23 अगस्त 2019 को गौतमबुद्धनगर (नोएडा) पुलिस ने पांच पत्रकारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद अलग-अलग जगहों से चार पत्रकारों को नोएडा पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। लखनऊ, गाजियाबाद और गौतमबुद्धनगर से गिरफ्तार किए गए पत्रकारों के नाम नितीश पांडे, चंदन राय, उदित ठाकुर और सुशील पंडित हैं।
नोएडा पुलिस ने गैंगस्टर एक्ट लगाकर इन चारों पत्रकारों को सलाखों के पीछे भेज दिया. पांचवा पत्रकार फरार था जिसने कुछ दिन पहले कोर्ट में सरेंडर कर दिया. बता दें कि गौतमबुद्धनगर की पुलिस ने इन पांचों पत्रकारों पर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया था. इसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्रकार चंदन राय और नितीश पांडे को 19 जनवरी 2020 को जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए.
कोर्ट के आदेशानुसार और जमानत की औपचारिकता पूरी करने के बाद 28 जनवरी की शाम को चंदन राय और नितीश पांडे को रिहा कर दिया गया. वहीं जेल में बंद अन्य पत्रकारों को भी कल यानि 12 फरवरी की शाम कोर्ट द्वारा रिहा कर दिया गया है.
जेल से बाहर आए पत्रकार चंदन राय का कहना है कि उन पर लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं. चंदन का कहना है कि गिरफ्तारी के समय और आज भी वे उसी बयान पर अडिग हैं कि उन्हें झूठे इल्जामात के तहत फंसाया गया. चंदन राय के मुताबिक आईपीएस अधिकारियों की आपसी लड़ाई में वे मोहरा बन गए. उन्होंने बताया कि इस घटना के कुछ महीने बाद ही गौतमबुद्धनगर के तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण की रिपोर्ट में भी ये बात साफ हो गई थी.
पत्रकार चंदन राय ने आगे कहा कि फिलहाल मामला कोर्ट में विचाराधीन है. उन्हें न्याय पर पूरा भरोसा है. सत्य की ही जीत होगी. हम पांचों पत्रकारों पर जो बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं, वे झूठ के पुलिंदा भर साबित होंगे.
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