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इसरो से बेहद नाराज हैं ट्राई चेयरमैन खुल्लर, नेताओं को ब्राडकास्ट कारोबार में न घुसने को कहा

मंगलयान को मंगल पर भेजने के बाद जहां हर ओर इसरो की तारीफ हो रही है वहीं ट्राई यानि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के चैयरमैन राहुल खुल्लर इसरो से बुरी तरह गुस्सा हैं. इसरो यानि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की कामकाज की शैली से नाराज खुल्लर ने कहा कि इसरो से ट्रांसपोंडर पाना दुःस्वप्न जैसा है. सीआईआई बिग पिक्चर सम्मेलन 2014 में खुल्लर ने कहा, ‘बंगलौर में एक कार्यालय के साथ ट्रांसपोंडर के लिए सौदा करना दुःस्वप्न जैसा है। मैंने पूरी कोशिश की। पर इससे निपटना यह दीवार पर सिर फोड़ने जैसा है। न उगलते बनता है न निगलने दिया जाता है। मैं आपको ट्रांसपोंडर नहीं दूंगा और मैं आपको अपने दम पर ट्रांसपोंडर लेने भी नहीं दूंगा, यही इसरो का रवैया है।’

<p>मंगलयान को मंगल पर भेजने के बाद जहां हर ओर इसरो की तारीफ हो रही है वहीं ट्राई यानि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के चैयरमैन राहुल खुल्लर इसरो से बुरी तरह गुस्सा हैं. इसरो यानि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की कामकाज की शैली से नाराज खुल्लर ने कहा कि इसरो से ट्रांसपोंडर पाना दुःस्वप्न जैसा है. सीआईआई बिग पिक्चर सम्मेलन 2014 में खुल्लर ने कहा, 'बंगलौर में एक कार्यालय के साथ ट्रांसपोंडर के लिए सौदा करना दुःस्वप्न जैसा है। मैंने पूरी कोशिश की। पर इससे निपटना यह दीवार पर सिर फोड़ने जैसा है। न उगलते बनता है न निगलने दिया जाता है। मैं आपको ट्रांसपोंडर नहीं दूंगा और मैं आपको अपने दम पर ट्रांसपोंडर लेने भी नहीं दूंगा, यही इसरो का रवैया है।'</p>

मंगलयान को मंगल पर भेजने के बाद जहां हर ओर इसरो की तारीफ हो रही है वहीं ट्राई यानि भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के चैयरमैन राहुल खुल्लर इसरो से बुरी तरह गुस्सा हैं. इसरो यानि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की कामकाज की शैली से नाराज खुल्लर ने कहा कि इसरो से ट्रांसपोंडर पाना दुःस्वप्न जैसा है. सीआईआई बिग पिक्चर सम्मेलन 2014 में खुल्लर ने कहा, ‘बंगलौर में एक कार्यालय के साथ ट्रांसपोंडर के लिए सौदा करना दुःस्वप्न जैसा है। मैंने पूरी कोशिश की। पर इससे निपटना यह दीवार पर सिर फोड़ने जैसा है। न उगलते बनता है न निगलने दिया जाता है। मैं आपको ट्रांसपोंडर नहीं दूंगा और मैं आपको अपने दम पर ट्रांसपोंडर लेने भी नहीं दूंगा, यही इसरो का रवैया है।’

खुल्लर ने कहा कि एयरवेव्स या वायु तंरगों पर सरकार का कोई एकाधिकार नहीं हैं. डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) और दूरसंचार ऑपरेटरों दोनों के लिए स्पेक्ट्रम के कुशल उपयोग जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी मसलों पर चर्चा करने की ज़रूरत है। सरकार को एक राष्ट्रीय मीडिया नीति बनानी चाहिए जिसके तहत स्वतंत्र मीडिया, बहुलता, आत्म नियमन और स्पष्ट बुनियादी ढांचे वाली नीति को बढ़ावा देना चाहिए। खुल्लर ने कहा कि हमें एक स्वतंत्र मीडिया चाहिए जिसमें सरकार का किसी भी किस्म का कोई दखल न हो, जो अप्रतिबंधित और अबाधित हो। इस नीति के तहत राजनेताओं और सरकारों व उनसे जुड़े संगठनों को ब्रॉडकास्ट कारोबार में घुसने की सख्त मनाही होनी चाहिए। राजनेता, सरकार, राज्य सरकारों और उनके जुड़े संगठनों को ब्रॉडकास्ट क्षेत्र में होना ही नहीं चाहिए। सरकार को राष्ट्रीय मीडिया नीति के एक अभिन्न अंग के रूप में इस नीति की घोषणा कर देनी चाहिए। क्रॉस-मीडिया स्वामित्व पर सरकार को सौपी गई हाल की सिफारिशों में नियामक संस्था, ट्राई ने आग्रह किया है कि ब्रॉडकास्ट क्षेत्र में राजनेताओं और सरकार के घुसने पर बैन लगा दिया जाए।

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खुल्लर ने कहा कि इस वक्त नहीं बता सकता कि सरकार ऐसा करेगी या नहीं लेकिन मैं मानता हूं कि यह सही मौका है जब हमें राष्ट्रीय हितों को नुकसान पहुंचाए बगैर देश भर में बहस चलानी चाहिए. कई मुख्यमंत्री तक मीडिया डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म चला रहे हैं। क्या वो सब कुछ चलते रहने की इजाज़त दे सकते हैं? मीडिया पर नियंत्रण रखने के लिए एक स्वतंत्र नियामक होना चाहिए। मीडिया पर कुछ न कुछ अंकुश होना चाहिए, भले ही इसे स्वतंत्र नियामक के किसी भिन्न रूप में लाया जाए। आप ऐसी संस्था नहीं रख सकते जिसके अधिकार तो हों, लेकिन कोई कर्तव्य न हों। कैरेज़ पर टेलीकॉम मंत्रालय का विशिष्ट अधिकार होना चाहिए, जबकि कंटेंट का नियंत्रण सूचना व प्रसारण मंत्रालय के पास रहना चाहिए। इसको बढ़ाने के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) को कैरेज़ और कैरेज़-संबंधी विषयों पर विशेष रूप से फोकस करना चाहिए। वो ऐसी संस्था नहीं है जिसे पब्लिक से डील करना पड़े और निश्चित रूप से उसका स्वरूप कतई ऐसा नहीं है कि वो कंटेंट के नियमन को हाथ लगा सके। उन्होंने यह भी कहा कि सूचना व प्रसारण क्या है, इसको लेकर पचास के दशक का विशाल हैंगओवर अब तक चला आ रहा है। हमें अब इससे निजात पा लेनी चाहिए।

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