Rajkumar Singh : ब्रजेश मिश्र- मेकिंग आफ ए मीडिया मेगा स्टार… साल 2004. लखनऊ में इलेक्ट्रानिक मीडिया की नयी नयी क्रिकेट टीम बनी थी. इस टीम का एक खिलाड़ी ऐसा था जो बैटिंग करता तो सिक्स ही मारता या आउट हो जाता. सिक्सर भी खूब लंबे लंबे. ये खिलाड़ी एक-दो रन लेने में यकीन नहीं रखता. बालिंग में भी तेज गेंद सिर्फ विकेट लेने के हिसाब से, भले ही रन क्यों न चले जाएं. कुल मिलाकर गजब की किलिंग इंसटिक्ट थी. साल 2016, सितंबर- लखनऊ की सभी प्राइम जगहों पर होर्डिंग लगे हैं. ईटीवी पर प्राइम डिबेट ब्रजेश मिश्रा के साथ.
अब आप समझ गए होंगे कि मैं ईटीवी के सीनियर एडीटर ब्रजेश मिश्रा की बात कर रहा हूं. आमतौर से व्यक्तियों के बारे में मैं कम लिखता हूं पर मीडिया पर्सन के तौर पर ब्रजेश की सुपर सक्सेस ने मुझे लिखने को मजबूर किया.
ब्रजेश के पहले ईटीवी एक ऐसा न्यूज कम इंटरटेनमेंट चैनल था जिस पर विज्ञापन के नाम पर साउथ के एक मसाले का विज्ञापन चलता था, जो शायद रामोजी राव ग्रुप का ही था. खबरों में भी बहुत ही सामान्य बात थी. 2003 में सहारा समय यूपी लांच हुआ था और वो देखते देखते ही ईटीवी से आगे निकल गया था. सहारा में ओबी वैन आ गयी थी, लखनऊ में बड़ा स्टूडियो था, लगातार लाइव चलता था. मैन पावर भी काफी थी. तब मैं सहारा समय यूपी का ब्यूरो हेड था.
लेकिन ब्रजेश के आने के बाद ईटीवी का जैसे नया जन्म हो गया. आज हालात ये है कि यूपी में खबरों के मामले में ईटीवी का कोई जवाब नहीं है. हाल ही में समाजवादी पार्टी के संकट में तो इसने जैसे एक्सक्लूसिव खबरों के सारे रिकार्ड तोड़ दिए. रामगोपाल से लेकर शिवपाल तक ईटीवी स्टूडियो में थे. आम से लेकर खास तक ईटीवी पर निगाहें लगाए था.
अखबारों के दफ्तरों में ईटीवी, सरकारी-निजी दफ्तरों में भी ईटीवी. तो कह सकते हैं कि ब्रजेश मिश्रा इस वक्त यूपी की मीडिया के सुपर ब्रांड बन चुके हैं. उनका फैंस क्लब तक बन गया है. कई मायनों में देश में भी गिने चुने टीवी पत्रकार ही उनके बराबर हैं. एक बात और ब्रजेश मिश्रा से आप सहमत हो सकते हैं और असमहत पर खारिज नहीं कर सकते.
बधाई ब्रजेश जी.
नवभारत टाइम्स लखनऊ में वरिष्ठ पद पर कार्यरत पत्रकार राजकुमार सिंह की एफबी वॉल से.
Anupam Trivedi
October 2, 2016 at 4:33 am
ब्रजेश मिश्रा डिफिनेट्ली एनर्जेटिक जर्नलिस्ट हैं. गो गेटर आटिट्यूड के साथ काम करते हैं. जिस दौर की राजकुमार बात कर रहे हैं तब ETV अलग था. लेकिन उस दौर में जबरदस्त इनडिपेंडेन्स थी. उत्तराखड़ में ND Tiwari सरकार के हमने खूब तोते उड़ाए. मज़ाल है ETV सरकार के किसी चुगगे में फँसा हो. सहारा तो खेर कभी भी ETV के आसपास था ही नही. सहारा की इमेज liaison करवे वाले चॅनेल की रही.