Amit Chaturvedi : सुधीर चौधरी जैसे पत्रकार पत्रकारिता के लिए बड़ा खतरा हैं। सरकार की योजनाओं की सफलता या तारीफ़ के लिए सरकार के पास उनके प्रवक्ता होते हैं, एक पत्रकार का काम होता है, सरकार की उन कमियों और विफलताओं को जनता के सामने लाना जिससे सरकार दबाव में आये और अपनी कमियां दूर करे। लेकिन सरकारी ऑब्लिगेशन पाने के लालच में सुधीर और रजत शर्मा जैसे पत्रकार सरकार की स्तुति गान में जुटे रहते हैं। जनता भी सब जानते हुए सिर्फ इसीलिए खुश है क्योंकि ये उनके लोकप्रिय नेता के पक्ष में खड़े नज़र आते हैं, और बहुत हद तक ये बहुसंख्यक समाज के हित की बात करते नज़र आते हैं। हालाँकि इसकी जड़ में बरसों से सेक्युलर और लेफ्टिस्ट पत्रकारों द्वारा एक एजेंडे के तहत किया गया मुस्लिम तुष्टिकरण ही है। लेकिन अब समय आ गया है जब हम इन पर दबाव बनायें और एकतरफा समर्थन या विरोध की पत्रकारिता को सिरे से खारिज करें।
Sanjaya Kumar Singh : मामला इतना ही नहीं है। ये सरकार की तरफ से अफवाह फैलाने का काम भी करते हैं। जैसे दो हजार रुपए का नोट लाना काला धन खत्म करने के घोषित उद्देश्य के खिलाफ है। ये सरकार के पक्ष में अफवाह फैला रहे हैं कि उसमें चिप लगा हुआ है और इसलिए खास है। ताकि जनता भ्रम में रहे। कायदे से नए नोट के बारे में बताना सरकार और रिजर्व बैंक की जिम्मेदारी है। पर वह झूठी जानकारी नहीं दे सकते तो यह काम भी तिहाड़ी चौधरी जैसे पत्रकार कुछ पाने की लालच में कर रहे हैं। कायदे से अगर 2000 के नोट में चिप है और यह सरकारी खबर है तो जनता को स्रोत बताना चाहिए और अगर यह गोपनीय खबर और तिहाड़ी सुधीर उसका खुलासा कर रहा है तो उसे बताना चाहिए कि यह खुलासा है। वह ऐसे बता रहा है जैसे महज सूचना दे रहा है।
अमित चतुर्वेदी और संजय कुमार सिंह की एफबी वॉल से.