Bibhas Kumar Srivastav-
एप्पल और गूगल ने मिलकर भारत के सर्विस सेक्टर की क़ब्र खोद दी है। एक बड़े बदलाव के तहत अब एंड्राइड और आईफ़ोन के एप से ख़रीदे जाने वाले वर्चुअल कंटेंट का पेमेंट सिर्फ़ और सिर्फ़ गूगल या ऐपल के माध्यम से किया जा सकेगा।
वर्चुअल कंटेंट का मतलब है गाने के ऐप, OTT, ईबुक के ऐप इत्यादि जो आपको कोई फिजिकल कंटेंट डिलीवर नहीं करते। वर्चुअल कंटेंट बेचने वाले किसी भी ऐप को कोई और पेमेंट गेटवे जोड़ने का ऑप्शन हटाना ज़रूरी कर दिया गया है।
अब गूगल हर ट्रांजेक्शन पर (1 मिलियन तक 15% उससे ऊपर 30%) और ऐपल हर ट्रांजेक्शन पर सीधा 30% का चार्ज एप्लीकेशन से लेगा। अब बात सिर्फ़ वर्चुअल सेवा देने वाली कम्पनियों को ही नहीं है, कई पेमेंट कंपनियों को भी इससे बहुत बड़ा नुक़सान होगा। यह कंपनियाँ बहुत कम मार्जिन कर बहुत अच्छा काम कर रही थीं लेकिन अब इनके बिज़नेस पर सिर्फ़ ऐपल और गूगल का एकाधिकार होगा।
सेवा क्षेत्र के व्यवसाय पर इसका असर स्वाभाविक है। उदाहरण के तौर पर किसी भी प्लेटफ़ॉर्म को ले लें। अगर ₹100 का एक कंटेंट आप ख़रीदते हैं तो वह प्लेटफ़ॉर्म गूगल को ₹15 देगा(transaction charge), 5% GST सरकार को देगा और 60% की रॉयल्टी कंटेंट के मालिक को। इस तरह एंड्राइड के लिये उस कम्पनी के पास सिर्फ़ और सिर्फ़ 20% बचेगा और ऐपल के लिए मात्र 5%। इस बदलाव से भारतीय कंपनियों को एक बड़ा नुक़सान होने वाला है।
कई स्टार्ट अप कम्पनियाँ तुरंत बंद हो जाएँगी। पेमेंट क्रांति के अन्तर्गत खड़ी की गई सभी कम्पनियाँ बैठ जाएँगी। इन कम्पनियों को दिए गए बैंक लोन डूबेंगे और फँसेगा इनको लोन जारी करने वाला बैंकर। कम्पीटीशन कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया क्या करता है देखना पड़ेगा। पिछले हफ़्ते ही मैंने लिखा था गूगल, एपल, फ़ेसबुक, एक्स, एडोब आदि दुनिया के असल तानाशाह हैं। सुनने में आया है कि यह परिवर्तन सिर्फ़ भारत और दक्षिण कोरिया के लिए किया गया है। बाक़ी देश शायद मोर्चा ले लिए हैं। पूरी दुनिया अब एंड्रॉयड और आईफ़ोन में क़ैद है।