कर्मचारियों द्वारा किए गए मुकदमों के कारण कोर्ट-कचहरी का चक्कर लगाते संपत.
प्रयुक्ति अखबार में आर्थिक संकट और कर्मचारियों का शोषण लगातार जारी है। संस्थान में कार्यरत कर्मचारी अपनी परेशानी किसी से कह नहीं सकते, क्योंकि उनकी सेलरी रोक दी जाएगी। काम छोड़ने के बावजूद एक महिला कर्मचारी का फुल एंड फाइनल अभी तक नहीं किया गया है।
जून महीने में यहां के कर्मचारियों को 19 तरीख को सेलरी मिली थी। लेकिन जुलाई में अखबार के मालिक संपत ने इसे दो दिन और आगे बढ़ा दिया। भड़ास पर खबर आने के बाद प्रयुक्ति के मालिक संपत ने अपने कर्मचारियों को आदेश देकर उनके फेसबुक वॉल पर ‘भड़ास के शरणार्थियों’ को पैगाम दिलाया था कि उन्हें सेलरी की कोई परेशानी नहीं है।
लेकिन फेसबुक पोस्ट में कहीं यह नहीं लिखवाया कि जब इन्होंने ज्वॉइन किया था तब सेलरी किस तारीख में मिलती थी और अब कौन-सी तारीख में मिल रही है। आश्चर्य की बात तो यह है कि मालिक अपनी बात जुलाई महीने में भी सच साबित नहीं कर पाया कि अखबार में सेलरी की कोई समस्या नहीं है।
यही कारण है कि प्रयुक्ति अखबार से अच्छे लोगों का काम छोड़कर जाने का सिलसिला लगातार जारी है। अखबार की तथाकथित हाई पॉवर कमेटी के एक सदस्य रहे पत्रकार ने भी यहां से काम छोड़ दिया है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कुछ और लोग भी प्रयुक्ति अखबार छोड़ने का मन बना चुके हैं।
प्रयुक्ति के मालिक की कोर्ट में पेशी, देना पड़ा 50 हजार का चेक
छुटभैये अखबारों के मालिक भले ही अपने आपको खुदा समझते हों लेकिन देश में कानून सबसे उपर है। आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे प्रयुक्ति अखबार के मालिक संपत को चेक बाउंस के एक मामले में कोर्ट में पेश होना पड़ा। इसके साथ ही 43,200 रुपये के चेक बाउंस के मामले में 50 हजार रुपये का नया चेक भी जज के सामने केस करने वाले को देना पड़ा।
चेक बाउंस के इस पुराने मामले की कड़कड़डूमा कोर्ट में मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत में केस संख्या 0003208 / 2017 की सुनवाई हुई। यदि मालिकों की ओर से दिया गया चेक फिर से बाउंस हो जाता है तो इस मामले में जेल की सजा भी हो सकती है। यह चेक बाउंस का मामला पिछले दिनों सर्कुलेशन विभाग के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने प्रयुक्ति अखबार के मालिकों के खिलाफ दर्ज कराया था।
प्रयुक्ति अखबार इस समय आर्थिक संकट से गुजर रहा है। कई दूसरे कर्मचारियों के चेक भी बाउंस हो चुके हैं। मालिकों की गलत नीतियों और लगातार वेतन मिलने में हो रही देरी की वजह से कर्मचारी लगातार अखबार को छोड़कर जा रहे हैं। पिछले सप्ताह दो और कर्मचारियों ने प्रयुक्ति अखबार को छोड़ दिया। जो मामला कोर्ट में है उसका पुराना और कोर्ट में मालिक की ओर से जमा कराया गया नया चेक की फोटोकॅपी भेज रहा हूं।
नया चेक केस करने वाले ने बैंक में डाल दिया है। चेक डालते समय सोमवार को प्रयुक्ति अखबार के खाते में बैलेंस नहीं था। हो सकता है कि यह चेक भी बाउंस हो जाए। इससे पहले मैंने आपको जिन दो लोगों के बाउंस चेक की फोटोकॉपी भेजी थी उनमें से एक के खिलाफ संपत ने अपने रिपोर्टरों और फोटोग्राफरों के द्वारा सोशल मीडिया (व्हाटसएप ग्रुपों) में झूठी बातें डलवाना शुरू कर दिया है।
दिवालिया होने की ओर प्रयुक्ति अखबार!
