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सुख-दुख

रजनीकांत क्यों गिर पड़े योगी के चरणों में!

रुद्र प्रताप दुबे-

72 वर्ष के रजनीकांत 51 वर्ष के योगी आदित्यनाथ का पैर छू रहे हैं! यहाँ पर न रजनीकांत महान है न योगी जी, असल में महान वह संस्कृति है जिसने ‘जाति ना पूछो साधू की’ का मंत्र दिया।

साधू से सनातन संस्कृति ‘अकारण प्रणाम’ करती है। ना उम्र देखती है, ना जाति.. सड़क पर दर्शन मात्र हुए और प्रणाम हो गया। असल में केवल यही करके हम धन्यवाद दे देते हैं उन सभी लोगों को जिन्होंने हमें मंत्र, व्यवस्थाएं, शिक्षाएं और सामाजिक अनुशासन दिए। अनुग्रह शब्दातीत है। धन्यवाद बोला नहीं जा सकता। बोलते ही छोटा हो जाता है। भाव बड़ा है, शब्द बहुत छोटे इसलिए भाव-विभोर होकर रजनीकांत जी झुक गए।

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प्रणाम करने की पाठशालाएं नहीं होती, ये तो आत्मा अपने संस्कारों के साथ लेकर चलती है। सब कुछ भाषा की पकड़ में होता तो गले लगना, पैर छूना, रो लेना जैसी कोई चीज ही न होती। कुछ चीजें बस अनुभव में आती हैं और फिर होती जाती है, ये भाषाओं से बाहर की चीज है। सच तो यही है कि अगर आप झुक रहे हैं तो वास्तव में आप उठ रहे हैं, शर्त मात्र इतनी है कि झुकना हार्दिकता से हो, औपचारिकता से नहीं।


प्रदीप श्रीवास्तव-

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यूं ही नहीं कोई बन जाता है रजनीकांत : जिनकी एक झलक पाने के लिए उनके चाहने वाले जान तक देने को उतारू रहते हैं, फिल्मों का वह महानायक संत परंपरा, संतों का कितना सम्मान करता है उसे बताने के लिए यह तस्वीर काफी है। लोगों के समझ में यह बात आ जानी चाहिए कि दक्षिण भारतीय फिल्में इतनी लोकप्रिय क्यों होती हैं। दक्षिण भारतीय फिल्में और दक्षिण भारतीय लोग सनातन धर्म और संतों का कभी अपमान नहीं करते हैं, इस कारण भी उन्हें दर्शक पसंद करते हैं। एक संत को देखकर श्रद्धा से उनके चरण छूना है तो एक छोटी घटना लेकिन इसका संदेश बड़ा है।
फिल्मों के इस महानायक ने यह साबित किया है कि वह फिल्मों का ही नहीं असल जिंदगी का भी नायक है। सच में, यूं ही नहीं कोई बन जाता है रजनीकांत।


नवेद शिकोह-

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योगी के बढ़ते क़द का अंदाजा लगाइए ! दक्षिण भारत में भगवान की तरह पूजे जाने वाले अभिनेता रजनीकांत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पैर छू रहे हैं। इस वायरल तस्वीर का निहितार्थ समझने के लिए नौ साल पुराने फ्लैशबैक में ले चलते हैं-

गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पूरे देश में सिर चढ़कर बोल रही थी। 2014 में एनडीए ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री का दावेदार घोषित कर दिया था। ऐसे में मोदी सबसे पहले साउथ के सुपरस्टार अभिनेता रजनीकांत से भेंट करने चेन्नई उनके आवास पंहुचे थे।

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मुलाकात के बाद रजनीकांत ने कहा था- मोदी एक ग्रेट लीडर और अच्छे प्रशासक हैं। मैं उन्हें सफल होने की शुभकामनाएं देता हूं। जिस हस्ती ने मोदी को प्रधानमंत्री बनने का आर्शीवाद दिया वही हस्ती योगी से आर्शीवाद ले रही है।अंदाजा लगाइए योगी का क़द यूपी के मुख्यमंत्री पद से कहीं ऊपर है।

बीते शनिवार को रजनीकांत अपनी फिल्म जेलर की स्क्रीनिंग के लाए लखनऊ आए थे। योगी आदित्यनाथ से करीब पच्चीस वर्ष बड़े रजनीकांत ने योगी के पैर छूकर उनसे आर्शीवाद लिया। साउथ के सुपरस्टार की ये तस्वीर देखकर यूपी वालों का गर्व से सीना फूल गया। चर्चाएं होने लगीं कि बाबा बुल्डोजर का रुतबा मुख्यमंत्री से कहीं ऊपर है। वो योगी हैं, महंत है, संन्यासी हैं और बेहद लोकप्रिय व भरोसेमंद राष्ट्रीय स्तर के सर्वश्रेष्ठ नेता हैं।
देश-दुनिया के लोकप्रिय नेता नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने से पहले समर्थन और शुभकामनाएं लेने के लिए जिनके आवास जाना पड़ा था वो रजनीकांत योगी आदित्यनाथ से आर्शीवाद लेने फाइव केडी आएं तो मानना पड़ेगा कि यूपी के मुख्यमंत्री के बढ़ते कद के ग्राफ और लोकप्रियता का क्या आलम है। देश के कोने-कोने में किस कद्र योगी का यश फैल रहा है। अब साउथ भी अछूता नहीं रहा। चार दशकों से अधिक जिसकी दीवानगी दक्षिण भारत में इतनी है कि लोग जिसे भगवान मानते है वो खुद योगी आदित्यनाथ का दीवाना है।

