Connect with us

Hi, what are you looking for?

सुख-दुख

दिवाली के पटाखों ने निकाला बनारस की आबोहवा का दिवाला

इस दिवाली भी जारी रहा बनारस का पटाखों से प्यार, शहर की वायु गुणवत्ता 8 गुणा प्रदूषित

पटाखों का आकर्षण और कचरा जलाने की मजबूरी ने शहर को बनाया गैस चेंबर

Advertisement. Scroll to continue reading.

कोविड से कमजोर हो चुके फेफड़ों पर घातक असर, प्रशासन की ओर से इंतजाम नाकाफी,

शहर के 10 जगहों पर हुई निगरानी, शिवपुर, सोनारपुरा सबसे अधिक प्रदूषित, रविन्द्रपुरी रहा तुलनात्मक रूप से साफ़

Advertisement. Scroll to continue reading.

क्लाइमेट एजेंडा की ओर से पिछले 5 वर्षों की तरह इस वर्ष भी दिवाली के दौरान बनारस की आबोहवा की निगरानी की गयी. इस निगरानी के आधार पर आज दिनांक 6 नवम्बर 2021 को जारी रिपोर्ट में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार शिवपुर सबसे अधिक प्रदूषित रहा, जबकि सोनारपुरा, पांडेयपुर और मैदागिन क्रमशः दूसरे, तीसरे व चौथे स्थान पर सबसे अधिक प्रदूषित क्षेत्र रहे. पिछली दिवाली की तरह इस बार भी रविन्द्रपुरी क्षेत्र तुलनात्मक रूप से सबसे साफ़ रहा, साथ ही साफ आबोहवा के मामले में लंका क्षेत्र भी रविन्द्रपुरी के बाद दूसरे स्थान पर रहा. निगरानी के दौरान प्राप्त पी एम् 10 और पी एम् 2.5 के आंकड़े यह बताते हैं कि पटाखों से शहर वासियों के प्यार ने बच्चों, वरिष्ठ नागरिकों की सेहत के साथ खिलवाड़ किया, बल्कि कोविड व अन्य सांस रोगों (सी ओ पी डी) के कारण पहले से ही कमजोर लंग्स से जूझ रहे व्यक्तियों को खतरनाक स्थतियों से भी जूझना पडा.

शहर के दस विभिन्न इलाकों में दिवाली की रात 2 बजे से अगली सुबह 8 बजे तक वायु गुणवत्ता जांच करनी वाली मशीनों के सहारे यह निगरानी की गयी. प्राप्त आंकड़ों के बारे में बताते हुए क्लाइमेट एजेंडा की मुख्य अभियानकर्ता एकता शेखर ने बताया “पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी दीपावली पर पी एम् 10 मुख्य प्रदूषक तत्व रहा. बनारस के शिवपुर क्षेत्र में इस दिवाली पी एम् 10 अधिकतम 798 यूनिट प्रति घनमीटर के आंकड़े तक पहुंचा जो कि भारत सरकार के अनुमन्य स्तर की तुलना में 8 गुना अधिक प्रदूषित है. इस इलाके में पी एम् 2.5 का स्तर 401 पाया गया जो अनुमन्य स्तर की तुलना में 6.5 गुना अधिक प्रदूषित है. इसी प्रकार, सोनारपुरा में पी एम् 10 और पी एम् 2.5 क्रमशः 7 एवं 6 गुना अधिक प्रदूषित पाया गया. तीसरे नंबर पर पांडेयपुर क्षेत्र रहा जो कि अनुमन्य स्तर की तुलना में लगभग 7 गुना (पी एम् 10), व् 6 गुना (पी एम् 2.5) अधिक प्रदूषित रहा. (देखें संलग्न टेबल)

मुख अभियानकर्ता एकता शेखर के अनुसार यह आंकड़े पुनः यह साबित करते हैं कि जिला प्रशासन और क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बनारस की हवा में घुलते जहर एवं मानक स्वास्थ्य पर पड़ते दूरगामी और तात्कालिक प्रभावों को को गंभीर समस्या नहीं मानता है. कचरा प्रबंधन में कमी के कारण आम लोग कचरा जलाने को बाध्य हैं, और जागरूकता एवं नियमों के कडाई से अनुपालन के अभाव में आम जनता प्रदूषित आबोहवा में सांस लेने को अभिशप्त बनी हुई है.

Advertisement. Scroll to continue reading.

यह आंकड़े बताते हैं कि शहरी कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से मौजूद संकट और सडकों की धुल ने पटाखों से पैदा होने वाले प्रदूषण को कई गुना बढ़ा दिया. एकता शेखर ने बताया: प्रदूषण की रोकथाम और आम आदमी के व्यवहार परिवर्तन के लिए बेहद जरुरी है कि प्रशासन के तरफ से न केवल जागरूकता कार्यक्रम चलाये जाएँ, बल्कि किसी भी क्षेत्र में कचरा जलाए जाने की घटनाओं को कडाई से रोकने के साथ साथ नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर कारर्वाई की जाए. अन्यथा, पटाखे और अकुशल कचरा प्रबंधन के कारण बनारस हर वर्ष दिवाली से लेकर होली तक गैस चेंबर बने रहने के लिए अभिशप्त बना रहेगा.

द्वारा जारी

Advertisement. Scroll to continue reading.

सानिया अनवर,

क्लाइमेट एजेंडा, उत्तर प्रदेश.

Advertisement. Scroll to continue reading.
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement

भड़ास को मेल करें : [email protected]

भड़ास के वाट्सअप ग्रुप से जुड़ें- Bhadasi_Group_one

Advertisement

Latest 100 भड़ास

व्हाट्सअप पर भड़ास चैनल से जुड़ें : Bhadas_Channel

वाट्सअप के भड़ासी ग्रुप के सदस्य बनें- Bhadasi_Group

भड़ास की ताकत बनें, ऐसे करें भला- Donate

Advertisement