वाराणसी। इस शहर से सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा ‘न लेंगे न लेने देंगे’ से परे बनारस की पुलिस का मानना है कि हर हाल में बेच के रहेंगे, भले ही चौराहा क्यों न हो. मात्र 10 रुपये के ऐवज में शहर की पुलिस चौराहों को आटो चालकों के हाथों बेच रही है. सातों दिन और चौबीसों घंटे बेचने का ये खेल जारी है. शहर के गिरजाघर, गौदोलिया, बेनियाबाग जैसे अति व्यस्तम और भीड़-भाड़ वाले चौराहों को तो आटो चालकों ने पुलिस को पैसे देकर अपने नाम दाखिल-खारिज करवा रखा है। बोले तो यहां अवैध आटो स्टैण्ड कायम हो गया है।
अब भले ही 15 फुट चौड़ी सड़क सिमट कर 5 फुट की रह गयी हो, आने-जाने वाले घंटो जाम झेलते रहे, लोग गीरते-पड़ते धक्के खाकर गुजरने के लिए विवष होते हो, लेकिन बेचने-खरीदने का ये गैरकानूनी खेल, काननू की वर्दी में बेरोक-टोक जारी है। अगर आप को भी चौराहों पर अवैध तरीके से जमना है तो फिर 10 रूपये में चौराहा बिकता है, वाराणसी पुलिस इस काम में आपकी मदद कर सकती है।
इनमें से सबसे महत्वपूर्ण चौराहा गोदौलिया है। इसी चौराहे से होकर रोजाना हजारों की संख्या में देसी-विदेशी पयर्टक गंगा घाट का रुख करते हैं। लेकिन अवैध तरीके से चल रहे आटो-स्टैण्ड के चलते लगे जाम में फंसकर वो भी अपना सर पीटने के साथ ही शहर के कानून-व्यवस्था की नकारात्मक छवि साथ लेकर अपने साथ लौटते हैं।
भले ही सुबह 8 बजे से इन रास्तों पर नो इन्ट्री का फरमान जारी है, पर दस रुपये रजिस्ट्ररी शुल्क अदा करते ही चौराहा आटो वालों का हो जाता है। फिर सीधे, उल्टे, दाये-बायें, आड़े-तीरछे जैसे मन करे आटो सड़क पर खड़ी कर दे, इधर बीच शहर की आबोहवा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए इलेक्ट्रानिक रिक्शा नाम के सैकड़ो वाहन सड़को पर दौड़ पड़े हैं। शहर प्रदूषण से कितना मुक्त हुआ ये तो पता नहीं पर खाकी के लिए मलाई काटने का एक और जरिया निकल आया है। अवैध तरीके से चौराहों पर जमे ये इलेक्ट्रानिक रिक्शे भी यातायात को बाधित करने में अपना योगदान दे रहे हैं।
याद रखने की बात ये भी है कि चंद महीने पहले ही यहां से ताबदला कर दिये गये एसएसपी अजय मिश्रा के कार्यकाल में सारे अवैध स्टैण्ड हवा-हवाई होकर रह गये थे। सड़के भी चौड़ी हो गयी थी और यातायात भी सुगम। पर अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता ये उनके जाते ही समझ में आ गया। अब 10 रुपये जैसी छोटी रकम सुनने में भले ही मामूली लगे। पर गौर करें तो हजारों आटो और अन्य वाहनों से वसूली का ये खेल शहर में एक दिन में लाखों का सेंसेक्स पार कर जाता है। अंदर की खबर तो ये भी है कि नीचे से उपर तक सबका हिस्सा पहुंचता रहता है। इसलिए सब ठंडे पड़े रहते हैं। इसके उलट अवैध कब्जे के चलते जाम की चक्की में पीसते लोग बड़बड़ाते एक दूसरे को धकियाते अपना आगे का सफर तय करने को विवश है। ऐसे में तयशुदा वक्त में जाम मुक्त बनारस के सपने को खाकी की अवैध कमाई पलीता लगा रही है।
बनारस के युवा, तेजतर्रार पत्रकार और सोशल एक्टिविस्ट भाष्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट. संपर्क: 09415354828
santosh singh
December 2, 2014 at 2:16 pm
yah her state ki police chauk churaha apne se bech dete hai.chahe aam log ko kitni hi pareshani kyo na ho.aam janta ko apna kannoon lana hoga. tabhi samseya ka samadhan hoga.