Vinita Yadav : प्रेस क्लब का चुनाव कुछ ज़्यादा ही राजनीतिक हो चला है. जिस बात पर आपत्ति जताते हुए मैंने ख़ुद को अलग किया, हुआ इसके उलट कि वहाँ अब लोग खुलकर राजनीतिक रंग में आ हुए हैं. क्या है ये भाई, क्यूँ? इस बार पूरा जेएनयू यहीं ज़ोर लगा रहा है तो भाई मोदी जी और सोनिया जी को भी चिट्ठी लिख दो कि नज़र इधर करें. Raisina hills पर बने प्रेस क्लब को क्रांति के नाम पर बर्बाद ना कर दिया जाए.
और, वैसे यहां क्रांति नहीं, काम की ज़रूरत है. एक पत्रकार के पास अपना इतना वक़्त हो गया है कि अपने बैठने की जगह पर झंडे बुलंद करे? क्यूँ भाई? फिर पूछती हूं कि क्या ज़रूरत राजनीति घुसाने की. देश भर में सफ़ाये के कगार पर खड़ी ये पार्टी अब प्रेस क्लब में वजूद ढूँढ रही है, ग़ज़ब है! Pls members its request. dnt vote for politically influenced journalists.
प्रेस क्लब आफ इंडिया में नदीम अहमद काजमी की निरंकुशता और अराजकता के खिलाफ झंडा उठाने वाली टीवी पत्रकार विनीता यादव की एफबी वॉल से.
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