दिल्ली छोड़ नोएडा शिफ्ट हो चुके प्रयुक्ति अखबार की आर्थिक हालत लगातार खराब होती जा रही है। यहां चेक बाउंस का सिलसिला लगातार जारी है। पिछले हफ्ते भी करीब आधा दर्जन लोगों के चेक बाउंस हुए हैं। यह सभी लोग प्रबंधन की दिशाहीन सोच और अखबार की बिगड़ती हार्थिक हालत और लगातार आगे बढ़ती सेलरी की तारीख के चलते अखबार छोड़ चुके हैं।
मालिकों के खिलाफ कई केस पहले ही विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं। अखबार की आर्थिक हालत इतनी खराब है कि मालिक संपत ने यहां के कई कर्मचारियों की सेलरी घटा दी है। दिल्ली छोड़ने के पीछे भी पैसे की तंगी रही है। प्रयुक्ति अखबार के मालिकों ने कई मोबाइल कंपनियों से कॉरपोरेट कनेक्शन लेकर लाखों का बकाया बिल जमा नहीं कराए।
संपत ने दिल्ली ऑफिस में कई कार्यक्रम कराए थे। वेंडर्स को भुगतान नहीं किया गया। इसके अलावा स्टाफ के लोगों के डिजी बैंक, आईसीआईसीआई, एक्सिस, एचडीएफसी और कोटक महिंद्रा सहित कई बैंकों में अलग अलग सेलरी अकाउंट खुलवाकर बैंकों से लोन ले लिया। जब इन सभी का दबाव वसूली के लिए बढ़ गया तो संपत ने दिल्ली छोड़कर अखबार का नया ठिकाना नोएडा के सेक्टर-2 में बना लिया। समाचार एजेंसी भाषा और यूनीवार्ता का लाखों रूपये का सदस्यता शुल्क अखबार की ओर बकाया है।
कभी भी लग सकता है ताला!
सच, सोच और समाधान के टैग के साथ दिल्ली से शुरू हुआ दिशाहीन अखबार प्रयुक्ति अब दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। अखबार से जुड़ा सच यह है कि कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन की तारीख लगातार बढ़ती जा रही है। मालिकों की सोच यह है कि लोगों से ज्यादा से ज्यादा काम करवाओ और उनके पैसे मार कर बैठ जाओ।
समाधान यह निकाला है कि लगातार सेलरी लेट करो और जो कर्मचारी छोड़कर चला जाए उसके पैसे मत दो। अखबार की शुरूआत में यहां के कर्मचारियों की सेलरी 30 या 31 तारीख में आ जाती थी। लेकिन मालिक संपत कुमार ने अब सेलरी की तारीख बढ़ाकर अगले महीने की 20 कर दी है।
कोई कर्मचारी काम छोड़कर भी जाना चाहे तो उसके 20 दिन के पैसे मारे जाते हैं। सेलरी मिलने से पहले चला गया तो फिर पूरे डेढ़ महीने से ज्यादा के पैसे मारे जाते हैं। किसी भी कर्मचारी को अपॉइंटमेंट लेटर नहीं दिया जा रहा, ताकि कोई लेबर कोर्ट में केस न कर सके। अखबार की आर्थिक हालत इतनी खराब हो चुकी है कि सर्कुलेशन और मार्केटिंग टीम को फरवरी महीने के बाद से सेलरी नहीं दी गई।
पिछले महीने रिपोर्टिग स्टाफ में आए एक नए कर्मचारी को वेतन का चैक दिया गया वह भी बाउंस हो गया। मालिक संपत कुमार और विनय कुमार के खिलाफ दिल्ली की अलग अलग अदालतों में चैक बाउंस के आधा दर्जन से ज्यादा केस चल रहे हैं। अखबार प्रयुक्ति में कर्मचारियों की हालत बंधुआ मजदूर से कम नहीं है।
मालिक यहां के संपादक से लेकर चपरासी तक के साथ अभद्रता करता है। अखबार के मालिकों का इसके अलावा दूसरा कोई व्यापार नहीं है। चर्चा तो यहां तक है कि पैसे की देनदारी का दबाव इतना ज्यादा बढ़ गया है कि आने वाले दिनों में कभी भी ताला लग सकता है।
प्रयुक्ति अखबार में कार्यरत एक मीडियाकर्मी द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
https://www.youtube.com/watch?v=UmK1ihBhbN0