कोबरा पोस्ट के ‘जाल’ में नहीं फंसे पश्चिम बंगाल से प्रकाशित होने वाले ये दो अखबार

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पुष्प शर्मा ने मीडिया हाउसों का स्टिंग कर इतिहास रच दिया…

कोबरापोस्ट ने मीडिया हाउसों का स्टिंग किया. इसे अंजाम दिया पुष्प शर्मा ने. पुष्प ने सेकेंड फेज में दो दर्जन से ज्यादा मीडिया संस्थानों का खुलासा किया. इनमें लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाली मीडिया के कुछ बड़े नाम भी शामिल हैं. इस जांच में इन मीडिया संस्थानों को बड़े अलग अंदाज में खबरों का सौदा करते पाया गया है।

कोबरा पोस्ट का ‘ऑपरेशन 136: पार्ट-2’ भारतीय मीडिया के सबसे विस्मयकारी रूप को दिखाता है, जहां “मीडिया के बड़े घराने” पेड न्यूज और दुष्प्रचार के लिए सहमत हो जाते हैं। इसकी वजह से न केवल देश के नागरिकों के बीच सांप्रदायिक तनाव हो सकता है बल्कि ऐसा करने से किसी खास राजनीतिक पार्टी के खिलाफ झुकाव भी हो सकता है। इस तरह की कोशिश किसी खास पार्टी के पक्ष में चुनावी परिणाम का रूख भी पलट सकती है।

मीडिया हाउसों का स्टिंग करने वाले पत्रकार पुष्प शर्मा ने श्रीमद भागवत गीता प्रचार समिति उज्जैन के प्रचारक बनकर अपने प्रस्ताव के साथ इन मीडिया घरों से संपर्क किया। इस मौके को भुनाने के लिए लगभग सभी मीडिया संस्थानों ने अपने सिद्धांतों से समझौता कर लिया। दो संस्थानों ने ऐसा ना करके एक मिसाल भी पेश की है जो वाकई काबिल-ए-तारीफ है। ‘वर्तमान पत्रिका’ और ‘दैनिक संवाद’ ने पत्रकार पुष्प के इस अभियान को चलाने से साफ इनकार कर दिया।

मीडिया घरों के मालिकों और वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात करते हुए शर्मा ने मोटी रकम के बदले उनसे एक मीडिया अभियान चलाने के लिए कहा। पुष्प ने अपने अभियान के तहत कुछ खास बिंदुओं पर चर्चा की…. शुरुआती दौर में पहले तीन महीने हिंदुत्व का प्रचार-प्रसार ताकि धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से एक अनुकूल माहौल तैयार हो सके…. इसके बाद विनय कटियार, उमा भारती और मोहन भागवत जैसे हिंदुत्व कट्टरपंथियों के भाषणों को बढ़ावा देने के साथ अभियान को सांप्रदायिक लाइनों पर मतदाताओं को संगठित करने के लिए तैयार किया जाएगा… जैसे ही चुनाव नजदीक आएंगे तो ये अभियान राहुल गांधी, मायावती और अखिलेश यादव जैसे राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के खिलाफ उग्र हो जाएगा…. विरोधी नेताओं के लिए पप्पू, बुआ और बबुआ जैसे उपनामों का इस्तेमाल कर जनता के सामने इनकी छवि खराब की जाएगी… उन्हें इस अभियान को अपने प्रिंट, इलैक्ट्रोनिक, रेडियो और डिजिटल जैसे- न्यूज़ पार्टल, वेबसाइट और सोशल मीडिया जैसे फेसबुक और ट्वीटर जैसे सभी प्लेटफॉर्म पर चलाना होगा….

इस काम को करने के लिए इन सभी मीडिया घरानों ने पुष्प का गर्मजोशी से स्वागत किया और एजेंडे को हाथों-हाथ लिया। जो बड़े मीडिया संस्थान इस अभियान को चलाने के लिए तैयार दिखें उनमें टाइम्स ग्रुप, इंडिया टुडे ग्रुप, एचटी मीडिया, नेटवर्क 18, ज़ी न्यूज़, स्टार इंडिया, एबीपी न्यूज़, दैनिक जागरण, रेडियो वन, रेड FM, लोकमत, एबीएन आंध्र ज्योति, टीवी-5, दिनामलार, बिग FM, के न्यूज़, इंडिया वॉयस, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस, Paytm, भारत समाचार, स्वराज एक्सप्रेस, बर्तमान, दैनिक संवाद, एमवीटीवी और ओपन मैग्जीन शामिल हैं।

