अमर उजाला संपादक उपमिता ने अपने अयोध्या कवरेज के आख़िर में क्या लिखा, पढ़िए
उपमिता वाजपेयी मिश्रा-
अलविदा अयोध्या ❤️
चौघड़ियों की बिसात देखिए।
मैं सोच रही थी संपादक बनने के चक्कर में पता नहीं रिपोर्टिंग कभी कर भी पाऊंगी या नहीं। लेकिन वो क्या है ना, मैं किस्मत जाफरान सी लिखवाकर लाई हूं।
बड़ी मुश्किल दो-चार दिन के लिए अयोध्या जाकर रिपोर्टिंग करने की हिम्मत जुटाई थी। और राम जी की कृपा से हथेली पर पूरे 20 दिन के लिए राम जन्मभूमि की सोहबत लिख दी गई।
आंखन देखी अयोध्या के जरिए ज्यों कीं त्यों धर दीनी चदरिया वाले मोड में अयोध्या कहने की कोशिश की है।
अब गली-मोहल्लों-मठों-मंदिरों और सरयूजी से अपनी अच्छी खासी पहचान हो चुकी है। 20 दिन में इतने किरदारों, कहानियों और किस्सों के साथ सत्संग किया है कि खुद पर अयोध्या की छोटी वाली एन्साइक्लोपीडिया होने सा गुमान हो रहा है।
अपनी एसी कार-केबिन से बाहर निकलकर, अयोध्या की सड़कों को पैदल नापा है। हर दिन का स्टैप्स काउंट सारे रिकॉर्ड तोड़कर मुस्कुरा रहा है। कम से कम डेढ़ दो किलो धूल जरूर फांकी है। स्कैचर्स के दो जूते अपनी अंतिम सांसे गिन रहे हैं।
और हां, पुराने दोस्तों का वक्त और नई मुलाकातों की फेहरिस्त भी इन्हीं 20 दिनों में हाथ आई है।
कुल मिलाकर, बेहद खूबसूरत और खुशनसीब सा वक्त था। भीतर में रामलला को थोड़ा ज्यादा मजबूत करने के लिए अयोध्याजी का शुक्रिया।
जय सिया राम।
brijesh
January 28, 2024 at 1:10 am
ye to proud ki bat hai ek mahila hone ke nate itni himmat dikhana. Purush sampadako ke liye sikhne ki bat hai.
Varna ab Amar Ujala main aise Editors bhare hue hain jinhe clerky karne se fursat nahi hai. Daya shankar shukla aur Vinit Saxena is fehrist main sabse upar hai. Jinhe Akhbar se koi matlab nahi hai. Udai Sinha ki shay par dono fal ful rahe hain.