Surendra Kishore : माल्या और संसद की सदस्यता… केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि ‘विजय माल्या ने राज्य सभा सदस्य के रूप में अपने विशेषाधिकार का गलत इस्तेमाल करके संसद भवन के गलियारे में मुझे रोक कर बात करने की कोशिश की थी।’
जेटली साहब को भी मालूम है कि दरसल ये अरबपति लोग सांसद बनते ही हैं मुख्यतः इसी काम के लिए। संसद की सदस्यता का इस्तेमाल करके वे कभी अपने व्यापार को बढ़ाते हैं तो कभी अपने व्यापार पर आए संकट को दूर करने की कोशिश करते हैं।
ऐसे अरबपतियों को सांसद बनाने में अधिकतर दल उन्हें समय-समय पर मदद करते हैं। जेटली जैसे नेताओं को यह बात पहले ही सोचनी चाहिए थी। इस मामले में माल्या अकेले नहीं हैं। हां, अपने काम में अनोखा जरूर हैं। माल्या प्रकरण के बाद राजनीतिक दल सोच-विचार करें। अधिकतर दलों को इस प्रश्न पर विचार करना होगा कि व्यापारिक हितों के लिए पैसे के बल पर सासंद बनने वालों को राज्य सभा तक पहुंचने से कैसे रोका जाए ?
माल्या ने मनमोहन सिंह के शासन काल में ऐसा कुछ कर दिया था जैसा पहले कभी नहीं हुआ था। माल्या नागरिक उड्डयन मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति के सदस्य बन गए थे। नियम है कि जिस सदस्य का जिस मंत्रालय से व्यापारिक हित जुड़ा हो ,वह उस मंत्रालय की समिति का सदस्य नहीं बनेगा। उस समिति के अन्य सदस्यों में राहुल गांधी और कुलदीप नैयर भी थे।
दिवंगत नैयर के अनुसार माल्या की पहल पर संसदीय समिति ने अभूतपूर्व प्रस्ताव पारित किया। समिति ने सरकार से सिफारिश की थी कि आंतरिक उड़ानों में भी विमानों में शराब परोसी जानी चाहिए। याद रहे कि माल्या का विमान और शराब दोनों मामलों में व्यापारिक हित निहित था। यह और बात है कि मनमोहन सरकार ने उस सिफारिश को नहीं माना।
वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर की एफबी वॉल से.
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