‘शीतलवाणी’ के राजेन्द्र राजन विशेषांक का लोकार्पण
सहारनपुर। देश के जाने माने गीतकार राजेन्द्र राजन पर केन्द्रित ‘शीतलवाणी’ हिन्दी त्रैमासिक का हिन्दी के प्रख्यात विद्वान व उ. प्र. हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो.सदानंद गुप्त तथा सुविख्यात साहित्यकार तथा उ. प्र. हिन्दी संस्थान के निर्वतमान कार्यकारी अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह तथा सहारनपुर के पूर्व कमिश्नर व साहित्यकार आर पी शुक्ल ने लोकार्पण किया।
लोकार्पण में गीतकार राजेन्द्र राजन, शीतलवाणी के संपादक डॉ.वीरेन्द्र आज़म भी मौजूद रहे। लोकार्पण यू पी प्रेस क्लब लखनऊ में हुआ।
मुख्य अतिथि प्रो. सदानंद गुप्त ने इस अवसर पर कहा कि राजेन्द्र राजन की रचनाओं से गुज़रना संवेदनाओं की घनी अनुभूतियों का अहसास है, उनके गीतों में सहजता है। राजन जी की रचनाएं कवि और श्रोताओं के संबंध को चरितार्थ करती हैं। उन्होंने जायसी, निराला, निर्मल वर्मा व जिगर मुरादाबादी के उद्धरण के साथ साहित्य और कविता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि साहित्य हमें उदार बनाता है, मनुष्य बनाता है। साहित्य का पैगाम प्रेम का पैगाम है। कविता हृदय का हृदय से योग कराती है।
समारोह अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह ने राजन के गीत-‘केवल दो गीत लिखे मैंने’ का उल्लेख करते हुए कहा कि एक ही पंक्ति में संयोग और वियोग का जैसा सुंदर उपयोग राजन के गीत में वैसा दूसरी जगह नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि गीत की जो धारा भारत भूषण और किशन सरोज से होकर जाती है राजन उसी धारा के गीतकार है। साहित्यकार व पूर्व कमिश्नर आर पी शुक्ल ने कहा कि राजन की कविताओं में प्रेम ही नहीं सामाजिक सरोकार भी है। वे रचना मुक्ति के लिए भी लिखते है और रचना से आत्म मुक्ति के लिए भी।
संपादक डॉ. वीरेन्द्र आज़म ने राजेन्द्र राजन की रचनाधर्मिता पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि राजेन्द्र राजन की रचनाओं से गुजरना यथार्थ के गलियारे से होकर गुजरना है। उनकी रचनाएं समय सापेक्ष और समाज सापेक्ष हैं। उनकी गज़लों में घर की दीवारों के दरकने की आवाज़ भी है और सामाजिक विखंडन का दर्द भी। राजेन्द्र राजन ने कहा कि प्रेम पूरे जीवन का सूत्र है जो जीवन भर साथ चलता है। उन्होंने इस अवसर पर अपने कई शेर और गीत भी सुनाए।
समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार बंधु कुशावर्ती, कथाकार रामनगीना मौर्य, गीतकार श्रीमती संध्या सिंह, विभा मिश्रा, गीतकार सर्वेश अस्थाना, अभय निर्भीक, मोहित संगम, क्षितिज कुमार, सुभाष रसिया, डॉ. अलका वाजपेयी, रेनू द्विवेदी व चंद्रेश शेखर आदि भी मौजूद रहे। संचालन डॉ. श्वेता ने किया।