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रवीश कुमार ने यूट्यूब पर भोजपुरी चैनल शुरू कर अपना दायरा और क़द छोटा कर लिया!

डाक्टर शारिक़ अहमद ख़ान-

रवीश कुमार ने यूट्यूब पर भोजपुरी चैनल भी लाँच कर लिया।उनको इस तरह से हँसी का पात्र और जोकर नहीं बनना चाहिए।सिर्फ़ हिंदी चैनल ही चलाना चाहिए था। भोजपुरी हँसी मज़ाक और ठट्टे के लिए तो सही है लेकिन सोशल मीडिया पर गंभीर चर्चा के लिए सही नहीं।

जो भोजपुरी नहीं जानते वो मज़ाक ही बनाएंगे और हँसते हँसते लोटपोट हो जाएंगे, सबको एक नया जोकर मिल जाएगा।

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रवीश कुमार की रऊआ-रऊआ वाली भोजपुरी पर एक क्षेत्र के बिहारी ही बस ख़ुश होंगे।हम रवीश कुमार वाली बिहारी भोजपुरी को असली भोजपुरी भाषा की मान्यता नहीं देते।हमारे पूर्वी यूपी की भोजपुरी अलग है, हमारे आज़मगढ़ की भोजपुरी अलग है, समुदायों की आपसी भोजपुरी भिन्न है।

भोजपुरी स्थानभेद से बदलती है। रवीश कुमार की भोजपुरी बिहार के नेपाल बार्डर वाली बिहारी भोजपुरी है। भोजपुरी कोई भाषा नहीं बल्कि बोली है। भाषा का विशाल साहित्य होता है, भाषा और बोली में अंतर को जानना चाहिए। आप हिंदी बोल रहे हैं, उसी में भोजपुरी भी आ गई।

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रवीश के भोजपुरी यूट्यूब चैनल का प्रारंभिक वीडियो देखें-

https://youtube.com/watch?v=BZSabFSUtCE

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manjeet singh- ये कब हुआ? उनको ऐसा नहीं करना चाहिए जब तक अपने क्षेत्र से चुनाव ना लड़ना हो। भोजपुरी बोली है हरयाणवी की तरह। बोली हर पाँच कोस पर बदल जाती है। हरयाणवी भी छोटे से हरियाणा में एक जैसी नहीं बोली जाती। बहुत से शब्द एक एरिया वाले के दूसरे एरिया वाले नहीं समझते।

शम्भूनाथ शुक्ला- जब कोई अपने इलाक़े की भाषा बोलता या लिखता है तो मैं चुप साध लेता हूँ। क्योंकि इस तरह आप अपना दायरा सिकोड़ लेते हैं। तब मैं अपनी बोली में लिखूँगा। सदैव उस भाषा में लिखना चाहिए जो अधिक प्रचलन में हो।

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बिभास कुमार श्रीवास्तव- भोजपुरी एक बोली नहीं मूल मातृभाषा है। हिन्दी भोजपुरी-अवधी-राजस्थानी आदि की गोद से निकली हुई एक सिंथेटिक भाषा है जिसे संस्कृत ने अपने सिंथेटिक शब्दों से बरबाद कर दिया है। बाक़ी रवीश कुमार की रवीश कुमार जानें।

डाक्टर शारिक अहमद ख़ान- जी, भोजपुरी को मातृबोली कह सकते हैं, जो हर तीन कोस पर बदलती है,समाजों की अलग अलग है, भाषा का विशाल साहित्य होता है, भोजपुरी इससे सन्नाटा है। यहाँ हिंदी का अर्थ हिंदोस्तानी है, जो तमाम भाषाओं से मिलकर बनी है।

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2 Comments

2 Comments

  1. Suraj kumwar

    December 22, 2022 at 10:32 am

    Chup re baklol.. tora jankari ba re kuchh.. bhojpuri magadhi prakrit ke bhakha aa hindi shauraseni ke ta kengani bhojpuri boli ho jai.. bhojpuri bharat ke sanghe sanghe nepal Mauritius me official bawe ta bhojpuri ke daayra hindi jaisan bhasa se besi ba..

  2. गिरिजेश्वर प्रसाद

    December 23, 2022 at 6:11 pm

    जी नहीं। इतना सरलीकरण ठीक नहीं। भोजपुरी चैनल खोलकर रवीश ने अपना दायरा और क़द छोटा किया है या उसे विस्तार दिया है, इसे समय पर छोड़ दिया जाए। कुछ महीनों या सालों बाद हम इस पर बात कर सकते हैं। भोजपुरी बोली ही है,भाषा नहीं है। इसके बावजूद भोजपुरी का वितान बहुत बड़ा है। भोजपुरी भाषी क्षेत्र की संस्कृति और बोली काफी समृद्ध है। इसे लेकर कोई कुंठा पालने की जरुरत नहीं है। रही बात भोजपुरी के कई रुपों का,तो यह प्रत्येक भाषा और बोली के साथ होता है। यदि हर तीन कोस पर बोली बदलती है, तो इसमें कोई अजूबा नहीं है। हिन्दी को ही लें ले, तो बिहार की हिन्दी,उत्तर प्रदेश की हिन्दी,दिल्ली की हिन्दी, हरियाणा की हिन्दी और बंगाल की हिन्दी एक जैसी नहीं है। इसलिए,भोजपुरी को इस बिना पर दुत्कारा न जाए। भोजपुरी साहित्य को कमतर नहीं आँका जाए। भोजपुरी साहित्य और संस्कृति काफी समृद्ध है। भोजपुरी में सन्नाटा नहीं है। आजादी की लड़ाई में भोजपुरी के होली गीतों में भी भगत सिंह और गाँधी होते थे। जो भोजपुरी को हेय दृष्टि से देखते हैं,यह उनकी जानकारी की कमी को दर्शाता है। इसलिए, रवीश के भोजपुरी चैनल का मूल्यांकन समय पर छोड़ दिया जाए। परन्तु भोजपुरी का मूल्यांकन करने के लिए गहराई में जाएँ। भोजपुरी फिल्मों और उनके गीतों को सुनकर कोई राय न बनाएँ।

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