लखनऊ : हेराल्ड समूह के प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक ‘नवजीवन’ के तेजतर्रार रिपोर्टर, तत्कालीन हेराल्ड यूनियन में तीन बार महामंत्री और लंबे समय तक यूपी प्रेसक्लब के सचिव रहे वरिष्ठ पत्रकार जेपी तिवारी का 24 जनवरी की शाम लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। 73 वर्षीय जेपी अपने पीछे पत्नी, 5 बेटियों, दामाद और नाती-नवासों से भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं।
वक्त कितना भी मुश्किल भरा रहा हो, संघर्ष की राह कितनी भी लंबी रही हो, अपनी जीवटता, व्यक्तित्व के जुझारूपन और विनोदी स्वभाव से मुस्कुराहट के महारथी पत्रकार जे पी तिवारी हमेशा अंततः हर लड़ाई जीते। शायद यही उनके अनोखे व्यक्तित्व का रहस्य था। अब कितने लोगों ने इसे समझा और कितने नहीं समझ पाए यह अलग बात है।
स्वर्गीय जेपी तिवारी पिछले तकरीबन एक साल से यकृत शोथ की जटिल बीमारी से जूझ रहे थे। उनकी बेटियां जिन्हें वो सदैव अपना बेटा ही मानते थे लगातार लखनऊ पीजीआई में उनका बेहतर इलाज करा रही थीं। वरिष्ठ और नामवर पत्रकार तथा प्रतिष्ठित संस्था प्रेसक्लब के सचिव होने के चलते डॉक्टर्स भी कोई कमी नहीं छोड़ रहे थे। पर अंततः शाश्वत सत्य के रूप मौत ने उनके जीवन की इहलीला समाप्त करदी।
राजधानी लखनऊ के पत्रकार जगत में आज का दिन स्वर्गीय जोखू प्रसाद तिवारी (जेपी तिवारी) को भावभीनी श्रद्धांजलि देने के नाम रहा। दोपहर बाद 2 बजे से पहले एनेक्सी के मीडिया सेंटर और फिर 4 बजे से यूपी प्रेस क्लब में उनके समकालीन वरिष्ठ पत्रकारों और उनके बाद पत्रकारिता में आये सैकड़ों साथियों ने इकट्ठा होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी, उनके बारे में बातें कीं, संस्मरण सुनाए और नमन किया। श्रद्धांजलि सभा मे सभी ने उनकी जीवटता, जुझारूपन और मुस्कुराहट की प्रशंशा की।
सरकार की ओर से श्रद्धांजलि देने आए अपर मुख्य सचिव सूचना अवनीश अवस्थी ने कहा कि मैं उनको जानता था। मुझे कई बार मिले तिवारी जी। जैसा कि बताया जा रहा कि वे बेहद खुशमिजाज थे। तो मौ कह सकता हूँ कि उनमें जरूर हैपीनेस जीन रहा होगा जिसकी आज के समय के लोगों में बड़ी कमी है। जेपी तिवारी जी को श्रद्धांजलि देते हुए मैं इस बात को कहूंगा कि सकारात्मक गुणों को सब को अपनाना चाहिए।
बहुत कम ऐसा होता है कि ब्यूरोक्रेट् दूसरे ब्यूरोक्रेट्स की और पत्रकार दूसरे पत्रकार की प्रशंशा करते हों। यह बड़ी बात है कि आज आप उनके खुशमिजाज स्वभाव की प्रशंशा कर रहे हैं। जो जिंदगी भर हंसा, ठट्ठे में रहा, खुशमिजाज रहा, आज उनकी बात करते हुए हमें भी मुस्कुराहट को सदा के लिए अपनाना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार के अनुसार जेपी तिवारी मौत से खूब लड़े उसे कई बार हराया भी। साल भर पहले जब वे शताब्दी हॉस्पिटल में एडमिट हुए थे तब डॉ वेद ने कहा था कि हंसकर बीमारी से लड़ने वाला शख्श लगता है कि बीमारी की जंग जीत जाएगा। और तब वह लड़ाई जोखू प्रसाद तिवारी जीते भी।
फिर उनका इलाज एसजीपीजीआई में काफी दिनों तक चला और अन्त में वो फिर शताब्दी अस्पताल यह सोच कर ले जाये गए कि शायद डॉ वेद उन्हें फिर बचा लेंगे। लेकिन इस बार बेरहम मौत ने ज्यादा बड़ी और शायद फाइनल तैयारी कर रखी थी लड़ाई की, अंततः एक हंसोड़, ठट्ठेबाज और खुशमिजाज शख्श जिंदगी की जंग हार गया।
पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह जिन्हने 1982 से हेराल्ड समूह में जेपी तिवारी के साथ काम किया और बाद में यूनियन में लगातार उनके साथ रहे, ने कहा कि तिवारी जी जोड़ने वाले व्यक्ति थे। और पत्रकार एकजुट रहकर ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी सकते हैं।
जर्नलिस्ट यूनियन की लखनऊ इकाई के अध्यक्ष और मान्यता समिति के सचिव शिवशरण सिंह ने कहा कि हम लोग जेपी तिवारी के दिखाए मार्ग पर ही चल रहे हैं और आगे भी ऐसा ही होगा।
सर्वेश कुमार सिंह, ब्रजेश शुक्ल, भास्कर दुबे आदि ने भी उन्हें याद किया। मान्यता समिति के अध्यक्ष हेमन्त तिवारी ने कहा कि जोखू प्रसाद तिवारी सदैव उत्सवधर्मिता का अवसर तलाशते थे।
प्रदीप कपूर ने कहा समस्याओं के दौर में भी हंस कर मिलने वाले उस शख्श को कभी भूला नहीं जा सकता।
श्रद्धान्जलि सभाओं मे पत्रकार दीपक गिडवाणी, सिद्धार्थ कलहंस, सुशील दुबे,अविनाश शुक्ला आदि,ने भी उन्हें अपने शब्दों से श्रद्धांजलि दी।
श्रद्धांजलि सभा रो पड़े कई साथी
शाम 4 बजे से यूपी प्रेस क्लब में शोकसभा थी। यहां जेपी तिवारी ने सचिव के रूप में लंबे समय तक कार्य किया था। इस श्रद्धान्जलि सभा मे उनकी पत्नी, दामाद और बेटी भी शामिल हुए।
परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में जेपी को याद करते उनके कई वरिष्ठ साथी रो पड़े। वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी ने रोते हुए कहा कि हम बता नहीं पा रहे कि जेपी हमारे लिए क्या थे। उन्होंने कहा कि हेराल्ड यूनियन के 300 वर्कर्स की लड़ाई लड़कर जोखू के संघर्ष ने ही 25 करोड़ देने पर मजबूर कर दिया था मैनेजमेंट को, वह शख्श हिम्मत और ताकत की मिसाल था।
प्रेसक्लब के अध्यक्ष रवीन्द्र सिंह की आवाज भी सभा के संचालन के दौरान लगातर भर्राई हुई थी। कई अन्य साथी भी जब स्वर्गीय तिवारी को श्रद्धाजलि देने आए, तब उनकी आंखें लगातर नम थीं।
साधारण दिखने वाले असाधारण व्यक्ति थे जेपी तिवारी – हृदय नारायण दीक्षित
उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष और वरिष्ठ स्तंभकार हृदय नारायण दीक्षित भी जेपी तिवारी को श्रद्धा सुमन अर्पित करने एनेक्सी पहुंचे। उन्होंने स्वर्गीय तिवारी के बारे में कहा कि कुछ लोग होकर भी प्रभावित नहीं करते, कुछ होकर प्रभावित करते हैं और कुछ लोग न होने पर भी प्रभावित करते हैं, तिवारी जी उन्ही में से थे जो आज न होने पर भी अपने जीवन और स्वभाव से हमे बहुत याद आरहे हैं।
श्री दीक्षित ने कहा कि साधारण रूप से रहने वाले एक असाधारण व्यक्तित्व थे जेपी तिवारी जी, उनमें हास्य लबालब भरा था। और केवल चुटकुलेबाजी तक नहीं अपितु हास्यबोध से सृजन में लगे रहने वाले शख्श थे जेपी तिवारी।
जब विपक्ष कमजोर हो, तब सशक्त पत्रकारिता की बड़ी जरूरत होती है – ज्ञानेन्द्र शर्मा
स्वर्गीय जेपी तिवारी को श्रद्धांजलि देते हुए वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेन्द्र शर्मा ने कहा कि जेपी तिवारी विनोदी और खुशमिजाज स्वभाव के साथ अत्यधिक संघर्षशील भी थे। नेशनल हेराल्ड यूनियन में उनका संघर्ष साहस की मिसाल था। आज के पत्रकारों को जोखू के जीवन से यह सीखना चाहिए कि पत्रकारिता की अपनी जिम्मेदारी है कि संघर्ष को सदैव शक्ति दी जाए। खासकर आज के समय मे जब विपक्ष कमजोर है तो सशक्त पत्रकारिता आज की बड़ी जरूरत है। कामरेड जेपी तिवारी का जीवन हमे ऐसा करने की प्रेरणा देता है।
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