कोबरा पोस्ट का ‘ऑपरेशन 136: पार्ट-2’ इसलिए भी खास है क्योंकि इसमें ना केवल मीडिया संस्थानों के खेल को उजागर किया गया है बल्कि इस तथ्य को भी सामने लाया गया है कि तकनीक के इस दौर में किसी भी खास एजेंडे को मोबाइल ऐप के जरिए जनता तक पहुंचाने में एक प्रभावी माध्यम ढूंढा जा सकता है। पेटीएम को लेकर जो कोबरापोस्ट ने जो खुलासा किया है, वो इसका सटीक उदाहरण है। ये इस बात को दर्शाता है कि किसी खास एजेंडे को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पारम्परिक मीडिया जैसे टीवी चैनलों या अख़बारों की जरूरत नहीं है। एक साधारण से मोबाइल ऐप के जरिए भी आप पलक झपकते ही वो कर सकते हैं जो पारम्परिक मीडिया की मदद से नहीं किया जा सकता। पेटीएम के बड़े अधिकारियों से हुई पुष्प की बातचीत में ना केवल इनकी बीजेपी विचारधारा का खुलासा हुआ बल्कि संघ के साथ कंपनी के संबंधों की भी बात सामने आ गई। यहां तक कि इस बात की पोल खुल गई कि पेटीएम जैसे जानी-मानी ऐप पर उपभोक्ताओं का डाटा सुरक्षित नहीं है, जैसा कि कंपनी का दावा है।

पुष्प शर्मा की मीडिया संस्थानों से हुई बातचीत को इन बिंदुओं के जरिए आसानी से समझा जा सकता है…ये मीडिया हाउस आध्यात्मिकता और धार्मिक प्रवचन के जरिए हिंदुत्व को बढ़ावा देने के लिए सहमत हुए। सांप्रदायिक राह के साथ मतदाताओं को ध्रुवीकरण करने की क्षमता के साथ सामग्री प्रकाशित करने पर सहमत हुए। सत्ताधारी पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए ये उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के खिलाफ अपमानजनक कंटेंट प्रकाशित करने के लिए तैयार हुए।

इनमें से कई इस सौदे को हर हाल में हासिल करने के लिए और अपने ग्राहक के काले धन को खपाने के लिए कैश पेमेंट के लिए भी तैयार दिखे। इनमें से कई संस्थानों के अधिकारी थर्ड पार्टी या एजेंसी के माध्यम से काले धन को सफेद कर उसे दूसरे रास्ते से हासिल करने के लिए सहमत हुए। यहां तक कि कुछ ने तो अंगडिया जैसे हवाला के रास्ते का भी सुझाव दिया। कुछ मीडिया समूह के मालिकों ने तो बातचीत में अपने हिंदुत्व और संघ की विचारधारा से जुड़े होने का भी खुलासा किया। इसी वजह से वो पुष्प के अभियान पर काम करने के लिए राजी दिखाई दिए। जाहिर है ऐसे में पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों से समझौता होना ही था।

इनमें से कुछ ने तो सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में स्टोरी चलाने पर अपनी सहमति जताई। जबकि कुछ ने विरोधी दलों के खिलाफ बाकायदा एक जाल बुनकर अपनी टीम से उनकी तहकीकात कराने और स्टोरी चलाने पर रजामंदी जाहिर की। इनमें से कई विशेष तौर पर इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए बाकायदा एडवरटोरियल्स विकसित करने के लिए भी सहमत हुए। इनमें से कई अपनी क्रिएटिव टीम को नियोजित करके इस दुर्भावनापूर्ण अभियान के लिए कंटेंट विकसित करने पर सहमत हुए। इनमें से कई इस अभियान को अपने प्रिंट, इलैक्ट्रोनिक, एफएम रेडियो, डिजिटल प्लेटफार्म जैसे न्यूज़ पार्टल, वेबसाइट और सोशल मीडिया पर चलाने के लिए सहमत हुए।

इनमें से कुछ ने केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली, मनोज सिन्हा, मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी के खिलाफ स्टोरी चलाने पर सहमति जताई। इनमें से कुछ भाजपा गठबंधन के नेताओं जैसे अनुप्रिया पटेल, ओम प्रकाश राजभर और उपेंद्र कुशवाह के खिलाफ स्टोरी चलाने के लिए भी सहमत हुए। उनमें से कुछ ने किसानों को अपनी खबरों में माओवादियों द्वारा उकसाए हुए दिखाने पर सहमति व्यक्त की। इनमें से कई राहुल गाँधी जैसे राजनीतिक प्रतिद्वंदियों और विपक्षी नेताओं के चरित्र हनन करने के लिए सहमत हुए। इनमें से कई संस्थान कंटेंट को इस तरह से चलाने के लिए तैयार हुए ताकि वो पेड न्यूज़ जैसा ना दिखे।

इनमें लगभग सभी एफएम रेडियो स्टेशन खास ग्राहक को अपने फ्री एयर टाइम पर एकाधिकार करने की अनुमति देने के लिए सहमत हुए। कई एफएम रेडियो स्टेशन भी एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए आरजे मेंशन्स का इस्तेमाल करने पर सहमत हुए। इसमें हिंदुत्व का प्रचार और विरोधियों के चरित्र हनन करने पर भी सहमति जताई।

इनपुट : कोबरा पोस्ट

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