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कैमरामैन से काम कराया और कैमरा टूटा तो बिना सेलरी दिये निकाल बिहार किया

न्यूज़ एक्सप्रेस एमपी सीजी जो अब नाम बदलकर स्वराज एक्सप्रेस एमपी सीजी हो चुका है, में एक कर्मचारी को काम छोड़े दो माह पूरे होने जा रहे हैं लेकिन इसकी बकाया सेलरी नहीं दी जा रही है. पता चला है कि संबंधित कर्मचारी इस चैनल में काम करने के लिए उधारी से पैसे लेकर एक कैमरा लिया और करीब साल तक काम किया लेकिन जैसे ही कैमरा खराब हो गया, उसे ब्यूरो चीफ ने नौकरी छोड़ने के लिए कह दिया.

<p>न्यूज़ एक्सप्रेस एमपी सीजी जो अब नाम बदलकर स्वराज एक्सप्रेस एमपी सीजी हो चुका है, में एक कर्मचारी को काम छोड़े दो माह पूरे होने जा रहे हैं लेकिन इसकी बकाया सेलरी नहीं दी जा रही है. पता चला है कि संबंधित कर्मचारी इस चैनल में काम करने के लिए उधारी से पैसे लेकर एक कैमरा लिया और करीब साल तक काम किया लेकिन जैसे ही कैमरा खराब हो गया, उसे ब्यूरो चीफ ने नौकरी छोड़ने के लिए कह दिया. </p>

न्यूज़ एक्सप्रेस एमपी सीजी जो अब नाम बदलकर स्वराज एक्सप्रेस एमपी सीजी हो चुका है, में एक कर्मचारी को काम छोड़े दो माह पूरे होने जा रहे हैं लेकिन इसकी बकाया सेलरी नहीं दी जा रही है. पता चला है कि संबंधित कर्मचारी इस चैनल में काम करने के लिए उधारी से पैसे लेकर एक कैमरा लिया और करीब साल तक काम किया लेकिन जैसे ही कैमरा खराब हो गया, उसे ब्यूरो चीफ ने नौकरी छोड़ने के लिए कह दिया.

यह भी कहा गया कि तुम नौकरी छोड़ दो, तुम्हें तुम्हारी सेलरी पूरी मिल जाऐगी…  इसके बाद उस कर्मचारी के पास चैनल छोड़ने के अलावा कुछ और रास्ता नहीं था. उस कर्मचारी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह कैमरा बनवाकर दोबारा काम कर सके. वहीं ब्यूरो चीफ का यह कहना था कि नए कैमरा लाकर दिखाओ तभी इस स्वराज एक्सप्रेस में काम कर पाओगे.

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लेकिन जब उस कर्मचारी ने चैनल छोड़ा तो उसकी सेलरी रोक दी गई. कर्मी ने नवम्बर माह में पूरी इमानदारी से काम किया लेकिन उसे नवम्बर माह की सेलरी भी नहीं दी गई. उसने जब सेलरी की बात की तो उसे कहा गया कि तुम्हारे जगह पर अभी कोई भी कैमरा मैन नहीं आया है इसलिए सैलरी नहीं दी जा सकती है… लेकिन अब ब्यूरो ने अपने बंदे को इस चैनल में रख लिया है. इसके बाद भी पुराने वाले को सेलरी नहीं दी जा रही है… पता नहीं क्या हो गया है कि अब के चैनल सिर्फ काम लेना जानते हैं, सेलरी देना नहीं. इन चैनलों में काम करने वाले अपने साथ होने वाले अन्याय के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाते. ये भी सच है कि जो उठाते हैं उन्हें न जाने किस-किस तरह की धमकी दी जाती है.

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