जिन साथियों ने अब तक नहीं लगाया क्लेम, वे भी सामने आयें… मजीठिया वेज बोर्ड मामले में अखबार मालिकों को सुप्रीमकोर्ट की अवमानना का दोषी साबित कराकर उन्हें सजा दिलाने की रणनीति में मीडियाकर्मियों के जाने माने वकीलों की टीम वकील प्रशांत भूषण, सीनियर एडवोकेट कॉलिन गोंसाल्विस, परमानंद पांडे आदि जी जान से लग गए हैं। मजीठिया वेज बोर्ड मामले की सुनवाई 23 फरवरी को माननीय सुप्रीम कोर्ट में होने जारही है। इस मामले को लेकर मीडियाकर्मियों के सभी वकील रणनीति बनाने में जुट गए हैं।
इस मामले की सुनवाई माननीय न्यायाधीश रंजन गोगोई कर रहे हैं। 23 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की डेट को लेकर अखबार मालिकों के खेमे में भी अफरातफरी है। देश भर के मीडियाकर्मियों को अपने सभी वकीलों पर जमकर भरोसा है। मीडियाकर्मियों के सभी वकील पूरी तरह आत्मविश्वास से लबरेज हैं।
उधर अखबार मालिकों ने एक नयी रणनीति बनाई है जिसके तहत वे अपने उन कर्मचारियों को जिन्होंने क्लेम नहीं लगाया है, रिजाइन लेकर नयी कंपनी में ज्वाइन कराकर धोखे से उन्हें कांट्रेक्ट पर रख रहे हैं। अगर ये कर्मचारी विरोध करते हैं तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखा रहे हैं। ऐसा होने पर वो कर्मचारी स्टे पाने के लायक भी नहीं बच पा रहे हैं।
इसलिए सभी लोगों को कहा जा रहा है जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड के तहत कामगार आयुक्त कार्यालय में क्लेम लगाइये। अगर आपने क्लेम लगाया है और मालिक आपका ट्रांसफर करते हैं तो आपको स्टे का एक ग्राउंड बनता है। अगर आपने क्लेम नहीं लगाया और आपका ट्रांसफर होता है या आपको कंपनी नौकरी से निकालती है तो आपको स्टे लेने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। फिलहाल अब सबकी नजर 23 फरवरी को माननीय सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर है।
शशिकान्त सिंह
पत्रकार और आरटीआई एक्सपर्ट