Tabish Siddiqui : आप जो देखने को आतुर होते हैं बस आपको वही दिखता है… लिट्टे/LTTE की मिसाल मत दीजिये.. ये मुट्ठी भर लोग थे जिन्हें आराम से एक सरकार दबा सकती थी.. खालिस्तानी मूवमेंट वाले भी मुट्ठी भर थे और जिस धर्म से वो आते थे उस धर्म की यानि सिख धर्म की कुल आबादी पूरे विश्व में इस समय ढाई से तीन करोड़ है.. सिखों का अपना कोई देश भी नहीं है इसलिए ऐसा कोई अंतरराष्ट्रीय दबाव भी नहीं था इस कम्युनिटी को लेकर कहीं…
दुनिया के कुल 195 देशों में से पचास से अधिक मुस्लिम बाहुल्य देश हैं.. दो अरब के क़रीब कुल मुस्लिम आबादी है इस दुनिया की.. हमको और आपको इस्लामिक देशों की ताक़त का शायद अंदाज़ा नहीं है.. दुनिया का बड़े से बड़ा ब्रांड अपने प्रोडक्ट पर “हलाल” का ठप्पा लगाता है..किसके लिए?? हम और आप अगर शाकाहारी हैं और यूरोप पहुंच जाएं तो बड़े बड़े होटलों में भूखे मर जाये.. कहीं नहीं लिखा मिलेगा आपको कि “आप हिंदुस्तान से आये हैं तो इस काउंटर पर आईये, यहां आपको शुद्ध वैष्णवी भोजन मिलेगा”.. मगर हर जगह लिखा मिल जाएगा कि “यहां हलाल मीट मिलता है”..या “हम पोर्क नहीं इस्तेमाल करते हैं”… इससे आप समझ सकते हैं लोगों के अरब देशों से संबंध और उनका दबाव और दबदबा..
और, भारत की भी सिचुएशन समझिए थोड़ा.. एक तरफ़ पाकिस्तान, दूसरे तरफ बांग्लादेश और फिर सबका बाप चीन एक तरफ़.. जो मुहँ बाए इसी इंतज़ार में बैठा हुआ है कि कब भारत में अफरा तफ़री हो और कब वो लपक ले मौक़ा.. आप लोग लिखते हैं कि “हमे वैसा करना चाहिए जैसे चीन कर रहा है मुसलमानों के साथ अपने देश में”.. चीन की एक न्यूज़ आप देख लेते हैं बस आपको लगता है कि वहां मुसलमानों को टार्चर कैम्प में रखा जा रहा है.. और आपको ये नहीं दिखता है कि चीन पाकिस्तान में अरबों खरबों डॉलर का निवेश कर रहा है और उसे मज़बूत बना रहा है.. मगर आप बस वही देखते हैं जो आप देखना चाहते हैं
लोग लिख रहे हैं कि पाकिस्तान पर परमाणु बम मार दो.. फिर उसके बाद हमारा क्या होगा इसका कुछ अंदाज़ा है आपको? कुछ पता भी है कि लगभग सारी दुनिया को हम अपने विरोध में खड़ा कर लेंगे.. ये सब हंसी मज़ाक़ है क्या? और अगर आप जानते हैं कि ये हंसी मज़ाक़ नहीं है तो फिर ऐसे बेवकूफों की पोस्ट लाइक कर के शेयर क्यूं करते हैं? क्यूंकि अगर आप लोगों को इसी तरह की चुहलबाज़ी या बॉलीवुड टाइप स्क्रिप्ट में ही मज़ा आता है तो फिर आप फिल्मों में ही निपटते रहिये पाकिस्तान से.. वही आपकी औक़ात है.
मगर अगर आप सीरियस हैं और चाहते हैं कि अब इन समस्याओं की जड़ से निपटा जाय तो थोड़ा विचारिये.. चारो तरफ़ आंख खोलके देखिये.. मोदी साहब ऐसे नहीं पाकिस्तान भाग के मिलने पहुंच गए थे नवाज़ शरीफ़ के पास.. जब व्यक्ति उस ऊंचे पद पर पहुंचता है फिर उसे अंतरराष्ट्रीय दबाव और अपनी स्थिति का अंदाज़ा होता है.. चुनाव से पहले के उनके भाषण उठा लीजिये और अब उनको सुन लीजिए.. ऐसे नहीं वो अरब के शेखों से अब गलबहियां करते रहते हैं.
ईस्राईल को अमेरिका और यूरोप का भयंकर समर्थन है.. सबसे ज़्यादा ग्रांट अमेरिका इस्राईल को देता है.. इस्राईल यहूदी देश है.. यहूदियों कि धार्मिक पुस्तक तौरेत ईसाईयों की बाइबिल का अंश है.. ये दोनों एक ही धर्म हैं समझिए.. और इस्लाम भी इन्हीं का हिस्सा है क्योंकि वो भी इनके पैगम्बरों को मानता है.. कहीं न कहीं ये सब एक ही हैं.. मुसलमान ईसा को भी मानता है और यहूदियों के मूसा को भी.. इस्राईल की जगह कोई अन्य देश वहां पर होता जिसके निवासी सेमेटिक धर्म के न होते तो अब तक ये देश नक्शे से ग़ायब हो चुका होता.
हमारे साथ कौन है.. नेपाल और भूटान.. क्या हैसियत है इनकी??
गुस्सा हमें भी आता है.. ख़ून हमारा भी खौलता है.. जितने भारतीय आप हैं उतना मैं भी हूँ.. मगर मैं ज़मीन पर रहकर सोचता हूँ.. बॉलीवुड मूवी से प्रेरणा लेकर जै महिष्मति के नारे नहीं लगाने लगता हूँ.. और आपको भी चाहता हूँ कि आप भी धरातल पर रहकर सोचें.. हम सब साथ मिलकर सोचें और मिलकर लड़ें भस्मासुर मानसिकता से.. तभी हम जीत पाएंगे.
सोशल मीडिया के चर्चित और प्रगतिशील लेखक ताबिश सिद्दीकी की एफबी वॉल से.
PRAVESH
February 17, 2019 at 4:06 pm
सिद्धकी जी जरा अपनी मुस्लिमों वाली सोच छोड़कर हिंदू वाली सोच के साथ चले तो अच्छा होगा
Swami Nandan
February 17, 2019 at 5:20 pm
आपके शब्दों से डर लग रहा है अब तो मुसलमान बनना पड़ेगा काहे की चारों तरफ तो मुसलमान है । हाँ लेकिन आतंकवादी मुसलमान नहीं है फिर तो उसका कोई धर्म हीं नहीं होता । इस तरह से डराना बंद करो भाई हमारे पूर्वज भी डरपोक होते तो आज हम हिन्दू नहीं होते ।