इन दिनों बतौर अतिथि अध्यापक महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ स्थित मदन मोहन मालवीय हिन्दी पत्रकारिता संस्थान में श्रीकांत तिवारी दे रहे हैं अपनी सेवाएं…
वाराणसी। पत्रकारिता जगत में चार दशक बिता चुके वरिष्ठ बुजुर्ग पत्रकार डॉ श्रीकांत तिवारी को डर है कि उनकी हत्या हो सकती है। कारण लाकडाउन के दौरान अपने गांव में फंसे श्रीकांत तिवारी के भेलूपुर थाना क्षेत्र के केदारघाट स्थित किराये के आवास पर दबंगों ने ताला चढ़ा दिया है।
पिछले दस दिनों से श्रीकांत तिवारी न्याय के लिए खाक छान रहे है और एसपी सिटी के यहां दी गई अर्जी सुनवाई का इंतजार कर रही है।
दैनिक जागरण से 2008 में सेवानिवृत्त हुए श्रीकांत तिवारी का कहना है कि उनके साथ कभी भी कोई हादसा हो सकता है क्योंकि हल्के के चौकी के दारोगा का कहना है कि वो अपना समान समेटकर चले जाएं।
गौरतलब हो कि सन् 1964 से श्रीकांत तिवारी केदारघाट स्थित कुमार स्वामी मठ के एक भवन में बतौर किरायेदार रहते चले आ रहे हैं। विगत मार्च महीने में होली से पहले वो अपने गांव गये थे जहां लाक डाउन के चलते वो फंस गए। विगत 22 जून को जब वो वापस अपने आवास पर पहुंचे तो उनके कमरे पर ताला चढ़ा मिला।
जानकारी लेने पर पता चला कि उनके कमरे के ऊपर रहने वाले किरायेदार ने इस काम को अंजाम दिया है जो फिलहाल सत्ता पक्ष से जुड़े हुए हैं।
तिवारी जी का कहना है कि उनका सारा जरूरी सामान उस कमरे में है जिस पर दबंगों ने ताला जड़ रखा है। फिलहाल एक वरिष्ठ बुजुर्ग पत्रकार सड़क पर अपने जान-माल के लिए गुहार लगाता फिर रहा है। अब ये कहना मुश्किल है कि यूपी में अपराधी खौफजदा हैं या फिर आम आदमी। क्या यही है यूपी में कानून का राज?
सुनें आशियाना छिनने की कहानी, बुजुर्ग पत्रकार की जुबानी-
वाराणसी से भाष्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट.