पूर्व कुलपति और अख़बार संचालक डॉ निशीथ राय को यूपी की भाजपा सरकार कहीं बदले की भावना से तो नहीं परेशान कर रही? मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी रहे समाजवादी पृष्ठभूमि वाले निशीथ राय ने जो जानकरियाँ दी हैं उससे तो यही लगता है कि उन्हें इरादतन फँसाया जा रहा है।
फ़र्ज़ी दस्तावेज बनाने के आरोपों के बारे में निशीथ राय ने भड़ास से विस्तार से बात की। पढ़िए उनका पूरा पक्ष जिससे पिक्चर पूरी तरह साफ़ हो जाती है-
FIR गलत तथ्यों पर आधारित है। मेरे पास एक ही हाई स्कूल का प्रमाणपत्र है, जिसमें जन्मतिथि 1/10/1963 है। हाई स्कूल के शुरू में जारी सर्टिफिकेट में गलती से जन्मतिथि 1/10/1960 अंकित हो गया था जिसे पिता जी ने स्कूल के माध्यम से यू पी बोर्ड को वापस कर दिया था।
बोर्ड ने संशोधित सर्टिफिकेट 1/10/1963 का जारी कर दिया जिसका उपयोग आज तक सभी जगह किया गया है। हाई स्कूल, इंटर , ग्रेजुएशन,पोस्ट ग्रेजुएशन, पीएचडी, नियुक्तियों संबंधी सभी फार्मों में, वोटर कार्ड, आधार, पैन कार्ड, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस सभी जगह 1/10/1963 ही लिखा गया है।
1/10/1960 सर्टिफिकेट तो मेरे पास है भी नहीं,वह तो पिता जी के द्वारा बोर्ड को वापस कर दिया गया था। कहीं पर भी आज तक 1/10/1960 जन्मतिथि का उपयोग नहीं किया गया है।
कतिपय निहित स्वार्थ वाले लोगों का जिनका ग़लत काम मैं नहीं कर पाया, उन लोगों ने किसी व्यक्ति के माध्यम से मेरा फर्जी वोटर कार्ड इलाहाबाद के गलत पते से बनवा कर और स्वतंत्र चेतना नामक अखबार में सर्टिफिकेट खोने की सूचना मेरे नाम से छपवा कर पुराना सर्टिफिकेट बोर्ड से प्राप्त कर यह कार्य किया।
मेरे संज्ञान में जब यह मामला आया तो मैं ने लखनऊ के हजरतगंज और इलाहाबाद के थाने में FIR दर्ज कराई।
मूल प्रकरण ये है-