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एसके राजीव और चन्दन झा छुट्टी पर भेजे गए, प्रभात परिमल की नौकरी गई

बिहार झारखण्ड में खुद को नंबर 1 कहने वाला कशिश न्यूज़ चैनेल एक बार फिर सुर्ख़ियों में .. कशिश न्यूज़ का पटना ब्यूरो ऑफिस बना रण भूमि… स्टेट हेड संतोष सिंह और वरीय रिपोर्टर एसके राजीव के बीच गालीगलौज के बाद हाथा पाई की नौबत आई… ब्यूरो में लगे cctv को देख कर कशिश ग्रुप के CMD ने SK राजीव और चन्दन झा को 15 दिन की छुट्टी पर भेजा… वहीं इस पूरे प्रकरण का शिकार एक बेचारा कैमरा मैन अपनी नौकरी गंवा बैठा ..सनद रहे यह चैनल अपनी शुरुआत से ही राजनीती का अखाडा बना हुआ है.

<p>बिहार झारखण्ड में खुद को नंबर 1 कहने वाला कशिश न्यूज़ चैनेल एक बार फिर सुर्ख़ियों में .. कशिश न्यूज़ का पटना ब्यूरो ऑफिस बना रण भूमि... स्टेट हेड संतोष सिंह और वरीय रिपोर्टर एसके राजीव के बीच गालीगलौज के बाद हाथा पाई की नौबत आई... ब्यूरो में लगे cctv को देख कर कशिश ग्रुप के CMD ने SK राजीव और चन्दन झा को 15 दिन की छुट्टी पर भेजा... वहीं इस पूरे प्रकरण का शिकार एक बेचारा कैमरा मैन अपनी नौकरी गंवा बैठा ..सनद रहे यह चैनल अपनी शुरुआत से ही राजनीती का अखाडा बना हुआ है.</p>

बिहार झारखण्ड में खुद को नंबर 1 कहने वाला कशिश न्यूज़ चैनेल एक बार फिर सुर्ख़ियों में .. कशिश न्यूज़ का पटना ब्यूरो ऑफिस बना रण भूमि… स्टेट हेड संतोष सिंह और वरीय रिपोर्टर एसके राजीव के बीच गालीगलौज के बाद हाथा पाई की नौबत आई… ब्यूरो में लगे cctv को देख कर कशिश ग्रुप के CMD ने SK राजीव और चन्दन झा को 15 दिन की छुट्टी पर भेजा… वहीं इस पूरे प्रकरण का शिकार एक बेचारा कैमरा मैन अपनी नौकरी गंवा बैठा ..सनद रहे यह चैनल अपनी शुरुआत से ही राजनीती का अखाडा बना हुआ है.

पहले चन्दन झा ने CMD से नज़दीकियों के बदौलत स्टेट हेड का पद हथिया लिया ..जिस को लेकर पुराने रिपोर्टर्स मायूस हुए …फिर इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए संतोष सिंह ने स्टेट हेड का पद हथिया लिया… संतोष सिंह की असभ्य बोल चाल की भाषा ने ब्यूरो में कार्यरत स्टाफ को इनसे नाराज़ करना शुरू कर दिया …वही अपने सहयोगियों और वरीय पत्रकारों को …अरे एन्ने आओ …कौची करते है …जैसे संबोधनों से नाराज़ वरीय संवाददाता S k राजीव का गुस्सा फूट पड़ा ..इसकी परिणति ऑफिस में ही गाली गलौज से हुई और हाथापाई की नौबात आ गई … कैमरा मैन प्रभात परिमल को संतोष के कोप भाजन का शिकार होना पड़ा ..और उनकी नौकरी चली गई ….

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0 Comments

  1. SHIV

    December 20, 2014 at 8:54 am

    दोनों इसी के लायक थे… कशिश के शांतिपूर्ण माहौल को खराब करने के वाले पहले नायक यही दोनों थे… दोनों को अब अच्छा फल मिला है… अब दोनों को समक्ष में आएगा कि …दोनों साला बिल्कुल एक जैसा है.. फिर जाएगा और मालिक के पास रोएगा.. गिड़गिड़ाएगा… अब पता भी चल जाएगा कि ब्यूरो चीफ ऑफिस में कैसे रहता है…….

  2. manoj jha

    December 20, 2014 at 1:05 pm

    खवर अच्छी है क्योंकी धिरे-धिरे अचछे लोगों की टीम कशिश से जा रही है।एसकेराजीव कशिश को बनाने वालों में से हैं और जो लोग यहां आज फसल काट रहे हैं वो उसी की बदौलत।रही बात संतोष के साथ गाली गलौज की तो जहां तक मैं एसके को जानता हूं वो गंभीर और शालीन व्यकति है और संतोष के साथ उसके संबंध तब से हैं जब दोनों ईटीभीमें जिला संवाददाता थे।इसिलिये मुझे लगता है कि एसके को साजिश के तहत फसाया गया है—वैसे फिलहाल जो जानकारी है उसके मुताबिक संतोष सिंह के हाथों कशिश को मालिक ने गिरवी रख दिया है.अभी

  3. ram

    December 20, 2014 at 2:55 pm

    राजीव एक गिरगिट है वक्त के हिसाब से अपना रंग बदल लेता है… और चंदन ऐसा एमसी है जिसे सिर्फ उंगली करना आता है… और सुबह से चेहरा दिखाकर दलाली में जुट जाता है… अब देखिए दोनों दिग्गजों का अगला ठिकाना कहां मिलता है…

