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अरविंद श्रीवास्तव, मनोज लोहानी, मालचंद तिवाड़ी और रवीश कुमार के बारे में सूचनाएं

दैनिक जागरण लुधियाना एक बार फिर से चर्चा में है। इस अखबार ने अपने सीनियर चीफ रिपोर्टर अरविंद श्रीवास्तव को एक नया पद देते हुए वरिष्ठ मुख्य संपादक बना दिया है। दैनिक जागरण में अभी तक सिर्फ प्रधान संपादक एवं ग्रुप एडिटर का ही पद था। लेकिन एक चीफ रिपोर्टर को इतना बड़ा पद देना कहीं मजीठिया आयोग का असर तो नहीं? इस चीफ रिपोर्टर को वरिष्ठ मुख्य संपादक बनाए जाने से लुधियाना की मीडिया में काफी चर्चा है।

<p>दैनिक जागरण लुधियाना एक बार फिर से चर्चा में है। इस अखबार ने अपने सीनियर चीफ रिपोर्टर अरविंद श्रीवास्तव को एक नया पद देते हुए वरिष्ठ मुख्य संपादक बना दिया है। दैनिक जागरण में अभी तक सिर्फ प्रधान संपादक एवं ग्रुप एडिटर का ही पद था। लेकिन एक चीफ रिपोर्टर को इतना बड़ा पद देना कहीं मजीठिया आयोग का असर तो नहीं? इस चीफ रिपोर्टर को वरिष्ठ मुख्य संपादक बनाए जाने से लुधियाना की मीडिया में काफी चर्चा है।</p>

दैनिक जागरण लुधियाना एक बार फिर से चर्चा में है। इस अखबार ने अपने सीनियर चीफ रिपोर्टर अरविंद श्रीवास्तव को एक नया पद देते हुए वरिष्ठ मुख्य संपादक बना दिया है। दैनिक जागरण में अभी तक सिर्फ प्रधान संपादक एवं ग्रुप एडिटर का ही पद था। लेकिन एक चीफ रिपोर्टर को इतना बड़ा पद देना कहीं मजीठिया आयोग का असर तो नहीं? इस चीफ रिपोर्टर को वरिष्ठ मुख्य संपादक बनाए जाने से लुधियाना की मीडिया में काफी चर्चा है।

 

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मनोज लोहनी ने सक्रिय पत्रकारिता मे वापसी करते हुए दैनिक जागरण हल्द्वानी मे वरिष्ट उप संपादक के पद पर जॉइन कर लिया है. रसायन शास्त्र से परा स्नातक और कुमायूनी गायक वादक  मनोज पिछले 14 वर्षों से अमर उजाला, जागरण, हिंदुस्तान में विभिन्न पदो पर रहे हैं और पिछले एक साल से जनपक्ष पत्रिका में सह संपादक थे.

राजकमल प्रकाशन के 66वें स्थापना दिवस के अवसर पर राजकमल प्रकाशन सृजनात्मक गद्य सम्मान (वर्ष 2014-15) मालचन्द तिवाड़ी की कथेतर कृति ‘बोरूंदा डायरीः अप्रतिम बिज्जी का विदा-गीत’ व रवीश कुमार के लघु प्रेम कथा ‘इश्क़ में शहर होना’ को दिया गया. राजकमल प्रकाशन में यह पहला साल है जब यह सम्मान दो कृतियों को संयुक्त रूप से दिया जा रहा है.

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डॉ. नामवर सिंह की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने दो कृतियों को इस पुरस्कार के लिए चयन किया. निर्णायक मंडल के सम्मानित सदस्य थे- वरिष्ठ कथाकार विश्वनाथ त्रिपाठी एवं मैत्रेयी पुष्पा. इससे पहले यह पुरस्कार क्रमशः ‘चूड़ी बाजार में लड़की’ (कृष्ण कुमार), ‘ गांधीः एक असंभव संभावना’ (सुधीर चन्द्र), ’व्योमकेश दरवेश’ (विश्वनाथ त्रिपाठी) को दिया जा चुका है. पुरस्कार स्वरूप पुरस्कृत लेखक को श्रीमती शांति कुमारी बाजपेयी की स्मृति में उनके परिवार द्वारा 1 लाख रुपये की पुरस्कार राशि और राजकमल प्रकाशन द्वारा सम्मान पत्र भेंट किया जाता है.

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