अनंत मिश्रा-
जिसे खेलों और उसमें भी एथलेटिक्स की मामूली समझ होगी वह यह समझ सकता है कि तीन मिनट से भी कम प्रति किलोमीटर पेस 42 किलोमीटर भाग जाना असंभव सा काम होता है। पर केन्याई धावक केल्विन किप्टम ने इस असंभव को संभव कर दिखाया। उनका सपना था कि वह 42.195 किलोमीटर की मैराथन दौड़ दो घंटे से भी कम समय में पूरा करें।
किप्टम यह सपना लिए हुए इस दुनिया को अलविदा कह बैठे। रविवार की रात एक कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। उनके साथ उनके कोच गेरवाइस हकीजिमाना की भी मौत हुई। पिछले साल जब किप्टम ने शिकागो मैराथन में 2 घंटा 00.35 सेकण्ड का समय दर्ज किया तो पूरी दुनिया की सुर्खियों में आ गए। उनकी उम्र बामुश्किल 24 वर्ष की रही होगी।
किप्टम ने अपने अल्प जीवन में तीन बड़ी मैराथनों के खिताब अपने नाम किए। किप्टम ने 2022 वालेंसिया मैराथन में उस समय की सबसे तेज़ मैराथन दौड़ लगाई थी। दो घंटे और दो मिनट का ब्रेक लेने वाले इतिहास में तीसरे धावक बन गए थे। किप्टम ने चार महीने बाद 2023 लंदन मैराथन (डब्ल्यूएमएम) में 2:01:25 पर इतिहास की दूसरी सबसे तेज मैराथन के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाया। इसके छह माह बाद 2023 शिकागो मैराथन (डब्लूएमएम) में छह महीने बाद अक्टूबर 2023 में दो घंटे और 35 सेकंड के समय के नया विश्व रिकार्ड बना दिया।
किप्टन बेहद गरीब परिवार के थे। केन्या के चेप्सामो गांव से तालुक रखते थे। यह स्थान मैराथन धावकों की खान माना जाता है। किप्टन अपने परिजनों के साथ मवेशियों को चराते थे। वह नंगे पैर जंगल की पगडण्डियों पर घंटो नंगे पैर मवेशिया की पीछे दौड़ते रहते थे। इसके बाद वह अन्य मैराथन धावकों की देखादेखी साल 2013 में खुद अभ्यास करने लगे। तब वह तेरह साल के थे।
गरीबी में बचपन बीता। अच्छी खुराक का उनके पास इंतजाम नहीं था। मोटा अनाज, कच्चा-पक्का मांस खाकर उन्होंने अभ्यास किया। एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा था कि गरीबी ने उन्हें मैराथन धावक बना दिया। जीने के लिए उनके पास दौड़ने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं था। गरीबी पर विजय पाने के लिए भी यही एकमात्र रास्ता था।