Girish Malviya : महंगाई 6 सालो के चरम बिंदु पर है. तेल कंपनियों ने भी घरेलू गैस के दाम 144.5 रुपए प्रति सिलेंडर (गैर सब्सिडी ) बढ़ा दिए हैं. यह पिछले 6 सालों की सबसे बड़ी बढ़ोतरी है. कहा जा रहा है कि ऐसा अंतरराष्ट्रीय बाजार में दामों में तेजी आने की वजह से किया गया है.
वैसे क्रूड तो पिछले कुछ महीनों से काफी सस्ता हुआ है इसलिए यह आश्चर्य की बात है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार के आधार पर गैस के दाम बढ़ाने की बात की जा रही है?
लेकिन हां कुछ दिनों पहले यह खबर जरूर आयी थी कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अब कुकिंग गैस रिटेलिंग क्षेत्र में कदम रखा है. दरअसल रिलायंस इंडस्ट्रीज विश्व की सबसे बड़ी रिफाइनरी जामनगर में चलाती है. इसमें बड़ी मात्रा में LPG निकलती है. प्राकृतिक गैस के उत्पाद प्रोपेन और ब्यूटेन जिसका उपयोग एलपीजी बनाने के लिए किया जाता है.
उस प्राकृतिक गैस के दाम भी रिलायंस द्वारा मनमाने तरीके से कुछ महीने पहले बढ़ा दिए गए थे. अब उसका असर रसोई गैस की कीमतों पर पड़ रहा है. शायद इसलिए ही रसोई गैस के दाम बढ़ाए गये हैं. आखिकार रिलायंस ने जो झोले भर भर के फकीर को चन्दा दिया है, उसको भी तो कहीं न कहीं एडजस्ट करना जरूरी है.
Satyendra PS : यह भाई साहब बोल रहे हैं कि डेवलपमेंट के लिए टैक्स का भुगतान करिए। हम 10 साल पहले टैक्स दिया करते थे ठीक ठाक। अब कम से कम उसका दोगुना टैक्स देना बनता था। लेकिन यह भाई हम लोगों को इस हाल में ला दिया है कि जितना टैक्स देते थे, उसका आधा देने लायक भी नहीं बचे।
किसी से काम मांगो तो काम ही नहीं दे रहा है, पैसे की तो बात ही जाने दें। वो भी दौर था जब बारगेनिंग होती थी कि इतने पैसे दो,तभी मजूरी करेंगे वरना हिन्दू भाई को राम राम, मुसलमान भाई को सलाम, हम तो घर चले।
बेकार निठल्लों को भक्त बना लिया है इन्होंने। वो ट्रोलिंग करते हैं, टैक्स देने लायक नहीं हैं। यही बताएं कि टैक्स कौन देगा.
ये हो सकता है कि ये बचे खुचे लोगों का खून भी बेच डालें, सरकारी कम्पनियों के साथ। तब शायद इनके विश्व भ्रमण और ऐयाशियों के लिए पैसे आ जाएं.
विश्लेषक गिरीश मालवीय और पत्रकार सत्येंद्र पीएस की एफबी वॉल से.