यूपी में मीडिया के लिए अघोषित आपातकाल है. जिले जिले में डीएम-एसपी उन पत्रकारों पर मुकदमा लिख रहे और जेल भेज रहे जो सिस्टम की पोल खोल रहा है. इससे अछूते लखनऊ के पत्रकार भी नहीं रहे. लखनऊ से प्रकाशित 4पीएम सांध्य दैनिक के संस्थापक और प्रधान संपादक संजय शर्मा ने पिछले दिनों योगी सरकार में गड़बड़ियों को लेकर कई खबरें प्रकाशित कीं. इससे नाराज सरकार ने नौकरशाहों को इशारा कर दिया है कि संजय शर्मा की नकेल कस दो.
इसी क्रम में संजय के खिलाफ कई किस्म की जांच शुरू कर दी गई है. इसमें आय से अधिक संपत्ति से लेकर मकान आवंटन आदि के मामले शामिल हैं. संजय शर्मा को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया गया. संजय शर्मा पूरे प्रकरण की शिकायत प्रेस काउंसिल आफ इंडिया में करने की तैयारी कर रहे हैं.
भड़ास4मीडिया से बातचीत में संजय शर्मा कहते हैं कि उनके खिलाफ जबरन मामला क्रिएट किया जा रहा है ताकि सिस्टम उन्हें टार्चर कर सके, प्रताड़ित कर सके. इसके पीछे मकसद बस यही है कि हम लोग सरकार के खिलाफ छापना बंद कर दें. संजय ने कहा कि उनके खिलाफ चाहें जितनी जांचें करा ले सरकार, कहीं कुछ न मिलेगा क्योंकि सांच को आंच नहीं.
यूपी में आजकल के हालात पर आजमगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह कहते हैं- ”सत्ता का दमन शुरू हो चुका है और इस दमन का शिकार केवल आम आदमी नहीं, बल्कि सच और सत्य दिखाने और लिखने वाली पत्रकारिता भी होगी? योगीराज में मिर्जापुर, फतेहपुर, सहारनपुर, नौएडा के बाद आजमगढ़ और अब लखनऊ में पत्रकारिता को दबाने और उसकी आवाज़ रोकने की पुरजोर कोशिश चल रही है। यह भी स्पष्ट होता जा रहा है कि जो सच बोलेगा, वह मारा जाएगा। तो क्या इस डर से सच बोलना और लिखना छोड़ दिया जाए? जिंदा समाज को बुजदिल समाज़ बना दिया जाए? नहीं, तन के खड़ा होने का समय आ गया है। अभिव्यक्ति के ख़तरे तो उठाने ही होगें। भीतर के बुजदिल और कायर इंसान को मारना ही होगा। समय की आवाज बननी ही होगी।
“कुछ न कुछ होगा जरूर, गर मैं बोलुंगा/
सत्ता का तिलिस्म टूटे ना टूटे/
मेरे भीतर का क़ायर टूटेगा।”
नवीन कुमार विश्वकर्मा
September 16, 2019 at 11:12 am
मेरा मानना है कि पत्रकारों को अपनी लेखनी में शब्दों का चयन सोच समझकर करना चाहिए जिससे कि सामने वाले को जैसे (इस वीडियो में जो महिला अधिकारी है) को कोई मौका न मिले या तो जब साक्ष्य हो तभी खुल कर लिखें।