Tabish Siddiqui : ये आपको लगता है कि सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवादी डर जायेंगे.. ये आपको लगता है कि जम के गोला बारूद चल जाए तो वो सब डर जायेंगे.. और जैसी आपकी समझ है वैसी ही आपके राष्ट्रवादी नेताओं की है.. तभी आप इन्हें चुनते हैं और आप सोचते हैं कि ये आतंकवाद से आपकी रक्षा कर लेंगे.. ये भ्रम है आपका.. ये कभी आतंकवाद ख़त्म नहीं कर पायेंगे… अमेरिका बरसों लड़ता रहा अफगानिस्तान में.. सैकड़ों सैनिक अपने गँवाए और क्या हाथ लगा उसके? लादेन को मार दिया तो आतंकवाद ख़त्म हो गया क्या? नहीं.. ये ऐसे नहीं ख़त्म होगा.. ऐसे आप कभी आतंकवाद ख़त्म नहीं कर पायेंगे.
गौर से देखिये उन लोगों को जो भारत में आये दिन नए नए संगठनों का निर्माण करते हैं.. ये हिन्दू संगठन, वो हिन्दू संगठन.. फलानी सेना ढिमाकी सेना.. और आप उन सेनाओं और संगठनों को ज्वाइन करते हैं.. आपको लगता है कि ये आतंकवाद से लड़ेंगे, और देश और दुनिया से आतंकवाद ख़त्म कर देंगे.. सोचिये इस पर और ध्यान दीजिये कि इनमे से कितनी सेना या संगठनों ने आज तक एक भी आतंकवादी से पंगा लिया है.. आतंकवादी से पंगा तो छोडिये, ये देखिये कि इन्होने कितने कट्टर जेहादी टाइप मासिकता वालों को सभ्य बना दिया है? एक भी नहीं.. उल्टा ये संगठन खाद पानी होते हैं कट्टर मानसिकता के लिए.. सौ प्रतिशत संगठन बनाने वालों को या तो MLC बनना होता है या MLA.. सौ प्रतिशत.. इनको सिर्फ़ राजनैतिक उंचाईयां छूनी होती है बस.. इसलिए इन गधों के बारे में तो बात ही करना बेकार है एक तरह से.. इसलिए सबसे पहला काम आप ये कीजिये कि इनकी ओर देखना बंद कीजिये.. ये आप कीजियेगा तो आप आतंकवाद से लड़ने की की सीढ़ी का एक पायदान चढ़ चुके होंगे.
ठीक है.. अब आप पूछेंगे कि ये संगठन आतंकवाद ख़त्म नहीं कर सकते, सेना आतंकवाद ख़त्म नहीं कर सकती, मोदी आतंकवाद ख़त्म नहीं कर सकते तो फिर कौन ख़त्म करेगा आतंकवाद.. बिलकुल ठीक पूछा आपने.. असल मुद्दा यही होना चाहिए और हम सबको बस इसी पर बात करनी चाहिए कि ये ख़त्म कैसे होगा फिर?
देखिये.. अमेरिका हमसे कहीं ताक़तवर देश है हर मामलों में.. उसने आतंकवाद पर बड़ी खुली लड़ाई लड़ी है.. लगभग सारे इस्लामिक मुल्क और सारे जिहादी मानसिकता वाले अमेरिका के दुश्मन हैं.. और अमेरिका सैनिक कार्यवाई करते करते अब थक चुका है.. और उसने जान लिया है कि वो इस मानसिकता से गोला और हथियार से नहीं लड़ सकता है.. इसलिए अब उसकी रणनीति बदल रही है..
अमेरिका समेत तमाम यूरोपियन देशों की रणनीति आतंकवाद को लेकर बदल रही है.. अब वो लिबरल और इंसानियत पसंद मुसलामानों को अपना दोस्त बना रहे हैं.. हर उस मुसलमान को वो अब सपोर्ट कर रहे हैं जो अपने धर्म में रिफार्म की वकालत करता हो.. क्यूंकि सारा यूरोप जान चुका है कि आतंकवाद से अगर कोई लड़ पायेगा तो वो स्वयं मुसलमान ही है.. दूसरा कोई नहीं.. रिफार्म अगर आएगा इस्लाम के भीतर तो वो मुसलामानों से ही आएगा.. दूसरा कोई भी रिफार्म के लिए खडा होगा तो वो इस्लाम का दुश्मन मान लिया जाएगा और सब डिफेंसिव मोड में आ जायेंगे.. इसलिए इस बात पर बहुत ध्यान दीजिये.
आतंकवाद से अगर कोई भी लड़ पायेगा तो वो स्वयं मुसलमान ही होगा.. और ये कैसे पॉसिबल होगा इस पर बहुत विस्तार से चर्चा करनी होगी.. ये काम थोडा धीरे होगा मगर यही वो काम है जो आतंकवाद को जड़ से ख़त्म करेगा.. अगर आप सब इस पर चर्चा करना चाहते हैं तो फिर मैं इस मुद्दे पर और आगे लिखूंगा.. नहीं तो आप करते रहिये सर्जिकल स्ट्राइक और खुश रहिये ये सोचकर कि आप आतंकवाद से लड़ लिए.. और आने वाले बरसों में भी इसी तरह सैनिक और आम लोग मरते रहेंगे.
सोशल मीडिया के चर्चित और प्रगतिशील लेखक ताबिश सिद्दीकी की एफबी वॉल से.
Shekhar
February 17, 2019 at 5:43 pm
क्या बेवकूफी वाली बात कर रहे हैं।अमेरिका ने अपने सारे दुश्मनों का ठिकाना लगा दिया है लादेन को मार डाला सद्दाम को मार डाला उत्तर कोरिया को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया । सरिया को तबाह कर दिया। सब को ठिकाने लगाने के बाद शांति की बात कर रहा है
Mahendra
February 19, 2019 at 2:03 pm
उतर कौरिया के आगे अमेरिका ने घुटने टेक दिए है।