  4. mannu kumar

    December 21, 2014 at 7:26 am

    संतोष सिंह पत्रकारिता का सबस बङा दलाल है।दरभंगा में दलाली किया तो वहां से हटाया गया और जब पटना में दलाली किया तो पुलिस मुख्यालय ने इसके खिलाफ ईटीवी को शिकायत की और फिर वहां से भी हटाया गया।पटना में दलाली कर ही भूतनाथ रोड में एक ही बार में तीन मंजिला घर बना लिया।पटना आया था तो एक सरा हुआ स्कूटर पर टाई लगाकर चढता था।इसके संपतति अर्जन करने की जांच होनी चाहिये।दरभंगा में इसके दलाली के किस्से मशहूर हैं। जिस चंदन झा ने इसे कशिस में लाया उसी को खा गया।यहां भी दलाली कर खुद लूटेगा और मालिक को भी लूटकर देगा।वैसे कशिस के मालिक की कहानी भी किसी से छिपी नहीं है।अब दोनों दलाल एक साथ आ गये हैं। चंदन झा तो कहीं नां कही ज्वाईन करेगा ही।आनेवाले दिनों में संतोष और कशिस के मालिक दोनों साथ ही जेल में रहेंगे।

  5. vk

    December 26, 2014 at 1:24 pm

    कशिश न्यूज़ के खराब दिन आने वाले

  6. RAHUL ji

    December 28, 2014 at 12:08 pm

    शिव जी दोनों ही नही तीनो उसी लायक है और जो चैनल के प्रमुख है वो भी तीनो से कम नही है क्योकि प्रमुख को चाहिए सबसे बड़ा दलाल , जो आज के वकत में नाम लेने की जरुरत नही वो आप भी खुद जानते है क्योकि ये बुद्धिजीवियों का मंच है और नाम लेना कोई जरुरी है। मै भी इसी क्षेत्र से आता हूँ और कशिश को काफी नजदीक से जानता हूँ। कितने दलाल आये और चले गए , जिसका भरपूर फैयदा प्रमुख ने उठाया। सबसे पहले मै उस दलाल के बारे में बताता हूँ जो अपने प्रमुख को राजनीती में कदम बढ़ाने में मदद किया उसका नाम है अमित झा है जो लालू प्रसाद यादव के काफी करीबी माने जाते थे और उस वकत प्रमुख को कोई संतान नही था , मानो लगता था अमित झा नही आने वाले वकत का उत्तराधिकारी हो , कई बार प्रमुख के साथ लालू के घर आना जाना भी हुआ और जिस दिन लालू यादव ने प्रमुख को ब्राह्मण दक्षिणा दिया , उसी दिन प्रमुख ने अमित झा को बाहर का रास्ता दिखा दिया। उसके बाद समय आया बिहार के सबसे चर्चित व्यक्ति की बारी चन्दन झा की , वो तो प्रमुख के आगे पीछे ऐसे लगे मानो सांप के सामने सपेरा बीन जाता हो , प्रमुख के चमचा गिरी में इस तरह व्यस्त थे उनको चैनल से कोई मतलब ही नही , प्रमुख के एक इसारे पे जान देने को तैयार इस व्यक्ति को भी अपनी क़ुरबानी देनी पड़ी , इस साहब का प्रमुख ने बेहतरीन ढंग से इस्तेमाल किया क्योकि अब प्रमुख बिल्डर से राजनेता जो बनने लगे थे। चन्दन झ के कंधा पे बन्दुक रख कर २०० करोड़ का टेंडर बिहार में लिया और जिस दिन टेंडर का एग्रीमेंट हुआ उसे भी लात मार बाहर का रास्ता दिखा दिया। क्योकि प्रमुख को बिहार का सबसे काबिल और चालक दलाल चाहिए था और प्रमुख ने एस के राजीव को अपना अगला निशाना बनाया एस के राजीव अपनी कार्य क्षमता को दिखाते ही की उसी वकत कशिश में संतोष सिंह नाम के रिपोर्टर का आना हुआ और संतोष जो अपनी चापलूसी के लिए काफी चर्चित है उन्होंने चुपके से प्रमुख को अपने जाल में फंसा लिया और बिहार के प्रमुख की कुर्सी पे काबिज हो गए। क्योकि प्रमुख ने देखा की टेंडर मिला अब काम करने की बरी है तो इस से ज्यादा फायदा मंद बांदा कोई और नही हो सकता है क्योकि इसकी पकड़ प्रशासन पे है और ये थाना पुलिस का काम अच्छी तरह देखेगा जो संतोष शुरू से ही करता आया है। अब आप ये सोच रहे होगे की आखिर ये संतोष सिंह कौन है , मै आपको बत्ताता हूँ ये समस्तीपुर के रोसरा के रहने वाले है इन्होने अपनी कैरियर की शुरुआत प्रखंड रिपोर्टर की तौर पे की और ईटीवी का जब भेकेन्सी आई तो वो दरभंगा के ईटीवी के रिपोर्टर बने और साकेत सिंह के साथ ५०० रूपये जाली नोट कांड में नाम आया तो इनका तबादला पटना हुआ , पटना में पुलिस मुख्यालय में दलाली करते जब ईटीवी को पता चला तो इनके ईटीवी से साफ तौर पे कहा जाये तो निकाल कर सड़क पे फैक दिया। मन्नू जी ने जो ऊपर लिखा है मै उससे सहमत हूँ क्योकि मै भी रिपोर्टर हूँ इंतनी सम्पति का अर्जन इस क्षेत्र में ईमानदारी से काम करने वाले लोग नही कर सकते है। इस लेख पे जरूर बबाल होगा अगर मेरा लेख में कही से भी झूटी है तो चारो व्यकति इसी पोस्ट पे अपना खंडन दे …………

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