
क्या आप उस बच्चे से अंग्रेजी माध्यम से 19वीं रैंक के साथ पीसीएस बनने की उम्मीद कर सकते हैं, जिसकी शिक्षा सरकारी प्राइमरी स्कूल से शुरू हुर्इ हो, जिसे एकेडमिक करियर में अंग्रेजी विषय में 18 अंक ग्रेस मार्क देकर पास किया गया हो, जिसे कक्षा 10 में मात्र 59.8%, 12 में मात्र 63.3% और ग्रेजुएशन में मात्र 48.8% मार्क्स मिले हों और जो कभी यूनिवर्सिटी कैंपस में पढ़ने न गया हो, जिसने कभी कोर्इ कोचिंग तक ज्वाइन न की हो… अलबत्ता ट्यूशन पढ़ाकर पढ़ार्इ की हो… बावजूद इसके, पीसीएस एग्जाम में सफल होकर यह कठिन और जादुर्इ उपलब्धि कृष्णकांत सिंह ने हासिल की है..
उत्तर प्रदेश पीसीएस 2016 के सफल अभ्यर्थियों की सूची में सुलतानपुर जिले के कृष्णकांत सिंह का नाम आने से उनका पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। उनका चयन डिस्ट्रिक्ट ऑडिट ऑफिसर के पद के लिए हुआ है। एमकॉम तक की उनकी पढ़ार्इ लिखार्इ नोएडा में हुर्इ और वह सेक्टर-12 में रह कर प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे। अभी वह सुलतानपुर जिले की एक अदालत में कार्यरत हैं। उनके पिता श्रीकांत सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं जो आज, दैनिक जागरण और पांचजन्य जैसे बड़े संस्थानों में कार्य कर चुके हैं। श्रीकांत सिंह मजीठिया क्रांतिकारी भी हैं यानि उन्होंने मजीठिया वेज बोर्ड के लिए दैनिक जागरण प्रबंधन से लंबी लड़ाई लड़ी और अब भी संघर्षरत हैं।

पत्रकारिता में पिता की चुनौतियों ने कृष्णकांत को बचपन से ही संघर्षों से जूझना सिखा दिया था। 1992 की बात है जब इलाहाबाद से प्रकाशित आज अखबार से पिता श्रीकांत सिंह की नौकरी चली गर्इ तो कृष्णकांत को सुलतानपुर जिले के देवरी गांव में अपने ग्रैंडफादर सीताराम सिंह के साथ रहकर सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ार्इ करनी पड़ी, क्योंकि तब श्रीकांत सिंह पत्रकारिता में नौकरी की तलाश करने के लिए दिल्ली शिफ्ट हो गए थे। दैनिक जागरण में पिता को नौकरी मिली तो कृष्णकांत पिता के साथ रहने के लिए नोएडा पहुंचे।
कृष्णकांत के संघर्षों का अंत यहीं नहीं हुआ। 2013 में दैनिक जागरण ने पिता का तबादला जम्मू कर दिया तो कृष्णकांत को आर्थिक मोर्चे पर पिता का साथ देने के लिए ट्यूशन पढ़ाना पड़ा। उन्होंने नोएडा के सेक्टर-12 में जिज्ञासा एकेडमी नाम से एक कोचिंग शुरू की, जिसके जरिये नोएडा के कर्इ बच्चों का भविष्य संवारा, लेकिन उनका अपना भविष्य उपेक्षित रह गया। हालांकि 2015 में उन्होंने राजस्व लेखपाल पद के लिए लिखित परीक्षा पास कर ली और साक्षात्कार के लिए गौतमबुद्ध नगर के डीएम के समक्ष प्रस्तुत हुए। लेकिन उन्हें यह सरकारी नौकरी नहीं मिल सकी। इसीप्रकार सहायक लेखाकार पद के लिए भी लिखित परीक्षा पास कर साक्षात्कार तक पहुंचे, लेकिन नौकरी नहीं मिल सकी।
2016 में वह फिर सहायक लेखाकार और जूनियर असिस्टेंट की लिखित परीक्षा पास कर साक्षात्कार तक पहुंचे। 2018 में जूनियर असिस्टेंट का परिणाम आया तो उन्हें निराश ही होना पड़ा। 2017 में पासा पलटना शुरू हुआ और इलाहाबाद हार्इकोर्ट की ओर से निकाली गर्इ पेशकार पद की वैकेंसी के लिए उन्हें आखिरकार सफलता मिल ही गर्इ। उन्होंने लिखित व टाइपिंग टेस्ट पास कर लिया और 20 फरवरी 2019 को एडीजे 7 सुलतानपुर जिला न्यायालय में श्री अनिल कुमार यादव की कोर्ट में पेशकार पद पर ज्वाइन कर लिया। उसके दो दिन बाद ही 22 फरवरी के यूपी पीसीएस 2016 का परिणाम आ गया। अब वह जिला लेखा परीक्षा अधिकारी यानी डिस्ट्रिक्ट आडिट आफीसर बन गए हैं।
डिस्ट्रिक्ट ऑडिट ऑफिसर का पद केंद्र और राज्य सरकार के विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों, सांख्यिकी/आकड़ों से जुड़े संस्थानों, विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों के विभागों में होता है। डिस्ट्रिक्ट ऑडिट ऑफिसर के प्रमुख कार्यों में विभिन्न विभागों के रेवेन्यू का ऑडिट करना होता है। सरकारी विभागों के अंतर्गत आने वाले सभी विभागों जैसे शिक्षा विभाग, नगरपालिका, सिंचाई विभाग सहित सभी सरकारी विभागों में सभी प्रकार के वित्तीय लेन-देन का ऑडिट करना डिस्ट्रिक्ट ऑडिट ऑफिसर के अधीन होता है।
आम तौर पर डिस्ट्रिक्ट ऑडिट ऑफिसर की नियुक्ति जिला स्तर पर होती है इसलिए लगभग सभी राज्य लोक सेवा आयोगों के द्वारा इन पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किया जाता है। डिस्ट्रिक्ट ऑडिट ऑफिसर की भूमिका किसी भी संस्थान के आकड़ों से जुड़े मामलों एवं कार्यों को निपटाने के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वह किसी भी प्रकार के वित्तीय लेन-देन और आर्थिक मामलों पर नजर रखता है। यही वजह है कि इस पद के लिए शैक्षणिक योग्यता के अंतर्गत कॉमर्स ग्रेजुएट ही आवेदन कर सकते हैं।
भड़ास के एडिटर यशवंत सिंह की रिपोर्ट.