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सुख-दुख

ये बिल्कुल नये तरह का साइबर फ्रॉड है, आप भी फँस सकते हैं!

कुंदन पांडेय-

दो दिन पहले एक फोन आया। ऑटोमेटेड कॉल था। बताया गया कि आपके द्वारा भेजा गया पार्सल रिटर्न हो गया है। मैं सोच में पड़ गया! हाल-फिलहाल मैंने किसी को कोई कूरियर भेजा नहीं था। फिर बताया गया कि अधिक जानकारी के लिए नौ दबाएं। सलाह मानने पर कॉल ट्रांसफर की गयी।

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उधर से किसी की टूटी-फूटी हिन्दी में मदद का आश्वासन मिला। क्या मामला है, पूछने पर वही बात दोहराई गई। मैंने कहा कि मैंने तो ऐसा कोई कूरियर भेजा ही नहीं है।

मैंने आग्रह किया कि आप मुझे ईमेल पर सारी जानकारी दें तो उस शख्स ने कहा कि उसे इसकी इजाजत नहीं है। पर वह फोन पर सारी जानकारी उपलब्ध करा सकता है।

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आगे कि जानकारी में उसने बताया कि कस्टम विभाग ने मुंबई एयरपोर्ट पर वह पार्सल पकड़ लिया है जो उनके अनुसार मैंने भेजा है। उस पार्सल में कुछ अवैध समान विदेश भेजा जा रहा था। भेजने वाला किसी सहर गांव, अंधेरी ईस्ट, मुंबई का रहने वाला है। यह सुनकर थोड़ी राहत मिली होगी शायद, तो हंसी आ गयी। मैंने कहा कि भाई मैं नोएडा में रहता हूँ।

उसने कहा कि यह कूरियर 18 जुलाई को भेजा गया है। यहां तक तो सब ठीक था। फिर उसने जो बताया उससे मेरा, कम से कम, चार से पांच घंटा खराब हो गया।

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जानकारी कुछ ऐसी थी। उस पार्सल में अवैध समान मलेशिया भेजा जा रहा था। अवैध समान भी कुछ ऐसा-वैसा नहीं। बाघ का स्किन और तीन सिम कार्ड। भेजने वाले ने मेरा नाम और नंबर इस्तेमाल किया था। यह समान किसी तमपी बुमजू के पास जा रहा था जिनका पता बताया गया- 156, विक्टोरिया स्ट्रीट, मलेशिया। बताने वाले ने एक शब्द और बोला था जो मेरी समझ में नहीं आया।

फिर आगे बताया कि कस्टम विभाग ने मेरे नाम से एक एफआईआर दर्ज किया है। एफआईआर नंबर है- MH104507। थाने का नाम जहां एफआईआर दर्ज हुआ है- मुजफ्फरखाना, छत्रपती शिवाजी टर्मिनल एयरपोर्ट एरिया, बताया गया।

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मेरी सहूलियत के लिए भाई ने थाने में कॉल ट्रांसफर की बात भी की। इतनी बड़ी-बड़ी बात सुनकर मुझे भी यही सही लगा। कॉल ट्रांसफर हुआ। एक नई आवाज आई। पूछा कि क्या बात है। मैंने बताया कि पत्रकार हूँ और दिल्ली एनसीआर में रहता हूँ। फिर पिछले पांच-सात मिनट में जो मुझे बताया गया था, उसे मैंने दोहरा दिया। उधर से आवाज आई, हाँ ऐसा एफआईआर दर्ज तो है।

फिर उसने बताया कि अगर भेजने वाले आप नहीं है और आपका नाम इस्तेमाल किया गया है तो आप एक कम्प्लैन्ट दर्ज कर दीजिए। मैंने कहा यह सही है, मैं अपने स्थानीय थाने में दर्ज कराता हूँ। उसके अनुसार यह शिकायत उसी थाने में दर्ज होगी जहां एफआईआर दर्ज है। फिर उसने मेरी हमदर्दी में मुझसे कुछ जानकारी मांगी कि अगर मैं मीडिया में हूँ तो किस संस्थान से जुड़ा हूँ। कहाँ रहता हूँ। मोहल्ले और घर का पता इत्यादि। यहां मैंने एक गलती कर दी और अपना पता बता दिया। मैंने उसका नाम भी पूछा तो उसने अपना नाम संदीप राव बताया। और पूछा कि शिकायत दर्ज कराना चाहते हो? मैंने थोड़ी मोहलत मांगी और फोन कट गया।

