जनसत्ता डॉट कॉम में सालोंभर वैकेंसी रहती है। अभी हाल में भी वैकेंसी की खबर आई जो भड़ास पर भी छपी है। जनसत्ता डॉट कॉम में सालोंभर वैकेंसी क्यों रहती हैं, इसके पीछे का राज आप जानेंगे तो चौंक जाएंगे। न्यूजरूम में पत्रकारों के शोषण और यौन शोषण तो आम बात हो गई है जिसके लिए जनसत्ता डॉट कॉम भी बदनाम है।
लेकिन इसके संपादक विजय झा ने नौकरी खोज रहे पत्रकारों का शोषण करने का भी नायाब तरीका निकाला है। इसके लिए सालोंभर जनसत्ता में फर्जी वैकेंसी निकाली जाती है और नौकरी तलाश रहे पत्रकारों से आठ घंटे काम कराया जाता है। वहां टेस्ट दे चुके कई भुक्तभोगी इस बात को बखूबी जानते हैं।
दरअसल जनसत्ता डॉट कॉम में सप्ताह में पांच दिन काम होते हैं और दो दिन का वीक ऑफ होता है। ऐसे में छोटी टीम में काम करनेवाले लोगों की कमी पड़ जाती है जिसकी भरपाई करने के लिए संपादक विजय झा ने बहुत ही अनोखा और क्रूर तरीका सोचा। इसके लिए लगातार जनसत्ता में वैकेंसी निकाली जाने लगी। सीवी मंगाने के बाद हर रोज तीन-चार पत्रकारों को टेस्ट के लिए बुलाया जाता है और फिर उनको आठ घंटे का काम दिया जाता है। जब पत्रकार टेस्ट देकर चला जाता है तो उनकी सारी खबरों को जनसत्ता डॉट कॉम पर संपादक विजय झा प्रकाशित करा लेते हैं। आइए आपको इसका सबूत देते हैं।
सबसे पहले देखिए वो टेस्ट पेपर जो संपादक विजय झा हल करने के लिए देते हैं। आप इसमें देख सकते हैं कि पहले 350 शब्दों में चार स्टोरी लिखने को कहा गया है। उसके बाद दो स्टोरी को री राइट करने के लिए दिया गया है। फिर इसके बाद फेसबुक से पांच, ट्विटर से तीन और यूट्यूब से दो खबरों के आइडिया खोजने और हेडिंग लिखने को कहा गया है व उनमें से दो पर स्टोरी भी लिखने को दिया गया है। आप ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि कुल 8 स्टोरी लिखने को दिया गया है। साथ ही ट्विटर से तीन, यूट्यूब से दो और फेसबुक से पांच स्टोरी आइडिया हेडिंग सहित लिखने हैं। इतना सार काम टेस्ट के नाम पर….
मैंने छह स्टोरी लिखी और उसके बाद हाथ खड़े कर दिए। छह स्टोरी में कम से कम 4500 शब्द मैंने लिखे और संपादक विजय झा को मेल पर सारी स्टोरीज भेज दी जिसको उन्होंने साइट पर पब्लिश करा लिया। अगर किसी को इन स्टोरीज के लिंक चाहिए तो मुझे मेल करे, मैं भेज दूंगा। फिलहाल यहां लिंक्स का स्क्रीनशाट दे रहा हूं…
इस तरह से संपादक विजय झा नौकरी तलाश रहे पत्रकारों का शोषण करते हैं और टेस्ट लेने के नाम पर एक दिन की बेगारी कराते हैं। विजय झा के शोषण तंत्र का यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है और अपने आपको प्रतिष्ठित समूह कहने वाला इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप इस संपादक को लाखों रुपए की सैलरी दे रहा है। अब संपादक विजय झा का चाल और चरित्र भी जान लीजिए। न्यूजरूम में ये पत्रकारों से 11-12 घंटे काम कराने के लिए बदनाम हैं। साथ ही हाल में एक लड़की ने संपादक विजय झा पर छेड़खानी का केस किया जिसमें लड़की की नौकरी चली गई लेकिन विजय झा का कुछ नहीं बिगड़ा।
इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप अपने आपको जर्नलिज्म ऑफ करेज कहता है लेकिन दरअसल इस ग्रुप का चरित्र भी अन्य मीडिया कंपनियों की तरह ही है। यहां के न्यूजरूम में भी पत्रकारों से गदहमजूरी कराई जाती है और विजय झा जैसे क्रूर आपराधिक शोषक मनोवृति के संपादक को ये सिर-आंखों पर बैठाये हुए है। अगर आप जनसत्ता में टेस्ट देने जाएंगे और मैंने जो भी लिखा है उसकी हकीकत आप भी झेलेंगे। नौकरी-वौकरी तो मिलने से रही, हां एक दिन की आपकी मेहनत संपादक विजय झा जरूर खा जाएंगे।
लेखक Rajeev Singh से संपर्क [email protected] के जरिए कर सकते हैं.
कुमार नवीन
November 15, 2018 at 6:19 am
आप सही कह रहे हैं। भास्कर में भी ये अपनी क्रूर प्रवृति के लिए जाना जाता था। 2011 भास्कर में अनिल अत्री नाम के इसकी टीम के शख्स ने जब इसकी शिकायत एचआर से की तो विजय झा का कुछ नहीं बिगड़ा लेकिन अनिल अत्री को नौकरी छोड़नी पड़ी। ये हरामी प्रवृति का शख्स है। जिसे अपनी जिंदगी खराब करनी हो वो जनसत्ता जाए..
Vijju jha
November 30, 2018 at 8:03 pm
Ye bahut harami hai sala…londiyabaj…sabka 8 ghante ka test leta hai sala…porn patrakar…
Abhishek
December 7, 2018 at 10:06 am
मेरे साथ भी ऐसा हुआ है।।। ऐसे लोगो पर लगाम लगनी चाहिए।।।।
वाणी
December 10, 2018 at 5:24 pm
जब पत्रकार बिरादरी में ये हाल है तो जनता तक कितनी सही ख़बर पहुँचती होगी…