Yashwant Singh : इस दफे अपने होम टाउन ग़ाज़ीपुर गया तो नहीं पता था कि मुझ पर ही गाज़ गिरने वाली है. स्कूटी से घूमने टहलने का मेरा नया शौक मुझ पर भारी पड़ा. रात आठ बजे शहर में एक तेज रफ्तार कार ने पीछे से स्कूटी में टक्कर मार दी और अपन हवा में उड़ चले.
अभी तो बेड रेस्ट पर हूं लेकिन मोबाइल से रेस्ट कहां. गैलरी में फोटो वीडियोज देखते देखते एक ऐसे वीडियो पर अटक गया जिसमें मैं भड़ास आश्रम में खाना पकाते हुए ज्ञान की वर्षा कर रहा हूं… 🙂
ये वीडियो दुर्घटना के एक दिन पहले रिकार्ड किया गया था.
दुर्घटना के बाद महान संत गोरख बाबा के बारे में सुन रहा हूं, ओशो के मुंह से. रोजाना चार चार घंटे सुनता हूं. उसी दरम्यान गोरख की लाइन ”मरो हे जोगी मरो….” दिल-दिमाग में चढ़ गई. इसे गुनगुनाते हुए धुन तैयार करने लगा. एक धुन कुछ ठीक सी लगी तो उसे गाते हुए आडियो रिकार्ड किया और पकाने (अन्न और बात, दोनों) के वीडियो में घुसेड़ दिया.
वैसे, मेरी दिनचर्या में कोई खास बदलाव दुर्घटना की वजह से नहीं आया है… रोजाना ही पका रहे हैं…
आज भी पकाए. पकाने-गाने के दौरान ही डाक्टर साहब आ गए तो वे भी गुनगुनाते आ रहे थे… मरो हे जोगी मरो…. संयोग से उस समय मेरे मित्र उमेश जी रिकार्डिंग में जुटे हुए थे, सो डाक्टर साहब भी कैमरे की ज़द में आ गए.
देखें आज का वीडियो….
ये वीडियो है दुर्घटना से ठीक एक रोज पहले का….
भड़ास एडिटर यशवंत की एफबी वॉल से.
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