महाराष्ट्र के पत्रकारों ने कल सामाजिक उत्तरदायित्व की मिसाल पेश की। राष्ट्रीय राजमार्ग-17 कोंकण के तीन जिलों से होते हुए मुंबई को दक्षिण भारत से जोड़ता है। मुंबई और पूना को जोडने वाले सभी राजमार्ग, जैसे मुंबई-अहमदाबाद, मुंबई-नासिक, मुंबई-पूना और पूना से जोड़ने वाले पूना-कोल्हापुर, पूना-औरंगाबाद, पूना शोलापुर को फोर लेन करने का काम दस साल पहले ही पूरा हो गया था। लेकिन अधिक महत्व वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-17 को फोर लेन करने का पूरा नहीं हो रहा था। यह राष्ट्रीय राजमार्ग होते हुए भी बहुत छोटा है। इस राजमार्ग पर यातायात भी बहुत रहता है। यहां होने वाली दुर्घटनाओं में रोज़ाना औसतन पांच व्यक्ति घायल होते हैं दो मौतें होती हैं।
इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर हो रहीं दुर्घटनाओं और सरकार की उदासीनता के विरोधस्वरूप कोंकण क्षेत्र के तीन जिलों के पत्रकार रास्ते पर उतर आये। उन्होनें 2 अक्टूबर 2008 को पहली बार रास्ता रोको आंदोलन किया था। पिछले छह साल से पत्रकारों का यह आंदोलन चलता आ रहा है। पत्रकारों के इस आंदोलन की सरकार अनदेखी नहीं कर सकी। राजमार्ग के पहले चरण में 84 किलोमीटर मार्ग के निर्माण का काम शुरू किया गया। लेकिन दूसरे और तीसरे चरण का काम अभी बाकी है। इसको शीघ्र करने की मांग को लेकर कोंकण के दो सौ पत्रकारों ने कल कशेडी घाट पर रास्ता रोको आंदोलन किया।
इस आंदोलन का नेतृत्व ‘पत्रकार हमला विरोधी कृती समिति’ के अध्यक्ष एसएम देशमुख ने किया। देशमुख ने कहा जब तक इस रोड का पूरा काम नहीं होता तब तक यह आंदोलन चलता रहेगा। बाद में पुलिस ने एसएम देशमुख समेत 40 पत्रकारों को गिरफ्तार किया। पत्रकार जब मुंबई से दो सौ किलोमीटर दूर घाटी में आंदोलन कर रहे थे तब केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मुंबई में ही थे। उन्होनें इस आंदोलन की जानकारी लेकर मुंबई-गोवा राजमार्ग के फोर लेन का काम जल्दी से जल्दी पूरा करने का आश्वासन मुंबई की एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में दिया।
लोगों की समस्याओं को लेकर जन आंदोलन करने की महाराष्ट्र के पत्रकारों की परंपरा रही है। इसी परंपरा को निभाते हुए कोकण के पत्रकारों ने देश के पत्रकारों के सामने अच्छी मिशाल पेश की है।
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