प्रदेश भर में चल रहे राजकीय आर्युवेदिक और यूनानी चिकित्सालय न सिर्फ बदहाल हैं बल्कि लूट के अड्डे बने हुए हैं। इन अस्पतालों में दसकों से तैनात चिकित्सक और कर्मचारी दलाली की मलाई काट रहे हैं। इन अस्पतालों को दवा आपूर्ति से लेकर अन्य सुविधाओं के नाम पर मिलने वाले करोड़ो का बजट किसके पेट में जा रहा है, ये इन अस्पतालों में जाकर वहां के हालात और कर्मचारियों की कार्यप्रणाली को देखकर समझा जा सकता है। जौनपुर के शाहगंज स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय इन दिनों बाबू, डाक्टर और कर्मचारियों की मिलीभगत से खुली लूट का केन्द्र बना हुआ है। दवाओं की आपूर्ति से लेकर अन्य मामलों में यहां बड़ी खामियां है। यहां मरीजों का कल्याण सिर्फ कागजों पर हो रहा है।
बसपा से भाजपा में गये और फिलहाल आयुष मंत्री बने धर्म सिंह सैनी के साथ कई किस्म के आरोपों से घिरा बाबू इशरत हुसैन (चश्मे में, तीर से निशान बना हुआ है)।
जौनपुर के शाहगंज स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में पिछले 25 वर्षों से तमाम स्थानांतरण नीति को ताक पर रखकर इशरत हुसैन नामक एक बाबू लगातार अपनी मनमानी चला रहा है। इसने तो पूरे कार्यालय को ही कचहरी के पास हुसैनाबाद से हटाकर एक वर्ग विशेष की आबादी वाले इलाके रासमण्डल में लेकर चला गया है, ताकि इसकी मनमाना पूरी तरह खुल कर चल सके। चर्चा तो इस बात को लेकर भी है कि इसकी पहुंच सरकार के मंत्रियों तक है।
जौनपुर के शाहगंज स्थित इसी राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय में तैनात डा. विजय प्रताप का प्रदेश सरकार के आयुष विभाग द्वारा खमरिया भदोही में रिक्त चिकित्साधिकारी के पद पर स्थानान्तरण किया गया लेकिन वो यहां से टस से मस होने का नाम नहीं ले रहे हैं। ये चिकित्सक महोदय को खुद को कानून से परे समझते हैं। हाईकोर्ट ने इन्हें विगत 17 मार्च को ही कार्यमुक्त हो जाने का आदेश दिया है। पूरा मामला तब सामने आया जब यहां चिकित्साधिकारी के पद पर तैनात डा. श्रीप्रकाश सिंह ने यहां चल रहे लूट-खसोट में हिस्सेदार बनने से मना कर दिया। बकौल श्रीप्रकाश सिंह, यहां बड़े पैमाने पर सरकारी धन के लूट का खेल चल रहा है। 21 शैया वाले जिले के सबसे बड़े इस अस्पताल में मरीजों को सुविधा के नाम पर कुछ नहीं दिया जा रहा है। सरकारी पैसे के लूट की खुली छूट यहां मिली हुई है।
डाक्टर श्रीप्रकाश सिंह ने प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा से लेकर आयुष विभाग के आला अधिकारियों तक को दर्जनों पत्र लिख कर यहां चल रहे भ्रष्टाचार की जांच कराने की मांग की लेकिन कहीं कुछ नहीं हो रहा। करप्शन से लड़ रहे इस डाक्टर की आवाज नक्कारखाने में तूती साबित होती दिख रही है। डा. सिंह की माने तो बलिया से यहां आने के बाद से ही उन्हें खामोश रहने की धमकिया दी जा रही हैं। कार्यवाहक क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी के पद पर डाक्टर श्रीप्रकाश की नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय द्वारा आदेश दिये जाने के बाद भी उन्हें तैनाती नहीं दी जा रही है।
यहां चल रहे भ्रष्टाचार के खेल का छोटा सा नमूना इस बात से समझा जा सकता है कि 15 मई के दिन अस्पताल के रिकार्ड में 20 थर्मामीटर की आपूर्ति दर्शायी गयी है। दूसरी तरफ उसी दिन इन थर्मामीटरों को कार्य करते समय खराब होने की बात भी कही जा रही है।
डा. श्रीप्रकाश सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई सारे पत्र लिखे हैं। योगी सरकार भी भ्रष्टाचार के मामलों में जीरो टालरेंस की नीति अपनाने की घोषणा कर चुकी है। ऐसे में डा. श्रीप्रकाश के आरोपों की जांच कराकर दोषी और भ्रष्ट कर्मियों को दंडित किया जाना जरूरी है ताकि आम जन को उनका हक मिल सके।
बनारस से भाष्कर गुहा नियोगी की रिपोर्ट. संपर्क : [email protected]