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श्री अरविन्द केजरीवाल
मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार,
दिल्ली
विषय: एक ‘बाल-विज्ञान पत्रिका’ के प्रकाशनार्थ निवेदन
प्रिय बन्धु,
दिल्ली के चुनाव में प्रचंड मतों से मिली विजय के लिए सर्वप्रथम तो आप बधाई स्वीकारें…
दिल्लीवासियों का आपने कितना विश्वास जीता है, यह तो हालिया मतदान द्वारा स्पष्ट कर ही दिया गया है पर दिल्ली से दूर बैठे मेरे जैसे व्यक्तियों के मन में भी आपके विकास कार्यो द्वारा कम से कम एक सकारात्मक भाव तो पैदा हो ही गया है l विशेष तौर पर प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में किये गए आपकी सरकार के प्रयास यदि इसी गति से चलते रहे तो निश्चित तौर पर पूरे देश के लिए यह एक उदाहरण बन सकते हैं l
मैं बच्चों के क्षेत्र में विगत चार दशक से समर्पित भाव के साथ कार्य कर रहा हूँ जिसके अंतर्गत पुस्तकों व पत्र -पत्रिकाओं के माध्यम से ज्ञान-विज्ञान को चीनी चढी दवाई की तरह इस पीढ़ी को उपलब्ध कराना और विज्ञान व गणित जैसे विषयों को खेल-खेल में इनके आगे प्रस्तुत करना मेरा शौक़ या व्यवसाय नहीं, एक तरह से जुनून की तरह रहा है….
मेरी जानकारी में शिक्षा का वास्तविक अर्थों में महत्व समझने वाले आप, देश के पहले ऐसे उत्साही मुख्यमंत्री हैं जो न केवल विज्ञान व तकनीकी ज्ञान के क्षेत्र में प्रशिक्षित हैं वरन इस बात को अच्छी तरह समझ सकते हैं कि विज्ञान के इस युग में विकसित होती आज की पीढ़ी के अंदर शिक्षा के साथ साथ वैज्ञानिक चेतना जगाने की कितनी आवश्यकता है और इसीलिए आपसे एक आग्रह है….
कुछ निवेदन करूं इससे पहले यह स्पष्ट कर देना भी आवश्यक है कि मुझे हर सरकार ने हमेशा निराश किया ही किया है चाहे वह पूर्व की रही हो या वर्तमान की, केंद्र की हो या मेरे अपने प्रदेश की पर अबकी बार बाल शिक्षा की बेहतरी के लिए आपके द्वारा किये जा रहे प्रयासों से आशा की एक किरण-सी नज़र आ रही है जो मेरे लिए बेहद उत्साहवर्धक अनुभव है…
इस संदर्भ में मेरा आपसे निवेदन है कि पंद्रह वर्ष तक के बच्चों के लिए कृपया एक बाल-विज्ञान पत्रिका के प्रकाशन की शुरुआत अवश्य कराएं जिससे खेल खेल में देशभर के हमारे बाल-पाठक विज्ञान के सिद्धांत और इसके क्रिया कलापों का आनंद लेते हुए विषय को आसानी से समझ सकें…..
मुझे आश्चर्य है कि 60-70 के दशक में प्रकाशित होने वाली ‘विज्ञान लोक’ व ‘विज्ञान जगत’ जैसी उपयोगी व रोचक बाल-विज्ञान पत्रिकाओं के बाद आजतक अपने देश में बच्चों के लिए विशेष तौर पर कोई बाल-विज्ञान पत्रिका प्रकाशित ही नहीं हुई…
यदि मेरे इस प्रस्ताव पर अमल हो सका तो यह न केवल एक ऐतिहासिक फैसला सिद्ध होगा वरन पूरे देश के बच्चे इससे लाभान्वित भी होंगे और आगे चलकर विकसित होने वाली यही पीढी आपकी आभारी भी रहेगी l
शेष आपके निर्णय के बाद…
सादर एवं सस्नेह
आइवर यूशिएल
लोकप्रिय बाल-विज्ञान लेखक