सर्जना शर्मा-
समय कैसे बदलता है और उसके साथ लोग कैसे बदल जाते हैं ये 2014 के बाद से खूब देखने को मिल रहा।
एक ज़माना था मीडिया हॉऊसेज में न्यूज़ रूम में सबसे ज्यादा प्रताड़ित, उपेक्षित और अपमानित कोई होता था तो वे थे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ पारिवारिक पृष्ठभूमि से जुड़े मेरे जैसे पत्रकार। जिनको तमाम मेहनत के बाद न प्रोमोशन मिलती थी ना ही अच्छा इंक्रीमेंट।
यदि कोई आऊट पुट एडिटर मेरे काम की तारीफ लिख देता था तो संपादक महोदय उसे गायब करवा कर कह देते थे आपकी वार्षिक रिपोर्ट बुकलेट गुम हो गयी है दोबारा भर दीजिए।
ऐसा इसलिए क्योंकि उनको मेरी ग्रेंडिंग कमतर करके मुझे नीचा दिखाना था। सरे आम न्यूज़ रूम में बात बात पर कहा जाता था- हम कोई राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से हैं क्या।
आज वही संपादक लोग संघ के तलवे चाटते हैं और ये साबित करते फिरते हैं कि कैसे वे बचपन से संघी हैं।
आज मैं उन्हीं सब संपादकों को संसद भवन में संघी सांसदों और मंत्रियों के सामने “त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव विद्या च द्रविणम त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव” भाव से करबद्ध नतमस्तक देखती हूं तो यकीन नहीं आता ये वहीं संपादक हैं जिनको आर एस एस के एस से भी घनघोर नफरत थी।
Yashwant Singh- एकाध का नाम खोलिए
Sarjana Sharma- छोडिए यशवंत जी सब बड़े दिग्गज नाम हैं। आज वे पूरी तरह से साबित करने में शर्म नहीं करते कि उनका परिवार संघ से कैसे जुड़ा था। कैसे उनके पिता दादा आलाना फलाना संघ की शाखाओं में जाते थे। कुछ बातों का उत्तर समय देता है। दिल तो करता है संसद भवन में उनके पास जा कर अब पूछू कहो मिस्टर मौक़ापरस्त पलटू राम कैसे हो अब रंगे सियार कहीं के!
Ajit Wadrenkar- इनमें अनेक ऐसे भी हैं जो कांग्रेसियों के भी छुप छुप कर चरण छूते हैं।
Shambhunath Shukla
August 10, 2023 at 1:48 pm
ऐसे संपादकों के नाम सार्वजनिक करिये। कम से कम पता तो चले कि रीढ़विहीन संपादक कौन-कौन से हैं।
Rahul Sisodiya
August 14, 2023 at 7:39 am
ऐसे ही संपादको व मीडिया घरानों की दलाली की वजह से पत्रकार और पत्रकारिता स्वतंत्र नही है। इन्ही दलालों की वजह से कोई भी पत्रकारों का घण्टा बजाके चलता बनता है।
राहुल सिसौदिया
8989161009