प्रिय पीएम मोदी जी
आपका हमेशा मीडिया जगत से आग्रह होता है। लेकिन कभी आप पत्रकारों से आग्रह नहीं करते। आज मीडिया जगत के ज्यादातर मालिक सरकार का गुलाम सा बन गये है। उन मालिकों की हां में हां और ना में ना बड़े बड़े और छोटा पत्रकार भी शामिल है।
ज्यादातर मालिकों को यस मैन सम्पादक पसन्द है। क्योंकि, मालिकों को अखबार और टीवी रूपी दुकान जो चलानी है। और जिसने भी थोड़ी पत्रकारिता की उसे अगले दिन चलता कर दिया जाता है। आजकल वहीं पत्रकार सफ़ल है जो पत्रकारिता कम चाटुकारिता ज्यादा करते हैं। जो सरकार की जगह विपक्ष से सवाल करते हैं और आजकल जनता को कोसने लगे हैं।
पीएम सर, आप में अगर वाकई अपनी आलोचना सुनने और देश को आगे बढाने की लालसा है तो पत्रकारों को थोड़ी पत्रकारिता करने दीजिये। बाकी गुलाम और भक्त टाइप के पत्रकारों की बात मैं नहीं कर रहा हूँ।
वैसे, बहुत सारे पत्रकार मीडिया हाउस से अलग होकर यूट्यूब और वेबसाइट के माध्यम से पत्रकारिता कर रहे हैं। आपके हिसाब से वो मीडिया जगत के हिस्से में नहीं हैं। क्योंकि सरकार को आइना दिखाते हैं।
टीवी सेट पर डांस और जनता को चोर कहने वाले पत्रकार न तो देश को आगे ले जाएंगे और न ही सरकार को रास्ता दिखा सकेंगे।
हमें खुशी है कि जनता चाटुकार पत्रकार को पसंद नहीं कर रही है। सरकार को शायद पसन्द आ रहे है।
स्वत्रंत भारत के निर्माण में मीडिया हाउसों की नहीं, पत्रकारिता की भूमिका रही है। अब देश बिगाड़ने में चाटुकार मीडिया हाउस की बड़ी भूमिका है। इनके मालिक राज्यसभा और विधानसभा जाने को लालायित हैं।
मीडिया और पत्रकार में बहुत फर्क आ गया है, इन दोनों में बहुत अंतर है।
धन्यवाद
santosh kumar
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