पंडित आयुष गौड़-
Pradeep Marshal भाई को अकेले डायबिटीज़ ने नहीं मारा, उनकी मौत की ज़िम्मेदार कुछ हद तक उनका चैनल भी है। इलाहाबाद के रहने वाले प्रदीप मार्शल लाइव इंडिया में मेरे सहयोगी थे। उनसे बहुत क़रीबी रिश्ता था।
वैसे तो अधिकांश पत्रकार चिटफंड कंपनियों के मालिकों के कार्य कराने में लगे रहते थे फिर चाहे वो ख़बर जगत के कितने भी बड़े नाम क्यों न हो। लेकिन औपचारिक रूप से मार्शल भाई लाइजनिंग ही देखते थे। हर विभाग में अधिकारियों से उनकी अच्छी जान पहचान और पैठ के कारण अधिकांश चैनल मालिक उन्हें कंपनी से संबंधित विभागीय कार्य देते थे। हम लगभग लाइव इंडिया के ऑफ़िस में रोज़ मिलते थे।
इलाहाबाद के होने के कारण मार्शल भाई से विशेष लगाव था। प्रेस क्लब जितनी बार गया अधिकांश उनके साथ गया। मार्शल भाई की ज़िंदगी के आख़िरी दिन बेहद कष्ट वाले थे।किडनी पूरी तरह से ख़राब हो चुकी थी डायलिसिस चल रहा था। परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था और इलाज कराना तो और भी।
लाइव इंडिया से नौकरी छोड़ने के बाद मार्शल भाई ने इंडिया न्यूज़ में काम करना शुरू किया। ऑफ़िस वालों से लगातार गुहार लगाते रहे लेकिन ऑफ़िस वालों ने दस 15,000 रुपये से ज़्यादा और कोई मदद नहीं करी। सबसे खौफ़नाक बात तो ये है कि डायलिसिस के दौरान भी प्रतिदिन मार्शल भाई को इंडिया न्यूज़ के हेड ऑफ़िस से बिजली विभाग, सचिवालय, दिल्ली पुलिस और न जाने कितने विभागों के काम बताए जाते थे।
मैंने उस दौरान मार्शल भाई से छुट्टी लेने को कहा तो वो बोले की भाई तनख़्वाह कट जाएगी घर कैसे चलाऊँगा। दरअसल स्टाफ़ के प्रति ये बेरूखी और संवेदनशीलता आपको सिर्फ़ मीडिया घरों में ही मिलेंगी। इतना कठोर और निष्ठुर कोई ऑफ़िस नहीं होता। इंडिया न्यूज़ ने अपने लड़के मनु शर्मा को बाहर निकालने के लिए जितने पैसे ख़र्च कर दिए उसका 000000.1% भी अगर मार्शल भाई की मदद में लगा देते हैं तो उन्हें काफ़ी राहत मिल जाती।
अरे कुछ नहीं करते तो कम से कम इतना ही कह देते हैं कि भाई तुम अपना इलाज करा लो तनख़्वाह की चिंता मत करो तुम्हारा परिवार हमारा परिवार है। बीमारी पर किसी का बस नहीं लेकिन अगर संस्थान इस तरीक़े का सहारा दे दे तो परिवार में एक अलग मज़बूती आ जाती है। ख़ैर जब हर तरफ़ से दरवाज़े बंद हो गए और निराशा छा गई तो कुछ दोस्तों और Madad Guru के माध्यम से जो बन पड़ा हम सबने किया।
हालाँकि मार्शल भाई ख़ुददार आदमी थे। जब उन्हें एहसास हो गया कि अब दिल्ली NCR में गुज़ारा मुश्किल है तो वो इलाहाबाद अपने घर चले गए और वहाँ कुछ दिनों बाद उनका देहांत हो गया। अब आलम यह है कि मार्शल भाई की धर्मपत्नी बेहद परेशानियों से घिरी है। कुछ दिन पहले उनसे बात हुई। मार्शल भाई के परिवार वाले न तो उनको अपना हक दे रहे हैं और न ही वो इज्ज़त जो एक बहु को मिलनी चाहिए। रोज़गार का कोई ज़रिया नहीं है और परिवार का कोई सहारा नहीं।
मार्शल भाई का लड़का समरविले स्कूल में पढता है, पिछले साल की फ़ीस NGO की मदद से भर दी गई थी इस बार भी स्कूल द्वारा फ़ीस के लिए निरंतर कहा जा रहा है। हमारी संस्था मदद गुरु मार्शल भाई के परिवार का सहयोग कर रही है लेकिन मैं चाहता हूँ कि हमारे तमाम पत्रकार साथी जो इस परिवार की मदद करना चाहते हैं वो आगे आए। केवल आर्थिक मदद नहीं जो जिस क़ाबिल है वे इस परिवार के लिए करें।
वो तमाम मीडिया के साथी जिनके साथ मार्शल भाई ने काम किया है या नहीं भी वो अगर चाहें तो मार्शल भाई के परिवार की मदद कर सकते हैं। मीडिया के बहुत बड़े नाम जैसे प्रबल प्रताप सिंह जी, NK सिंह जी, सतीश के सिंह जी इत्यादि वो लोग हैं जिनके साथ मार्शल भाई ने काम किया और उनके आदेशों पर कई सरकारी दफ्तरों में भटके और मालिकों के काम पूरी ईमानदारी से निपटाए। मेरा इन सभी वरिष्ठों से अनुरोध है कि वे समरविले स्कूल में फ़ोन करें और स्कूल में बच्चे की फ़ीस माफ़ कराने का प्रयास करें। या फिर अपनी सैलरी से कुछ योगदान कर इस परिवार की मदद करें।
मार्शल भाई के परिवार से संपर्क करने के लिए आप इस नंबर पर 096504 64014 संपर्क कर सकते हैं। कोई सहायता राशि भेजने के लिए उनकी धर्म पत्नी का फ़ोन पे नम्बर है- 8383880881
नोट- रात में शराब पीकर भावुक भाई कॉल ना करें, केवल वास्तविक मदद करने वाले, दिन के साथी ही संपर्क करें।