मीडिया हाउसों द्वारा स्ट्रिंगरों का शोषण किसी से छुपा नहीं है। अपने कार्य संबंधी परेशानियों और वेतन जैसे मुद्दों को हर छोटे-बड़े मीडिया हाउस के स्ट्रिंगरों द्वारा गाहे-बगाहे उठाया जाता रहा है। भड़ास के माध्यम से भी स्ट्रिंगरों का दुख और तकलीफ लगातार सार्वजनिक होती रही हैं। अपनी परेशानियों का हल ढूंढने के इसी क्रम में एक स्ट्रिंगर ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया(पीसीआई) से अपने वेतन संबंधी एक शिकायत की थी। पीसीआई का कहना है कि स्ट्रिंगर का यह मामला इलैक्टॉनिक मीडिया और औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 से संबंधित है। इसलिए पीसीआई न तो उसके मामले का संज्ञान ले सकती है औऱ न ही कोई अन्य कार्यवाही कर सकती है। अब स्ट्रिंगर जाएं तो जाएं कहां। पढ़ें पत्रः