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उत्तर प्रदेश

भ्रष्ट पुलिस कर्मियों पर क्यों मेहरबान हैं देवरिया के पुलिस अधीक्षक

देवरिया। यदि कोई व्यक्ति गम्भीर अपराध करता है तो पुलिस विभाग उस व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करती है। लेकिन यदि पुलिस विभाग का कोई कर्मचारी अपराध करता है तो पुलिस वाले उस घटना को पचाने की कोशिश करते हैं। जब हो हल्ला मचता है तो कार्यवाही करने का आश्वासन देकर चुप्पी साध लेते है। यह सब हो रहा है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश के राज में।

<p>देवरिया। यदि कोई व्यक्ति गम्भीर अपराध करता है तो पुलिस विभाग उस व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करती है। लेकिन यदि पुलिस विभाग का कोई कर्मचारी अपराध करता है तो पुलिस वाले उस घटना को पचाने की कोशिश करते हैं। जब हो हल्ला मचता है तो कार्यवाही करने का आश्वासन देकर चुप्पी साध लेते है। यह सब हो रहा है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश के राज में।</p>

देवरिया। यदि कोई व्यक्ति गम्भीर अपराध करता है तो पुलिस विभाग उस व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करती है। लेकिन यदि पुलिस विभाग का कोई कर्मचारी अपराध करता है तो पुलिस वाले उस घटना को पचाने की कोशिश करते हैं। जब हो हल्ला मचता है तो कार्यवाही करने का आश्वासन देकर चुप्पी साध लेते है। यह सब हो रहा है उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश के राज में।

उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के पूर्वी छोर पर बसे देवरिया में। जहां भटनी थाने के दो पुलिस कर्मियों ने बिहार राज्य के सिवान जिले के एक व्यक्ति से पच्चीस हजार रूपए छीन लिए। जब मामले की जानकारी पुलिस अधीक्षक को हुई तो उन्होने पुलिस कर्मियों पर दबाव डालकर छीने गए रूपए वापस करा कर मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया। लेकिन लूटेरे पुलिस कर्मियों के खिलाफ कोई विधिक कार्यवाही नहीं की। जबकि मामला साफ तौर पर लूट की घटना का है।
 
जानकारी के मुताबिक जिला सिवान (बिहार) के रहने वाले श्री भारद्वाज बीते शुक्रवार को अपनी ससुराल जाने के लिए भटनी रेलवे स्टेशन आए थे। उनके पास पचीस हजार रूपए थे, जिन्हे पुलिस वालों ने छीन लिया और इस घटना की जानकारी किसी को न हो इसलिए भारद्वाज को बिहार राज्य की सीमा पर ले जाकर छोड़ दिया। पर भला हो उस लूटे गए व्यक्ति का जिसने हिम्मत नहीं हारी और घटना की सूचना अपने मोबाईल से पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियों को दे दी। सूचना मिलने पर पुलिस अधीक्षक ने भटनी थाने के एसओ से मामले की जांच कराई। जांच में आरोप सही पाए जाने पर पुलिस अधीक्षक ने लूटे गए रूपयों की वापसी कराकर अपने कर्तव्यों की इति श्री कर ली।

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इसी तरह से कुछ दिन पूर्व कोतवाली सदर थाने के बैकुण्ठपुर गांव की एक महिला पुलिस अधीक्षक से मिलने गई। जहां पर दीवानी कचहरी के एक अधिवक्ता ने काम कराने के लिए पुलिस अधीक्षक के पीआरओ जेपी गुप्ता को घूस देने के नाम पर महिला से दस हजार रूपए ठग लिए। बाद में घटना की जानकारी वहां तैनात कुछ पुलिस कर्मियों ने पीआरओ और पुलिस अधीक्षक को दी। लेकिन अब तक किसी प्रकार की कार्यवाही उस अधिवक्ता के खिलाफ नहीं की गई।
 
इसी तरह, देवरिया में ही तैनात एक दरोगाजी पर गोरखपुर के खोराबार थाने मे छेड़खानी के प्रयास का मामला दर्ज कराया गया है। पीड़िता किसी पुलिसकर्मी की ही बेटी बताई जा रही हैं। दरोगा जी रंगीन मिजाज के चर्चे काफी अरसे से जिले में हो रहे हैं लेकिन पुलिस विभाग के आला अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती।

इसके अलावा कुछ दिनों पूर्व देवरिया के बरहज थाने में तैनात एसओ पर कच्ची दारू बनवाने तथा स्टैम्प वेण्डर की हत्या के मामले में आरोपियों को बचाने का खुलेआम आरोप लगा। लेकिन पुलिस अधीक्षक की इतनी हिम्मत नहीं है कि वे आरोपी दरोगा के खिलाफ कोई कार्यवाही कर सके।
  
बताते है कि इस तरह के कई मामले पूरे जिले में लोगों की बीच चर्चा के विषय बने हुए हैं, लेकिन पुलिस अधीक्षक डॉ. एस चेनप्पा सभी मामलों पर मौन साधे हुए हैं। लोग कप्तान साहब की इस चुप्पी का मतलब निकालने में जुटे हुए है।

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देवरिया से ओपी श्रीवास्तव की रिपोर्ट। 

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