पत्रकार अत्यंत दयनीय स्थिति मैं हैं. विगत 14 महीने से तनख्वाह उन्हें नहीं दी गयी है. हर महीना सैलरी नहीं मिल रही. पत्रकारों का मनमाने तरीके से तबादला किया जा रहा है. वित्तीय संकट की स्थिति में स्थानान्तरण का बोझ पत्रकार सहन नहीं कर पा रहे हैं. उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गयी है. UNI में उर्दू के जानेमाने पत्रकार अलमगीर साहब की 8-9 जून को हुई मौत इसका जीता जागता उदाहरण है.
इस संस्थान में प्रबंधन पूरी तरह तानाशाह बन बैठा है. यूनियन भी कर्मचारियों के हित की अनदेखी कर मालिकों और प्रबंधन के साथ हाथ मिला चुका है और कर्मचारियों को प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. अधिकांश कर्मचारी भय और दहशत के माहौल में जी रहे हैं. स्थानान्तरण के भय के कारण अपनी आवाज उठाने में यहाँ के कर्मचारी असमर्थ हैं. मजीठिया वेतनमान के लिए आवाज उठाने की बात तो दूर कर्मचारी अपनी सैलरी मांगने से भी डरते हैं. इस संस्थान में वित्तीय अनियमितता और घोटाले चल रहे हैं. वर्ष 2012 से कर्मचारियों के पीएफ का पैसा जमा नहीं हुआ है. थ्रिफ्ट सोसाइटी में कर्मचारियों के पैसे का गबन कर दिया गया है. संस्थान का चेयरमैन प्रफुल्ल माहेश्वरी 3000 करोड़ रुपये के घोटाले में संलिप्त है. सेबी ने माहेश्वरी के खिलाफ नोटिस जारी किया हुआ है. विश्वास त्रिपाठी जैसे भू-मफिया की इस संसथान पर और इसकी दिल्ली स्थित जमीन पर नजर है. इस संस्थान को बचाने के लिए मीडिया में कार्यरत कर्मचारियों को आगे आना होगा. इसी हेतु एक दिसंबर को एक विशाल धरना प्रदर्शन प्रस्तावित है. कृपया इससे संबंधित पोस्टर बैनर को अपने वेब पोर्टल पर प्रमुखता से स्थान देने का कष्ट करें.
यूएनआई में कार्यरत एक मीडिया कर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
deodutta
November 18, 2014 at 5:01 am
ap age badho ham tumare sath hai
यूएनआई मीडिया कर्मी
November 19, 2014 at 1:42 am
जनाब,ये चूतियापे की बातें हैं, कृपया तथ्य का पता लगायें। जैसी स्थिति कुछ साल पहले थी वैसी ही अब भी है। ना नीचे गयी है और ना उपर। हम लोग जैसे थे उसी से आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। अनुशासनहीनता के कारण निष्कासित कुछ कर्मचारी ये अफवाहें फैला कर साढ़े छह सौ कर्मचारियों की रोजी रोटी खराब कर रहे हैं और हमारी कोशिशों को नाकाम करने में लगे हैं। आप भी इन चंद लोगों की बातों की बजाये छह सौ कर्मचारियों के हित का ख्याल करें।
Sushil Kumar
November 26, 2014 at 10:27 am
There is no wrong information in the above published article. I have worked with the UNI for over ten years and whenever I asked for salary the people from management and the so-called workers union would ask why do you need it when others are not demanding it.I would then tell them to at least give us tentative date so that we can plan our things accordingly but they would not even do that.
Management and the workers’ union are in hand and gloves with each other and only doing what suits them the most.