पहले लखनऊ प्रेस क्लब आजाद कराओ, फिर कर लेना बलुचिस्तान की बातेँ .. बलुचिस्तान को आजाद कराने पाकिस्तान बार्डर पहुँचे लखनऊ के जाँबाज पत्रकारों को खुला पत्र…
सबसे पहले तो आप सबको बधाई और शुभकामनाएँ। सैल्यूट आप सबको जिन्होने दुनियाँ के सामने भारत के पत्रकारों की हिम्मत और जज्बे का एक नया फलसफा पेश किया। सुना था किसी समाज या देश के पत्रकार उस देश और समाज की तरक्की में अहम भूमिका अदा करते हैं।
छोटी समझ है इसलिये बड़े पत्रकारों द्वारा इस तरह के योगदान की बातों पर यकीन नहीं आता था। पर कल तब इन बातों पर विश्वास हुआ जब देखा कि पत्रकारों का एक दल बलुचिस्तान की आजादी के लिये पाकिस्तान के बार्डर पर खड़ा है। कितनी बड़ी बात है ये। अपने भारत की कूटनीतिक रणनीति में अपने देश का साथ देने के साथ इतनी बड़ी हिम्मत और जाँबाजी साबित करना गैरमामूली बात ही नहीं, एक ऐतिहासिक घटना भी है।
विश्व शक्ति बनने जा रहे भारत जैसे विशाल देश की शक्तिशाली सेना के सैनिकों पर हमला करने वाले आतंकवादियों की दुस्साहस/ हैवानियत का क्या आलम होगा, इस बात का अंदाजा कोई भी लगा सकता है। इन खूँखार आतंकियो ( खूँखार नहीं कटौने और पागल कुत्ते कहिये) के खतरों के बीच बिना किसी सुरक्षा के पाकिस्तान बार्डर पर तन कर बलुचिस्तान की आजादी के लिए प्रदर्शन करना आम बात नहीं है।
भाईयो आप लोग शायद मुझे नहीं जानते होंगे क्योंकि मैं आप जैसा बड़ा पत्रकार नहीं हूँ। आप लोग बड़े पत्रकार हैं इसलिए मैं आप लोगों को अच्छी तरह जानता हूँ। मुझे इस बात का गर्व है कि मैने आप जैसे जाँबाज लखनवी पत्रकारों को बहुत नजदीक से देखा है। देखा क्या है मैने अपनी निगाहों की उँगलियों से आपके आला कारनामो की हर फाइल का हर वरक पलटकर देखा है।
आप लोगों से मेरी इल्तिजा है कि आप बड़े जाँबाज पत्रकार छोटे संघर्षरत पत्रकारों पर भी कभी नजरे इनायत कर ले। लखनऊ के गैर डग्गामार/गैर धंधेबाज/गैर दलालखोर पत्रकारों को लखनऊ प्रेस क्लब मे बरसो से सदस्यता मिलना बंद कर दी गयी है।
कुछ अराजक तत्वों ने लखनऊ प्रेस क्लब पर नाजायज कब्जा जमा लिया है। लिखने पढ़ने वाले जिन शरीफ पत्रकारों की राज्य मुख्यालय की मान्यता नही है या उनका सचिवालय पास नही बना है वो प्रेस क्लब मे लिखने पढ़ने का और पत्रकारिता से जुड़ी संस्कृति का माहौल चाहते है, प्रेस क्लब की सदस्यता चाहते हैं। यहाँ अराजकता/घपले-घोटाला खत्म करना चाहते है। लखनऊ के संघर्षरत पत्रकारअपने स्ट्रगल के दौरान जब दिल्ली जाते है और प्रेस क्लब आफ इन्डिया मे बैठना चाहते है तो उन्हें इसलिये वहाँ नही बैठने दिया जाता क्योंकि वो लखनऊ प्रेस क्लब के सदस्य नही है। मैं ये नही कहता कि अरजी-फर्जी सबको लखनऊ प्रेस क्लब का सदस्य बनाया जाये पर किसी भी मानक के आधार पर पत्रकारो को सदस्यता तो दी जाये।
आतंकी देश पाकिस्तान जबरन बालुचिस्तान पर अपना कब्जा जमा कर वहाँ आवाम के साथ जुल्म और तानाशाही कर रहा है।ठीक इसी तरह पाकिस्तान के ऐसे संस्कारो वाले चंद कथित पत्रकार आपके शहर लखनऊ के प्रेस क्लब को अपनी धंधेबाजी और तानाशाही की जंजीरो मे जकड़ कर अपना गुलाम बनाये है। ये प्रेस क्लब आजाद कौन करायेगा ? एहसान का बदला अहसान से चुकाते हुए क्या बालुचिस्तान के नागरिक लखनऊ प्रेस क्लब को आजाद कराने आयेगे ? आप हजारो किलोमीटर दूर बालुचिस्तान की आजादी की लड़ाई के लिये जब आप पाकिस्तान बार्डर जा सकते हो तो फिर कभी आपको प्रेस क्लब आजाद कराने की तौफीक क्यों नही हुई। क्या आपने- ” पहले घर मे चिराग फिर मस्जिद मे चिराग” जैसी कहावत नही सुनी है।
खैर, आप लोग जल्दी से बालुचिस्तान आजाद कराकर लौटो और फिर लखनऊ प्रेस क्लब की आजादी की लड़ाई मे लग जाओ। और हाँ , सबसे बड़ी बात तो कहना भूल ही गये। ई फोटवा जारी करना वाला काउन बालक है ज्यो आपन सहर नखलऊ के पत्रकारों की नकवा कटवाने पर आमादा है..अपमानवा करत है…
हिया से झव्वाभर पत्रकार गये पर जोहिन फोटुआ भेजत है ऊई मे एकन नखलऊ के पत्रकार का फोटुवा नाही है। ई कोईनो जाल झप्पा है या फिर अपने नखलवी भइय्यन ने जाँबाजो के संग ना जाकर नाकवा कटा दीस…
इश्क और रोमांस की बाते.
कैटरीना सलमान की बातें, ये सब हैं बेकार की बातेँ।
पहले लखनऊ प्रेस आजाद कराओ,
फिर कर लेना बालुचिस्तान की बातेँ …
आपका चिन्टू
नवेद शिकोह
लखनऊ
8090180256