
अश्विनी कुमार श्रीवास्तव-
संसद से बाहर होना राहुल के लिए वरदान है, बशर्ते वह अदानी के मसले पर यूं ही हंगामा खड़ा करते रहें। राहुल को तो मोदी का धन्यवाद करना चाहिए कि उन्होंने सड़क पर उतरकर इस मुद्दे पर आंदोलन करने के अलावा कोई रास्ता राहुल के सामने छोड़ा ही नहीं है।
अगर राहुल संसद में ही बोलते रहते या सोशल मीडिया अथवा मीडिया में ही मोदी से सवाल पूछते रहते तो भारत के कोने- कोने में जाकर जनता के बीच अदानी और सरकारी भ्रष्टाचार पर मोदी से सवाल पूछने का यह सुनहरा मौका उन्हें कभी न मिल पाता।
जाहिर है, संसद में भाषणबाजी करके या जवाब देने के लिए मोदी को ललकार के वह इस मसले पर जितना जन समर्थन पा सकते थे, वह पा चुके… और उससे वह कुछ सीट भले ही ज्यादा जीत जाएं लेकिन केंद्र में सरकार बनाने लायक बहुमत कभी नहीं पा पाएंगे।
असली जन समर्थन तो सड़कों पर आंदोलन करके या आंदोलन करते हुए जेलों को ठसाठस भरकर ही बटोरा जा सकता है। सरकार बनानी है तो आंदोलन के अलावा राहुल के पास कोई रास्ता भी नहीं है।
राहुल यूपी के विपक्षी नेता अखिलेश यादव से तो इस मामले में बेहतर हैं कि इस बार राहुल अदानी मुद्दे पर सड़क और संसद पर बेहद आक्रामक नजर आ रहे हैं।
अखिलेश भी अक्सर सड़क पर उतरते हैं लेकिन कभी- कभार विधानसभा और अक्सर सोशल मीडिया पर ही बयानबाजी करके वह अपनी राजनीति चमकाते ज्यादा नजर आते हैं।
यही नहीं अखिलेश अदानी या यूपी में कानून व्यवस्था आदि संवेदनशील मुद्दों को छोड़कर सारस जैसे ‘अहिंसक‘ मुद्दों पर ही सोशल मीडिया व मीडिया में ज्यादा बयानबाजी करते हैं। संभवतः वह इन मुद्दों को ED, CBI आदि को ध्यान में रखकर ही चुन रहे होंगे।
बहरहाल, राहुल के पास अभी एक साल है। अदानी और भ्रष्टाचार के मसले पर उनकी आवाज अब संसद से कहीं ज्यादा ऊंची और ज्यादा सड़कों पर सुनाई दी तो मोदी पूरे चुनाव भर उनका सामना करने से वैसे ही भागेंगे, जैसे अभी तक वह संसद में भाग रहे थे।
चुनाव में हार – जीत किसी की भी हो लेकिन लड़ाई में अपने प्रतिद्वंदी की बोलती बंद रखना या उसके दिलो- दिमाग में हार का खौफ बनाए रखना भी किसी जीत से कमतर एहसास नहीं होता।
One comment on “मोदी पूरे चुनाव भर राहुल का सामना करने से भागेंगे!”
तुम्हारे जैसे स्वप्नजीवी हैं तो मोदी फिक्र क्यों करेगा भैय्या?