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रजनीकांत की तीन खासियतें हैं। एक ये कि लोगों में उनकी इतनी दीवानगी है कि दक्षिण भारत में उन्हें भगवान की तरह पूजा जाता हैं। दूसरी खास बात ये कि सियासत में उनका दखल रहा है। जितने बड़े अभिनेता हैं उतने बड़े वो नेता भी बनना चाहते हैं।
तीसरी बात ये कि वो भारत के सबसे बड़े एक्शन हीरो हैं।

योगी जी से उनका लगाव शायद इसी लिए है। रजनीकांत पर्दे पर एक्शन दिखाते हैं और योगी हकीकत में। बतौर मुख्यमंत्री इनका त्वरित एक्शन यूपी की गुड गवर्नेंस का कारण है। यूपी दंगा मुक्त और माफिया मुक्त शायद इसीलिए ही हो रहा है क्योंकि अपराधियों को उनके अंजाम पर पहुंचाना हो या बुल्डोजर चलाना हो, यूपी सरकार के एक्शन को दुनिया सलाम करने लगी है।
साउथ का हर राजनीतिक दल रजनीकांत की एहमियत समझता है और रजनीकांत साउथ की राजनीति में किसी ना किसी रूप से महत्वपूर्ण दखल रखते हैं।‌ चर्चाएं ये भी होने लगी हैं कि दक्षिण भारत की सियासत और हुकुमतों को बेहतर चलाने के लिए गुरुमंत्र रूपी आशीर्वाद और वरदान लेने के लिए रजनीकांत योगी से मिलने आए थे। रजनीकांत चाहते हैं कि साउथ की सरकारें चलाने वाले सियासतदां भी यूपी के फार्मूले पर सरकारें चलाएं।

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शशि सिंह-

राष्ट्रपति रहते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बनारस के पंडितों के पॉंव पूजे थे। नेहरू जी को यह बात नागवार गुजरी थी। यह नेहरू की समस्या थी। उनकी समझ छोटी थी इसमें राजेंद्र बाबू का क्या दोष?

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योगी आदित्य नाथ को मात्र एक मुख्यमंत्री भर मानने वालों की सोच की सीमा है, उसके परे उनकी बुद्धि उनकी आत्मा को जाने नहीं दे सकती। दबोचकर रखी गईं आत्माओं का अपना भाग्य है। इसमें कोई क्या कर सकता है? उन्हें कोई यह नहीं समझा सकता कि अजय सिंह बिष्ट और गोरक्षपीठ के प्रमुख योगी आदित्य नाथ दो व्यक्तित्व हैं। अजय सिंह बिष्ट की अंत्येष्टि हो चुकी है। वह अब इस दुनिया में नहीं हैं। अब जो योगी हमारे सामने हैं वह मत्स्येन्द्रनाथ का अंश हैं, गुरू गोरखनाथ की परम्परा की वर्तमान कड़ी हैं। इस भगवाधारी की उम्र सैकड़ों साल है। 73 साल के शरीर का सैकड़ों साल के चैतन्य के सामने नतमस्तक होना स्वाभाविक है।

73 वर्षीय रजनीकांत को मात्र एक चर्चित अभिनेता समझना भी ऐसी ही भूल है। वह एक विशुद्ध सनातनी हैं और उन्होंने मत्स्येन्द्रनाथ के अंश के सामने झुककर अपने कर्तव्य का निर्वहन किया है। हमें योगी जी जैसे गुरुओं और रजनीकांत जी जैसे निष्ठावान सनातनियों पर गर्व होना चाहिए।

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अनिल सिंह-

करोड़ों प्रशंसक, शानदार अभिनय, मेगा सुपर स्टार, फिर भी विनम्रता इतनी कि मठाधीश योगी आदित्यनाथ के चरणों में झुकने में तनिक भी हिचक नहीं! सचमुच रजनीकांत ऐसे ही महान नहीं हैं! काश, इतना लोकप्रिय एवं ऊंचाई पर पहुंचने वाला हर व्यक्ति ऐसे ही विनम्र होता!!

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1 Comment

1 Comment

  1. हरजिंदर

    August 20, 2023 at 10:11 pm

    सत्ता के आगे झुक गए कथित महानायक।

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