जो जल बाढ़े नाव में, घर में बाढ़े दाम… मालिश को लेकर फजीहत में फंसे बाबा चिन्मया नन्द प्रकरण में सामने आया नया वीडियो कई सवाल खड़े करता है, और जवाब भी उगलता है। वीडियो से साफ़ विदित होता है कि एक ब्लेकमेलर, फिरौतीबाज़ गिरोह बाबा के पीछे पड़ा था। वीडियो पांच साल पुराना है, जिसे बाबा से माल न मिलने अथवा कहीं और से मिल जाने के कारण रिलीज़ कर दिया गया है।
अपने सगे मित्रों और समान सोच वाले साथियों द्वारा कई बार गरियाये जाने के बावजूद मैं इस मत पर दृढ़ हूँ, कि जिस तरह दलित उत्पीड़न के झूठे केस दर्ज कराने से दलित हित बाधित होते हैं, उसी तरह यौन शोषण के फ़र्ज़ी मामलों से अंततः महिला हितों को चोट पहुंच रही है। धन अथवा मान की लालची विष कन्याएँ पहले तो धनी मानी पुरुषों के नीचे लेट कर वीडियो बना लेती हैं, फिर बवाल मचा कर वसूली करती हैं। हाल में मी टू नामक कुख्यात अभियान के ज़्यादातर मामले भी ऐसे ही थे।
वर्षों पूर्व अमेरिका के एक राष्ट्रपति की क्लर्क पहले तो राज़ी खुशी उसके साथ लैला मजनू का खेल खेलती रही, फिर बहुत बाद में उसके वीर्य की छींट से सनी अपनी कुर्ती लहरा कर धन और चर्चा पाई। उस गरीब पुरुष की ज़िंदगी तबाह हो गयी।
बाबा के मालिश प्रकरण में यह तथ्य स्पष्ट है कि मसाज का प्रोग्राम दोनों की सहमति से चल रहा है, और इसमें बाबा कहीं भी बलात्कार तो क्या, सेक्स करता भी नहीं दीखता। यह बात अपनी जगह है कि बाबा को एक महिला से निर्वस्त्र हो, और अपना शिश्न अर्द्ध उन्नत कर मालिश नहीं करानी चाहिए थी। लेकिन यह क़ानूनी नहीं, अपितु सामाजिक दण्ड का मामला है, जो बाबा को काफी कुछ मिल चुका है, अभी और मिलेगा।
जो दूसरा वीडियो सामने आया है उसमे तथ्य सामने आता है कि “पीड़ित” लड़की समेत कुछ मुस्टंडे कार में घूमते और शराब पीते हुए माया उगाही के लिए बाबा को घेरने की योजना बना रहे हैं। प्रश्न है कि क्या महिला, सरकार अथवा मीडिया को इस हद तक निरंकुशता प्राप्त होनी चाहिए कि वे किसी को भी अपना शिकार बना कर उसका जीवन नरक बना दें?
सारा मामला पैसे का है। बाबा मालदार है। बाबाओं को चाहिए कि वह अपना सारा माल तत्काल ज़रूरत मंदों में बांट दें, जैसे कि उक्त स्वामी चिन्मयानंद एक बार मुझे भी एक बेहतरीन लैपटॉप भेंट कर चुके हैं। मैं पहले भी इसका जिक्र कर चुका हूं, और आज भी निडर होकर इसका जिक्र करता हूँ। बाबरी मस्जिद गिराने में योगदान करने के लिए मैं पहले की तरह आज भी उक्त बाबा की निंदा करता हूँ, और सद्य प्रकरण में उनके प्रति सहानुभूति व्यक्त करता हूँ।
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लेखक राजीव नयन बहुगुणा वरिष्ठ पत्रकार और चर्चित यायावर हैं.
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