खुद को सर्वश्रेष्ठ बताने वाले टीवी चैनल ‘आज तक’ को शर्मसार होना पड़ा जब 10 महीने पुराने बारिश के विडियो को दिखाकर खबर ब्रेक करने का दावा किया गया। इतना ही नहीं विडियो को एक्सक्लूसिव बताकर स्ट्रिंगर से फोन पर घटना की जानकारी भी ली गयी। ख़बर गलत होने की बात जब एडिटोरियल की समझ में आई तब स्ट्रिंगर को चैनल से चलता करने का आदेश दे दिया गया।
‘आज तक’ ने 23 जुलाई को एक खबर ब्रेक की जिसमें 38 सेकण्ड का एक विडियो भी दिखाया गया। विडियो में लाल रंग का एक ट्रक बारिश में, पुल पार करते हुए नदी में बह जाता है। चैनल के मुताबिक ख़बर महाराष्ट्र के अकोला जिले की बताई गई। नागपुर के ‘आज तक’ के स्ट्रिंगर ने इस खबर को चलवाया था। जबकि सच्चाई यह है की यह विडियो करीब 10 महीने पहले का है। यू ट्यूब पर इसे सबसे पहले 29 सितम्बर 2013 को पोस्ट किया गया था। जिसके बाद दिसंबर 2013, जनवरी 2014 को भी यह विडियो यू ट्यूब पर पोस्ट किया जा चुका है। ज़िम्बाब्वे के न्यूज़ पोर्टल ‘NEWSDZE ZIMBABWE’ पर भी यह ख़बर 29 सितम्बर को पोस्ट की जा चुकी थी।
वाट्सएप्प पर भी पिछले कुछ दिनों से यह विडियो घूम रहा था। बता दें कि महारष्ट्र के कई इलाको में पिछले दिनों खूब बारीश हुई। जब ‘आज तक’ के नागपुर स्ट्रिंगर के पास यह विडियो पहुंचा तब स्ट्रिंगर ने विडियो के बारे में सही जानकारी लेने की ज़रा भी तकलीफ नहीं की और ख़बर चैनल को भेज दी। फिर क्या था चैनल ने भी ख़बर और विडियो की विश्वसनीयता पर संदेह न करते हुए ख़बर को खूब चलाया। विडियो को ब्रेक करते हुए स्क्रीन पर बड़े-बड़े अक्षरो में उसे एक्सक्लूसिव बताते हुए स्ट्रिंगर का फोनो भी लिया गया। स्ट्रिंगर भी कहां पीछे रहता। उसने भी हवा में जमकर पतंग उड़ाते हुए खबर परोसी।
‘आज तक’ को जब तक खुद की भूल पता चली तब तक बहुत देर हो चुकी थी। खबर चल चुकी थी। डेमेज कंट्रोल करने के लिए नागपुर स्ट्रिंगर को तत्काल प्रभाव से हटाया गया। साथ ही वेबसाइट से भी इस खबर को हटाया गया।
हद तो तब हुई जब भेड़चाल की इस इंडस्ट्री में बाकी चैनलों ने भी ‘आज तक’ की नक़ल करते हुए इस खबर को चलाया। ‘आज तक’ ने तो अपने स्ट्रिंगर पर कार्यवाही की। क्या बाकी चैनल अपने रिपोर्टरो पर कुछ कार्यवाही करेंगे यह सवाल अभी भी कायम है। नदी में गिरता हुए ट्रक का विडियो किस जगह का है यह अभी तक साफ़ नहीं है। लेकिन खबर को बिना कन्फर्म किये चलना कहा तक उचित है। नए-नए लोगों के हाथ में माइक देने का हश्र क्या होता यह इस घटना से साबित होता है। ऐसी खबरों के बाद अगर पूरे टीवी मीडिया की विशसनीयता पर उंगली उठती है तो इसमें गलत क्या है?
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एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित।