राजीव शर्मा-
मैंने कहीं पढ़ा था कि ‘प्रधानमंत्री कार्यालय’ में जो लोग बैठते हैं, वे अपने-अपने क्षेत्रों के विशेषज्ञ होते हैं। चूँकि उन पर पूरे देश के राज-काज की ज़िम्मेदारी होती है, इसलिए ऐसा होना भी चाहिए।
आज (29.10.2023) मैं पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) की वेबसाइट पर ‘मन की बात’ कार्यक्रम की 106वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के संबोधन का मूल पाठ पढ़ रहा था। उन्होंने जिन बातों का उल्लेख किया, वे बेशक बहुत अच्छी थीं, लेकिन ‘मूल पाठ’ में वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ भरी पड़ी थीं।
पीआईबी इसे ‘प्रधानमंत्री कार्यालय’ से बताकर प्रकाशित कर रहा है। बेहतर होता कि वह एक बार देख लेता कि इसमें क्या लिखा है! अगर ‘प्रधानमंत्री कार्यालय’ से कोई सूचना / संबोधन प्रकाशित किया जाए तो उसका एक स्तर होना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें वर्तनी संबंधी अशुद्धियाँ न हों या नगण्य हों।
कुछ दिन पहले अख़बारों से पता चला कि ‘मन की बात’ पर तीसरी किताब आनेवाली है। ज़रूर आनी चाहिए, लेकिन मोदीजी को मेरा सुझाव है कि उससे पहले अपनी टीम को निर्देश दें कि वह शब्दकोश पढ़ने की आदत डाले।
इन दिनों ‘मन की बात’ में जो कुछ छप रहा है, उसे पढ़कर लगता ही नहीं कि यह भारत के प्रधानमंत्री का संबोधन है! जिधर देखो, अशुद्धियाँ ही अशुद्धियाँ।
29.10.2023 के ‘मन की बात’ कार्यक्रम की कुछ पंक्तियाँ देखिए –
- सभी त्योहारों की बहुत-बहुत बधाईयाँ।
इसमें ‘बधाईयाँ’ ग़लत है। सही शब्द ‘बधाइयाँ’ होना चाहिए।
- आपको एक और बात जानकार भी बहुत अच्छा लगेगा।
‘जानकार’ की जगह ‘जानकर’ होगा।
- सवा लाख करोड़ रूपए के …।
प्रधानमंत्री के संबोधन में देश की मुद्रा का नाम ग़लत छप रहा है। ‘रुपए’ या ‘रुपये’ लिखा जा सकता है, लेकिन ‘रूपए’ तो पूरी तरह ग़लत है। विश्वास न हो तो अभी नोट निकालकर देख लीजिए। उस पर ‘रुपये’ लिखा मिलेगा।
- उत्पादों को जरुर खरीदें …।
‘जरुर’ की जगह ‘ज़रूर’ आएगा।
- के रूप में जरुर रखें …।
यहाँ भी ‘ज़रूर’ आएगा।
- लोकल पर जरुर खर्च करिएगा …।
फिर ‘जरुर’ लिख दिया, जो ग़लत है।
- वहीँ पर खर्च कीजिएगा।
‘ही’ पर चंद्रबिंदु नहीं आएगी। या तो ‘वहीं पर खर्च कीजिएगा’ लिखें या ‘वहाँ पर ही खर्च कीजिएगा’ लिखें।
- हमें बहुत आगे बढना है।
सही शब्द ‘बढ़ना’ होगा।
- ऐसे प्रोडक्ट से ही घर को रोशन करें …।
- उत्पादों से अपनी दीवाली रौशन करेंगे ..।
पूरे संबोधन में कहीं ‘रोशन’, तो कहीं ‘रौशन’ लिखा है। मद्दाह साहब के उर्दू शब्दकोश में ‘रोशन’ का अर्थ – ‘दीप्त, स्पष्ट, उज्ज्वल, साफ़’ बताया गया है। ‘रौशन’ के अर्थ भी ये ही हैं। हिन्दी मीडिया में ‘रोशन’ लिखा जाता है। डॉ. हरदेव बाहरी के शब्दकोश में ‘रौशन’ का अर्थ ‘रोशन’ ही बताया गया है। इसलिए जहाँ ज़रूरत थी, ‘रोशन’ लिखना चाहिए था।
- भगवान बिरसा मुंडा हम सब के ह्रदय में बसे हैं।
सही शब्द ‘हृदय’ होता है।
- मैं अपनी श्रद्दांजलि अर्पित करता हूँ।
‘श्रद्दांजलि’ की जगह ‘श्रद्धांजलि’ होना चाहिए।
- जरुर जाइएगा।
फिर ‘जरुर’ लिख दिया। इसे ‘ज़रूर’ लिखना चाहिए।
- जो बेहद अद्दभुत हैं।
‘अद्दभुत’ शब्द पहली बार पढ़ रहा हूँ। यह कल शाम तक तो ‘अद्भुत’ हुआ करता था।
- अगर किसी की संगीत में रूचि हो …।
यहाँ ‘रूचि’ की जगह ‘रुचि’ आएगा।
- रुढ़िवादी धारणाओं के खिलाफ खड़ी हुई ..।
सही शब्द ‘रूढ़िवादी’ होगा।
- बहुत बड़ी मात्रा में आप भी जुडें ..।
सही वाक्य यह होगा – आप भी बहुत बड़ी संख्या में जुड़ें।
- आप जरुर संभालिये ..।
‘ज़रूर’ संभालेंगे, बस शर्त यह है कि मोदीजी ‘मन की बात’ लिखने वाली टीम को बढ़िया-सा शब्दकोश लाकर दें, ताकि वह ‘ज़रूर’ को ‘जरुर’ न लिखे। यह उसके लिए दीपावली का उपहार होगा।
.. राजीव शर्मा ..
कोलसिया, झुंझुनूं, राजस्थान