Nidhi Mishra : उन्होंने तीस पार औरतों पर “तीसी सो खीसी” कह चुटकुले बनाए और आप……आप हंसी…
क्योंकि आप तीस नहीं सोलह बरस की किशोरी थीं।
फिर उन्होंने सोलह साला लड़कियों की चपलता, भावुकता,कमनीयता पर चुटकुले बनाए……
और आप हंसी…
क्योंकि अब आप १६ बरस की नादान छोकरी नहीं तैंतीस की परिपक्व (?) औरत थीं।
उन्होंने सपाट छाती वाली औरतों पर “ब्रेस्ट है या पिंपल” वाले चुटकुले बनाए
और आप हंसी……आपको नाज़ था अपने उभारों पर
उन्होंने भरे बदन वाली आपकी सहेली पर “चोली के पीछे क्या है” गाते हुए ताना कसा
और आप…..हंसी,
कि इकहरे बदन की आप दुपट्टे से अपने वक्ष को ढंके, उनसे “शालीनता” का सर्टिफिकेट लेकर इत्मीनान से थीं!
उन्होंने काली औरतों, मोटी औरतों पर चुटकुले बनाए,मीम बनाए…..
और आप हंसी…….
आप ने हंस हंस के फारवर्ड किए क्योंकि आप गोरी चिट्टी और छरहरी थीं।
आपके पति/ब्वाय फ्रेंड ने मुसलमान औरतों पर “कहती हैं बुरका और पहनती हैं सर पर” या “आहिस्ता करो भाई जान” वाला चुटकुला सुनाया और आप फिक्क से हंस पड़ी क्योंकि आप औरत तो थीं, लेकिन मुसलमान नहीं।
उन्होंने ने ट्रांस जेंडर औरतों , समलैंगिक औरतों की यौनिकता पर चुटकुले बनाए…..
और आप हंस दी……क्यूंकि कुरान-पुराण-बाईबिल ने आपको समलैंगिकता के “नार्मल” होने की समझ नहीं दी।
उन्होंने ने अनपढ़ औरतों ,गंवई औरतों, काम वाली बाईयों पर चुटकुले बनाए…..
और आप हंस दीं…….
क्योंकि आप बाई नहीं babe/bae थीं, मालकिन थीं और पढ़ी लिखी थीं!
उन्होंने सोनिया,स्मृति,सुषमा,रेणुका सहित राजनीति में तमाम औरतों के चरित्र को चुटकुला बना दिया…..
और आप फिर हंसी,
क्यूंकि आप apolitical, career oriented, good girl हैं!
उन्होंने ने जे एन यू की लड़कियों पर चुटकुले बनाए….. आपने बढ़-चढ़कर सुनाए……
क्योंकि आप जे एन यू की लड़की नहीं।
और फिर एक दिन यूं हुआ कि ……
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उन्होंने आपको “बाई” कह कर आपका मज़ाक उड़ा दिया
….. क्यूंकि आप बाई की मालकिन(“हाउसवाइफ”)
भले हों लेकिन आपके मालिक तो वही हैं!
आप रुआंसी हुई,तमतमाईं और कमर कस कर घर से बाहर निकल आईं।
आपने कालेज मे टाप किया तो उन्होंने ने हंस कर कहा कि लड़कियां तो मुस्कुरा कर नंबर ले लेती हैं!
आप फिर भी मुस्कुराईं क्योंकि यह तो मज़ाक था।
आपकी सहेली को प्रमोशन मिला तो वो बोले कि क्लीवेज दिखाकर और बास के साथ सो कर मिला!
आप अपने प्रमोट ना होने से दुःखी थीं, सो नज़र अंदाज़ कर गईं!
आप gynaecologist हैं, उन्होंने आपको “दाई” कह दिया…
आपने अपमानित महसूस किया, लेकिन “रिश्ते” बनाए रखने के लिए कुछ बोले बिना आप वहां से हट गईं!!
उन्होंने ने “मेरी काम” के पति होने की बेचारगी पर चुटकुले बनाए
और आप हंस दीं ……
क्योंकि आप “सफलता” के लिए “नारीत्व” को छोड़कर “मर्दाना” हुई औरतों को समझ नहीं पा रही थीं।
उन्होंने ने मीटू में बोलने वाली औरतों पर चुटकुले बनाए और आप लग गई फारवर्ड करने में क्योंकि आपके साथ कभी ऐसा हुआ नहीं!
उन्होंने औरतों को झगड़ालू, शंकालु, ईर्ष्यालु, लालची, कमअक्ल होने पर चुटकुले बनाए और आप उनके साथ हंसती रहीं…..क्योंकि “स्पोर्टिंग” होना भी तो ज़रूरी है!
और अब जब उन्होंने ने आपकी शिक्षा, आपकी कमाई, आपके सपनों, आपकी उड़ानों, आपके हौसलों, आपकी इच्छाओं, आपकी यौनिकता, आपके प्रेम, आपकी च्वायस…..आपके अस्तित्व और आपके जीवन को ही चुटकुला बना दिया है….
अब जब उनके लिए बलात्कार चुटकुला है….
एसिड अटैक चुटकुला है….
आपके अधिकार चुटकुला हैं…..
आपका आवाज़ उठाना चुटकुला है…
तब आप सर को हाथों में थामे सोच रही कि…….
“ये ऐसे क्यूं हैं?”
नोट :- इस पोस्ट का कोई भी पात्र काल्पनिक नहीं है। हर वाक्य किसी ना किसी सत्य घटना पर आधारित है।
PoliticsOfHumor, HumorIsASeriousMatter
निधि मिश्रा की एफबी वॉल से.
Sudhir kaushik
February 18, 2020 at 9:25 pm
निधि मिश्रा की एफ बी वॉल से ली पोस्ट पढ़ी सच ही कहा ये सब पात्र अपने आसपास के ही हैं वो भी बहुतायत में…. कोई समझे तो..।