जयपुर, 26 जून । राजस्थान में नई कांग्रेस सरकार द्वारा आर्थिक संकट के चलते सभी रीजनल न्यूज़ चैनल्स को जनसम्पर्क विभाग और दूसरे सरकारी विभागों से मिलने वाले सरकारी विज्ञापनों पर रोक लगा दी गई है। ऐसा माना जा रहा है कि यह रोक लंबे समय तक जारी रह सकती है। इसका मुख्य कारण सरकार के मौजूदा वित्तीय संकट को माना जा रहा है, जहां किसान ऋण माफी योजना में किए गए बड़े भुगतान के कारण सरकार की स्थिति डगमगा गई है। सूत्रों की मानें तो सरकारी ट्रेजरी और विभिन्न विभागों में सौ करोड़ से ज्यादा के भुगतान पेंडिंग हो गए हैं।
जानकार सूत्रों के अनुसार राजस्थान में इस समय कुल 9 रीजनल चैनल काम कर रहे हैं, जिनके नाम हैं :- जी राजस्थान, ईटीवी राजस्थान (न्यूज़ 18 राजस्थान ), फर्स्ट इंडिया न्यूज़, पत्रिका Tv, इंडिया न्यूज़ , A1Tv , जन टीवी, समाचार प्लस और न्यूज़ इंडिया राजस्थान. पिछले वित्त वर्ष 18-19 के दौरान इनमें से पहले तीन प्रमुख चैनल ईटीवी राजस्थान (न्यूज़ 18 राजस्थान ), जी राजस्थान और फर्स्ट इंडिया न्यूज़ राजस्थान में से प्रत्येक को 15 करोड़ के सरकारी विज्ञापन मिले थे , जो इन चैनल्स की कुल आय का 50% से भी ज्यादा है। शेष में से अधिकांश को 5 – 6 करोड़ रुपए के विज्ञापन मिले थे। इसका अर्थ यह है कि अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी रीजनल चैनल्स का अस्तित्व मुख्यतः सरकारी विज्ञापनों पर ही निर्भर है। ऐसी स्थिति में सरकारी विज्ञापन बंद हो जाने से इन सभी के सामने अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है और इन चैनल्स के सामने बड़ी संख्या में पत्रकारों की छंटनी कर अपनी लागत घटाने के अलावा कोई विकल्प नहीं रह गया है।
इस लागत घटाओ कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल ने 3-4 पत्रकारों , 4-5 कैमरामेनों और प्रशासनिक विभागों से जुड़े कुल 31 लोगों को जून और जुलाई के महीने का वेतन भुगतान कर कार्यमुक्त कर दिया है। फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल में हुई इस छंटनी का एक कारण यह भी रहा कि पिछले वर्ष जब रीलॉन्चिंग के समय इस चैनल का प्रबंधन बदला तो नए प्रबंधन ने अपने साथ लाए 250 – 300 लोगों के अलावा चैनल के पुराने 65-75 लोगों के स्टाफ को उस समय मानवीय आधार पर नहीं हटाया। इस प्रकार एक तरह से वहां काफी स्टाफ पहले से ही सरप्लस था।
फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल के इस कदम के बाद अब न्यूज़ 18 राजस्थान और जी राजस्थान में भी बड़े पैमाने पर छंटनी की आशंकाएं प्रबल हो गई हैं। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार इन दोनों चैनल्स में मौजूद स्टाफ में 50% तक की कटौती अगले कुछ दिनों में की जा सकती है और इसका मुख्य कारण यह है कि इनमें से कोई भी न्यूज़ चैनल 15 करोड़ के सरकारी विज्ञापनों के नुकसान की भरपाई करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल का यह कदम बुरे दौर की केवल शुरुआत ही कहा जा सकता है।
मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकारों के सामने भी कमोबेश यही स्थिति है। कुल मिला कर इन तीनों राज्यों में मीडिया क्षेत्र में रोजगार के अवसर और ख़राब होंगे। गौरतलब है कि पिछले 2 वर्षों के दौरान Etv नेटवर्क (News 18) से लगभग 300 और ज़ी नेटवर्क से 200 लोगों को निकाला जा चुका है।