चुनाव से पहले ही प्रत्याशी को सरकार में मंत्री पद की शपथ दिला देना, वैसे तो यह सुनने में ही बड़ा अजीब लगा था लेकिन जब सच्चाई जब पता लगी तो तो देखा कि सच मैं राजस्थान में ऐसा हाल ही मैं हुआ है।
राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं। चुनाव के दौरान श्रीकरणपुर सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन हो गया था। इस वजह से इस सीट पर चुनाव नहीं हो पाया था। अब चुनाव आयोग ने 5 जनवरी को यहां वोटिंग निर्धारित की है।
इसी बीच भाजपा ने यहां जबरदस्त खेल कर दिया है। आज ही राजस्थान में मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है। इस विस्तार में श्रीकरणपुर सीट से उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को राज्यमंत्री ( स्वतंत्र प्रभार ) पद की शपथ दिला दी गई है।
इसके बाद राजस्थान की सियासत गरमा गई है। कांग्रेस ने इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन बताया है। कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि भाजपा का अहंकार सातवें आसमान पर है। हालांकि बीजेपी ने इस मसले पर कांग्रेस को भारतीय संविधान के आर्टिकल 164(4) की याद दिलाई है। बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि इस आर्टिकल के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना निर्वाचित हुए भी 6 माह तक मंत्री पद धारण करने का अधिकार है।
इस प्रावधान के अनुसार मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल किसी भी व्यक्ति को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। शपथ ग्रहण के 6 महीने के भीतर राज्य विधानमंडल का सदस्य बनना जरूरी होता है।
वहीं उन्होंने यह भी बताया कि संविधान की तीसरी अनुसूची के अनुसार शपथ ग्रहण किसी भी प्रकार की आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है।
बीजेपी नेता के इस बयान के जवाब में पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने आदर्श आचार संहिता के बिंदु संख्या 32 के भाग D की ओर ध्यान आकृष्ट किया है और बताया है कि इसमें स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि सत्तारूढ़ पार्टी के पक्ष में मतदाता को प्रभावित करने के लिए सरकार में की गई नियुक्ति आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगा।
विजय सिंह
December 31, 2023 at 2:49 pm
“समरथ के नहीं दोष गोसाईं “