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सही जानकारी इकट्ठा करना मेरे लिए आसान भी नहीं था क्योंकि सारी बातें मुझे समझ में नहीं आई थी। जैसे मुज़फ्फरखाना नाम का थाना। मैंने इंटरनेट पर इस थाने को ढूंढने की कोशिश की पर मिला नहीं।

फिर मैं यहाँ के स्थानीय थाने में गया। एक छोटा सा थाना जहां बमुश्किल आठ से दस लोग तैनात थे। सब ने हमदर्दी दिखाई। मेरे बात शुरू करने के पहले ही बताने लगे कि यह ऑनलाइन धोखाधड़ी का मामला है। परेशान होने की जरूरत नहीं है। फिर मुझे साईबर क्राइम के इंचार्ज से मिलवाया गया।

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उनके अनुसार कम से कम आठ से दस लोग, रोज ऐसी शिकायत लेकर आ रहे हैं। मैंने जोर दिया कि ऐसे अपराध जिसमें सिम और बाघ की छाल विदेश ले जाने की बात हो, तो क्या किया जाए। उनका कहना था कि ये लोग कॉल सेंटर के सेट अप में बैठकर हिट एण्ड ट्राइ की कोशिश करते हैं। उनकी कहानी में इतना वजन होना होता है कि लोग डरें और उनसे अपनी जानकारी साझा करें। तब तक एक और सज्जन आए जिनको फोन आया था कि उन्हें किसी बड़े अपराधी ने अपने पक्ष में गवाह बनाया है।

इस अनुभव से गुजरने के बाद समझ में आया कि ऑनलाइन फ्रॉड का स्केल कितना बड़ा है। अगर एक छोटे से थाने में रोज दस लोग अपनी शिकायत दर्ज करा रहे हैं तो पूरे देश में क्या हो रहा होगा! दूसरे, किसी भी कीमत पर फोन पर कोई जानकारी किसी को नहीं देनी है। कोई भी। फोन के उस तरफ अमेरिका का राष्ट्रपति ही क्यों न हो।

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कुंदन को यह फोन आया था। पता नहीं करने वाले कितने सच्चे और कितने झूठे थे। इस कॉल में बताया गया था कि स्मगलिंग जैसा कुछ मामला बना है। यह सब डरावना था। पहले दिन तो सबकी नींद उड़ी रही। फिर साथियों से और पुलिस से बातचीत के बाद रत्ती भर राहत मिली। सबको यही सलाह है कि फोन से न डरें, न कोई जानकारी शेयर करें, जब तक दरवाज़े पर पुलिस न आए। मानकर चलें कि आपको किसी ठगी का शिकार बनाया जा रहा है इसलिए अगर कोई अनजान आपका खैरख्वाह बनने की कोशिश करे तो फोन पर बेरुखी से और डपट कर बात करें। इसकी आदत डालें वरना बहेलिया आएगा जाल बिछाएगा दाना डालेगा दाना चुगना नहीं जाल में फँसना नहीं गाते गाते खुद फँस जाएँगे। पुलिसवाले भाई का शुक्रिया और सबसे अधिक शुक्रिया Mayank भाई का, जिन्होंने दिलासा देने के साथ साथ क़ानूनी पेंच भी समझाये। -चंदन पांडेय

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2 Comments

2 Comments

  1. Khushdeep Sehgal

    July 24, 2023 at 6:10 pm

    इस वीडियो में पार्सल समेत और भी साइबर फ्रॉड्स से सचेत किया गया है-

    https://www.youtube.com/watch?v=UcB7fA44H9o&t=13s

  2. Rahul Singh Chauhan

    July 27, 2023 at 1:43 pm

    बहुत बहुत धन्यवाद सर आपका जानकारी साझा करने के लिए। हमको सचेत होना जरुरी है।

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