शीतल पी सिंह-
मैं देश नहीं बिकने दूँगा… PTI की खबर देखें-
“Cabinet note issued for 100% FDI in BPCL disinvestment. The proposal if approved,would facilitate privatisation of India’s second biggest oil refiner BPCL.The government is selling its entire 52.98% stake in the company.”
1952 में भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड की नींव पड़ी थी । देश की सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी पेट्रोलियम कंपनी है । उपरोक्त खबर के अनुसार दुनिया के बाज़ार में बेचने के लिये खड़ी कर दी गई है । एस्सार नामक प्रायवेट पेट्रोलियम कंपनी पहले ही रूसियों के हाथ बिक चुकी है । रिलायंस गैस में ब्रिटिश पेट्रोलियम का हिस्सा हो चुका है । अडानी गैस में फ़्रांसीसी “टोटल” नामकी कंपनी की साझेदारी है।
हमारी राष्ट्रीय धरोहरों को विदेशी पूँजी के हाथ बेचना कौन सी देशभक्ति है इसे अंधभक्त कैसे समझाएँगे यह समझना है?
मोदीजी ने सात बरस में कोई ऐसी बड़ी कंपनी बनाई हो या उसकी नींव ही डाली हो तो याद दिलाइयेगा । बेचने की कोशिश ज़रूर की हैं , एयर इंडिया के खरीदार नहीं मिले और छोटी मंझोली कंपनियों के सौदे विवादित ही रहे हैं । “बीमार”प्रायवेट कंपनियों की NCLT के ज़रिए औने पौने दामों में लूटे जाने की खबरें ही खबरें हैं जो बैंकों के पैसों (जो आम जनता का जमा किया धन है ) की बंदरबाँट की कहानियों की क़तारें लगा रही हैं।
हमारे शेयर मार्केट का बीस फ़ीसदी अब विदेशी निवेशकों के हाथ में है जिस दिन वापस गये हमारा रुपया रूसी रूबल की तरह काग़ज़ हो जाएगा । निर्यात लगातार हर पिछले साल से माइनस में है । सिर्फ़ विदेश में काम कर रहे देशी मज़दूरों के मनीआर्डर की रक़म हर साल सांत्वना देती है।
इसी को विंकास कहकर बेचा गया है/जा रहा है ।यदि यही विकास है तो विनाश किसे कहते हैं?
धर्मवीर-
BPCL भी बिक गया वह भी गोरों के हाथों में …. और उम्मीद है कि आपने ध्यान दिया होगा कि पिछले व्हाट्स एप मेसेज में विदेशी एजेंट किसको बताया जा रहा था ..? विपक्षी नेताओं और किसान आंदोलनकारियों को ना ..? जबकि विदेशियों के हाथ भारत की मुनाफ़ा कमाने वाली कम्पनी को ख़ुद सरकार बेच रही है। फ़िर एजेंट कौन हुआ?
BPCL सालाना बीस हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने वाली नवरत्न PSU है । और भी बहुत कुछ सेल पर है विदेशियों के लिए ही ….
सरकार ने अपनी पूरी 52.98% हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर ली, कैबिनेट की मंजूरी के बाद निजीकरण का रास्ता साफ हो जाएगा।
1976 में इंदिरा गांधी की सरकार ने 3 विदेशी तेल कंपनियों को नेशनलाइज कर BPCL बनाया,मोदी सरकार FDI के ज़रिए अर्थात् विदेशी कम्पनियों को बेचकर प्राइवेटाइज कर रही है।
BPCL को बेचने से सरकार को 53 हजार करोड़ मिलने का अनुमान है, इस साल विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ कमाने का टारगेट रखा गया है। तेल-गैस के क्षेत्र में 100% FDI अर्थात् विदेशी निवेश लाने की तैयारी में है सरकार ।
अगली बार कोई व्हाट्स एप पर विदेशी एजेंट सरकार के बाहर के आदमी को बताए तो फ़िर आप इस मेसेज को ज़रूर भेज देना ।