पंकज मिश्रा-
साफ साफ बोलें तो यदि 6th pay commission के जरिये लगभग दो ढाई करोड़ लोगों ( पढ़ें 18 – 20 करोड़ आबादी ) की तनख्वाहें और पेंशन इतनी ज्यादा न बढ़ी होती तो आज न इनके पास बाइक होती , न कार होती , न ये लोन लेकर घर बनवा पाते , न अच्छे स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों की फीस भर सकते थे , न प्राइवेट इलाज करा सकते थे | सेविंग के नाम पर ढेला होता और एक बेरोजगार बेटा दस साल उम्र कम कर देता औऱ जवान होती बेटी की सूरत देख कर तकिए में मुंह छिपा कर रोते …..
भला हो मनमोहन सिंह का जिन्होंने एक झटके में तनख्वाहें लगभग दूनी कर दी … और दूसरी ओर मनरेगा ने ग्रामीण भुखमरी पर लगभग लगाम लगा दी … इसी का नतीजा था कि डॉमेस्टिक सेविंग के दम पर 2008 की महामंदी से जनता की मौत नही हुई….
मिडिल क्लास और ग्रामीण अर्थव्यस्था छठे वेतन आयोग और मनरेगा ही था जो अब तक उनकी हालत थामे हुये था … लेकिन अब जिधर देश जा रहा है उस विकास में रोजगार मिलना दूर तो खत्म होता जा रहा है , सरकारी रोजगार की बात तो छोड़ ही दीजिए …
अभी क्या है, अगले पांच सात साल में जब NPS वाले रूटीन में रिटायर होने लगेंगे तब देखिएगा कि ये व्हट्सएप ब्रिगेड जो बाप की तनख्वाह और पेंशन पर पल रही है वो अपने बूढ़े मां बाप की वो दशा करेगी उसकी कल्पना मुश्किल है |
लोग बीमार होने की कल्पना मात्र से डरेंगे, बुढ़ापे का प्रेत जवानी से ही सर पे मण्डलायेगा और पिचके हुए गालों वाले नौजवानों की पूरी फौज तैयार होने वाली है | ये सब लोग अंत मे वही DBT के आसरे भिखमंगे बना दिये जायेंगे | सम्मान निधि , गर्व निधि , गरिमा उत्सव कुछ भी भावुक नाम दे दिया जाएगा इन स्कीम्स को और आप तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो गाइयेगा और घण्टा हिलाइयेगा ….
साल दो साल और नेहरू को गाली दे लीजिये …अभी इतना समय है आपके पास ….
शीतल पी सिंह-
बजट , गाँव और किसानी
-किसानों की फसल के लाभकारी दाम देने और कर्ज मुक्ति की मांग के समक्ष पिछली साल के संशोधित बजट अनुमान 474750.47 करोड़ रुपये के मुकाबले इस बार 370303 करोड़ रुपयों का आवंटन किया है।
-ग्रामीण विकास के लिए बजट आवंटन पिछले बजट में 5.59 % था इसे घटाकर 5.23% कर दिया गया है।
-गेंहू और धान की खरीद के लिए पिछली बार 2.48 लाख करोड़ रूपये दिए गए थे जिसे इस बजट में घटाकर 2.37 लाख करोड़ कर दिया गया है। खुद सरकार मानती है कि इसके कारण जिन किसानो को लाभ मिलना है उनकी संख्या पिछली वर्ष की 1 करोड़ 97 लाख से कम होकर 1 करोड़ 63 लाख रह जाएगी।
-एफसीआई और अन्य खरीदी केंद्रों के लिए आवंटन में 28% की कमी की गयी है।
-जब खाद की कीमतों में लगातार बढ़त हो रही है तब सब्सिडी में भी 25% की जबरदस्त कटौती की गयी है।
-प्रधानमंत्री फसलबीमा योजना की रकम 16 हजार करोड़ रुपयों से घटाकर 15500 करोड़ रुपये कर दी गयी है।
-पीएम-किसान की राशि में भी 9% की कमी की गयी है। पिछली साल दावा किया गया था कि 14 करोड़ परिवार लाभान्वित होने का था , इस बार 12.5 करोड़ की बात कही गयी है। जबकि इस हिसाब से भी 6000 रु. प्रति परिवार जोड़ें तो 75000 करोड़ रूपये चाहिए थे – दिए हैं सिर्फ 68 हजार करोड़ रूपये।
-क्रॉप हसबैंड्री में कटौती 18%, खाद्य भंडारण में 28% की कटौती की गयी है।
-मनरेगा के बजट में पिछली साल संशोधित अनुमान 98000 करोड़ था – इस बार 73000 हजार करोड़ आवंटित किये गए हैं।
(summery of AIKS response on Budget 2022-23)
Very Depressed
February 3, 2022 at 10:20 pm
साल 2015, 20 फ़रवरी को एक ख़बर आई थी कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दिया और कहा कि वादे अनुसार किसानों को फसल पर 50% लाभ देना उनके बूते के बाहर है.
The government today told the Supreme Court that it was not possible to increase the minimum support price (MSP) for foodgrains and other farm produce on the basis of input cost plus 50% as it would distort the market.
The government filed an affidavit to this effect in response to the court notice on a PIL that has sought implementation of the BJP’s manifesto for the 2014 Lok Sabha election, promising a hike to ensure 50% profitability to farmers.
इस ख़बर को गोदी-मीडिया डकार गया…किसी भाजपा नेता से पूछिए तो गाली देगा या मुंह फेर के आगे बढ़ जायेगा. 2022 भी आ गया, किसानों की आय दो-गुनी हुई क्या? हम आप दिल्ली में टमाटर 40 रुपये खरीद रहे हैं, मध्य प्रदेश में किसान 2 रुपये किलो भी भाव ना मिलने से बेहतर उसे सड़क पर फेंक रहा है …
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संपादक जी, मेरा ईमेल ना साझा कीजिये, अभी सरकारी अनुबंध में हूं … 1-2 साल का काम बाकी है, कट जाये तो रोटी का इंतज़ाम हो जायेगा वरना भूखा मरने में कोई कसर बाकी नहीं है. धन्यवाद!